भारत के निर्वाचन आयोग का दावा EVM में कोई गड़बड़ी नहीं नहीं संभव, इंजीनियर ने लाइव डैमो से ठहराया दावे को गलत

दुर्भाग्यपूर्ण है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में ईवीएम व वीवीपीएटी से ही चुनाव कराते रहने को जायज ठहराया है और मतपत्र के विकल्प पर वापस जाने के सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने वीवीपीएटी के काले शीशे के पीछे हेराफेरी हो सकती है, इस सम्भावना पर विचार ही नहीं किया...

Update: 2024-05-01 09:14 GMT

वाराणसी। वाराणसी के पराडकर भवन में कल 30 अप्रैल को प्रेस वार्ता में ईवीएम हटाओ सेना व राइट टू रिकाल पार्टी के भीलवाड़ा, राजस्थान से आए पवन कुमार शर्मा एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रदर्शन कर यह दिखाया कि दो बार लगातार केला चिन्ह पर बटन दबाने पर दोनों बार काले शीशे वाली वीवीपीएटी मशीन में दिखा तो केला ही, लेकिन प्रिंटर के अंदर एक पर्ची केला की छपी और दूसरी सेब की।

यह मशीन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के इंजीनियर और अमेरिका से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल किए हुए अहमदाबाद के रहने वाले राहुल चिमनभाई मेहता ने बनाई है, जो खुद ईवीएम हटाओ सेना व राइट टू रिकाल पार्टी से भी जुड़ हुए हैं। यह मशीन दिखाती है कि यदि कोई चाहे तो ईवीएम से आसानी से मत लूटे जा सकते हैं। यदि दूसरा मतदाता भी केला को ही मत देता है तो उसे भी 7 सेकेंड के लिए वीवीपीएटी में पहले वाले ही मतदाता की केला की पर्ची दिखाई पड़ेगी, किंतु रोशनी बुझने पर तीसरे मतदाता के आने से पहले ही प्रिंटर सेब छाप देगा। यह न तो मतदाता को पता चलेगा, न ही किसी वहां मौजूद अधिकारी को। अधिकारी भी काले शीशे वाली वीवीपीएटी मशीन से अनभिज्ञ हैं।

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इस प्रदर्शन का उद्देश्य मात्र इतना है कि ईवीएम के बारे में भारत का निर्वाचन आयोग जो दावे कर रहा है कि ईवीएम में कोई गड़बडी नहीं हो सकती, हम उसको गलत साबित कर रहे हैं।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में ईवीएम व वीवीपीएटी से ही चुनाव कराते रहने को जायज ठहराया है और मतपत्र के विकल्प पर वापस जाने के सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने वीवीपीएटी के काले शीशे के पीछे हेराफेरी हो सकती है, इस सम्भावना पर विचार ही नहीं किया।

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ईवीएम के प्रति गहरे असंतोष को देखते हुए राइट टू रिकॉल पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) दोनों मानती हैं कि ईवीएम की जगह मतपत्र से चुनाव कराना ही सही विकल्प है, जिसमें गड़बड़ी कम से कम कैमरे में पकड़ी तो जा सकती है।

चण्डीगढ़ के महापौर के चुनाव में हमने देखा किस तरह मतपत्र में की जा रही गड़बड़ी को कैमरे के माध्यम से पकड़ लिया गया। यदि यही गड़बड़ी प्रोग्राम के माध्यम से ईवीएम—वीवीपीएटी में की जा रही होती तो कैमरे में नहीं पकड़ में आती और न ही वहां मौजूद अधिकारी पकड़ पाते। 

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