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हाशिये का समाज

उन्नाव के बक्सर घाट पर अंतिम संस्कार के बजाय दफनायी जा रहीं लाशें, कुत्ते खींचकर गांव तक ले जा रहे अंग

Janjwar Desk
12 May 2021 3:35 AM GMT
उन्नाव के बक्सर घाट पर अंतिम संस्कार के बजाय दफनायी जा रहीं लाशें, कुत्ते खींचकर गांव तक ले जा रहे अंग
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गंगा किनारे महज 3 फीट पर दफनायी गयी लाशों के अंग गांवों तक खींचकर ले जाने लगे कुत्ते

कानपुर-उन्नाव के गंगा किनारे घाट पर अब तक एक हजार से ज्यादा शवों को लोग दफन कर चुके हैं, वो भी महज 3 फीट की गहराई में....

जनज्वार, लखनऊ। कोरोना महामारी से हो रही मौतों के चलते इन दिनों उन्नाव में बीघापुर तहसील के बक्सर घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगी हैं। संक्रमण के डर से पंडे भी दाह संस्कार कराने से बच रहे हैं जिसके बाद अधिकतर शवों को रेत में ही दबा दिया जा रहा है। घाट पर जगह कम पड़ी तो नदी के बीच रेत के टीले पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इससे क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। आसपास बस्ती और गांवों में रहने वालों में महामारी का डर है।

उन्नाव जिले की बीघापुर तहसील के बक्सर घाट पर यहां के अलावा रायबरेली और फतेहपुर जिले से भी लोग शवों का अंतिम संस्कार करने इसी घाट पर पहुंचते हैं। इस समय रोजाना 90 से 120 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। कोरोना के चलते पंडे भी दाह संस्कार कराने से बच रहे हैं।

श्मशान घाट पर मौजूद डोम, नदी के किनारे गड्ढे खोदकर शवों को दफना कर अंतिम संस्कार करा रहे हैं। हालत यह है कि नदी के किनारे जगह कम पड़ने से अब शवों को नाव से नदी के बीच ले जाकर नदी के बीच बने रेत के टीलों पर दफनाया जा रहा है। आलम यह है कि अब गड्ढे खोदने की जगह नहीं मिल रही है।

यहां दफनाए गए शवों को कुत्ते खींचकर इधर उधर फैला रहे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। इन हालातों से बेखबर एसडीएम दयाशंकर पाठक ने बताया कि शवों का अंतिम संस्कार सुरक्षित तरीके से किया जाना चाहिए। शव नदी में प्रवाहित करने पर पूरी तरह से रोक है। अगर लोग असुरिक्षत तरीके से शवों को बालू और रेत में दबा रहे हैं तो उसे दिखवाया जाएगा।

बक्सर घाट पर बेतरतीबी से दफनाए गए शवों के अंग कुत्ते खींचकर गांवों के अंदर तक ले आते हैं। इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है।

बक्सर के नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान रामप्रसाद चौरसिया ने बताया कि पहले तो रोजाना 150 से 200 तक शवों का यहां अंतिम संस्कार किया जा रहा था। इधर कुछ दिनों से संख्या थोड़ी कम हुई है। प्रधान का कहना है कि प्रशासन को सुरक्षित तरीके से शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करनी चाहिए।

इस दौरान अगर किसी भी कारण से गंगा का जलस्तर बढ़ा तो बक्सर श्मशान घाट के और रेत के टीलों पर दफनाए गए हजारों शव जमीन पर आ जायेंगे। पानी के साथ बहकर दूर तक जाएंगे और तेजी से संक्रमण फैलेगा।

बक्सर के ग्रामीणों का कहना है हमें गंगा पुल से भी निकलने में डर लगता है। तेज दुर्गंध से संक्रमित होने का डर लगातार बना रहता है।

दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर-उन्नाव के गंगा किनारे घाट पर अब तक एक हजार से ज्यादा शवों को लोग दफन कर चुके हैं। वो भी महज 3 फीट की गहराई में।

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