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किसानों पर लाठीचार्ज के बाद हर तरफ आलोचना झेल रही भाजपा सरकार ने करनाल प्रशासन को किया आगे

Janjwar Desk
29 Aug 2021 12:42 PM GMT
करनाल लाठीचार्ज: जस्टिस अग्रवाल जांच आयोग रिपोर्ट आने से पहले ही भंग, लाठीचार्ज आरोपी SDM आयुष सिन्हा का तबादला
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जस्टिस अग्रवाल जांच आयोग रिपोर्ट आने से पहले ही हुई भंग
डीसी ने दावा किया कि किसानों को बहुत ही कम चोट आई है। यह न्यूनतम बल प्रयोग था। क्योंकि यदि बल प्रयोग न होता तो हाइवे लंबे समय तक जाम हो सकता था....

जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। कल हरियाणा के करनाल में किसानों पर पुलिस की बर्बरता से देश भर में आलोचना झेल रही सरकार ने बचाव के लिए करनाल प्रशासन को आगे कर दिया है। करनाल के डीसी निशांत यादव ने हर संभव कोशिश की कि घटनाक्रम पर प्रशासन को क्लीनचिट दी जाए। उन्होंने पूरे घटनाक्रम को हलका फूलका करार दिया। यह भी जताने की पूरी कोशिश की कि प्रशासन को मजबूरी मे यह कदम उठाना पड़ा।

इतना ही नहीं उन्होंने एसडीएम आयुष सिन्हा के उस वीडियो पर सफाई पेश करते हुए कहा कि वह अति उत्साह में यह शब्द बोल गए। हालांकि उन्होंने दावा किय कि पुलिस की लाठीचार्ज का एसडीएम की हिदायत से कोई लेना देना नहीं है। डीसी ने आयुष सिन्हा के वीडियो के शब्दों के लिए खेद भी मांगा। इसके बाद भी वह इस कोशिश में लग रहे कि प्रशासन ने यह कदम बहुत ही मजबूरी में उठाया है।

डीसी ने यह भी बताया कि उनकी मंशा साफ थी, वह आखिरी नाके से प्रदर्शनकारियों को निकलने न देने की हिदायत दे रहे थे। डीसी ने अपनी पूरी बातचीत में यह कोशिश की कि एसडीएम पूरी तरह से बेकसूर है।

करनाल के एसपी गंगा राम पुनिया ने दावा किया कि पुलिस ने जो भी कदम उठाया, इसके लिए किसानों ने मजबूर किया। क्योंकि शनिवार को करनाल में सीएम की बैठक थी। प्रदर्शनकारियों के बीच में शरारती तत्व भी हो सकते हैं। इससे हालात बिगड़ सकते थे,इसलिए पुलिस ने यह कदम उठाया।

एसपी ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने संश्य से काम लिया है। पुलिस का उद्देश्य बस यहीं था कि हाइवे जाम न हो। इस कड़ी में पुलिस ने कम से कम बल प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि यह उचित नहीं है कि बाहर बैठ कर पुलिस के बल प्रयोग की समीक्षा की जाए।

डीसी ने दावा किया कि किसानों को बहुत ही कम चोट आई है। यह न्यूनतम बल प्रयोग था। क्योंकि यदि बल प्रयोग न होता तो हाइवे लंबे समय तक जाम हो सकता था। डीसी ने कहा कि किसानों ने जब प्रशासन के साथ बातचीत की थी तो उन्होंने आश्वासन दिया था कि सब कुछ शांतिपूर्वक होगा। लेकिन इसके बाद भी हाइवे पर जाम कर दिया था। इसे खोलने के लिए हमें बल प्रयोग करना पड़ा।

करनाल के डीसी निशांत यादव

हाइवे जाम करना कानून तोड़ना है। इसलिए इसे किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। डीसी ने कहा कि बातचीत के लिए यदि किसान आगे आता है तो वह हर वक्त इसके लिए तैयार रहेंगे। डीसी ने यह भी बताया कि उपद्रव करने वाले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इधर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने कहा कि इस घटनाक्रम पर सीएम को बयान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह लोकतंत्र है लट्ठतंत्र नहीं। क्या अब सरकार किसानों की बात सुनने की बजाय इस तरह से किसानों पर लाठी चलवाएगी?

किसान नेताओं ने डीसी के बयान पर आपत्ति जताते हुए बताया कि सबसे पहले तो एसडीएम आयुष सिन्हा पर कार्यवाही होनी चाहिए। एक अधिकारी आखिर कैसे इस तरह से प्रदशनकारियों के सिर फोड़ने की हिदायत पुलिसकर्मियों को दे सकता है।

यह लोकतंत्र है तानाशाही नहीं है, कि प्रशासिक अधिकारी इस तरह से व्यवहार करें। किसान नेताओं ने यह भी कहा कि अब जबकि भाजपा सरकार की देश और विदेश में हर जगह आलोचना हो रही है, ऐसे में सरकार खुद को पाक साफ दिखाने के लिए अधिकारियों को आगे कर रही है। ताकि अधिकारी ही जवाब दें। सीएम मनोहर लाल खट्टर यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने कुछ नहीं किया, जो भी किया पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने किया।

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