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Beti Bachao, Beti Padhao : प्रचार के लिए विज्ञापनों पर ही खर्च हो गई योजना की 80 प्रतिशत धनराशि

Janjwar Desk
10 Dec 2021 7:35 AM GMT
Beti Bachao, Beti Padhao : प्रचार के लिए विज्ञापनों पर ही खर्च हो गई योजना की 80 प्रतिशत धनराशि
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(हीना गावित ने शिक्षा के जरिए महिलाओं के सशक्तिकरण पर पांचवीं रिपोर्ट पेश की)

Beti Bachao, Beti Padhao : बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य लड़कियों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को खत्म करना और उनके प्रति लोगों की नकारात्मक मानसिकता में बदलाव लाना है...

Beti Bachao, Beti Padhao : केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा 22 जनवरी 2015 को 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना (Beti Bachao Beti Padhao) को लॉन्च किया गया था लेकिन महिला सशक्तिकरण समिति की ताजा रिपोर्ट सरकार की ओर से जारी किए गए धन का सही उपयोग न होने को लेकर निराशा जाहिर करती है। महाराष्ट्र भाजपा लोकसभा सांसद हीना विजयकुमार गावित की अध्यक्षता वाली समिति ने गुरुवार को लोकसभा में इससे जुड़ी रिपोर्ट पेश की।

हीना गावित ने शिक्षा के जरिए महिलाओं के सशक्तिकरण पर पांचवीं रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना के लगभग अस्सी प्रतिशत धन का उपयोग इसके विज्ञापन के लिए किया गया न कि महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014-15 में इसकी शुरुआत के बाद से 2019-20 तक इस योजना के लिए कुल 848 करोड़ रुपये मंजूर हुआ। 2020-2021 के महामारी के काल को छोड़कर इस दौरान राज्यों को 622.48 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई।

समिति की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि केवल 25.13 प्रतिशत यानि 156.46 करोड़ रुपये राज्यों द्वारा खर्च किए गए हैं जो इस योजना के अनुमानित लक्ष्य के अनुरुप प्रदर्शन नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक 2016-19 के दौरान जारी किए गए कुल 446.72 करोड़ रुपये में से केवल मीडिया विज्ञापनों पर 78.91 प्रतिशत खर्च किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि समिति बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओं के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया अभियान की जरूरत को समझती है लेकिन योजना के अन्य उद्देश्यों को संतुलित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पैनल ने सिफारिश की है कि सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मामलों के लिए नियोजित व्यय आवंटन पर भी ध्यान देना चाहिए।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य लड़कियों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को खत्म करना और उनके प्रति लोगों की नकारात्मक मानसिकता में बदलाव लाना है। इसके अलावा योजना का उद्देशख्य लिंगानुपात को कम करना, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।

इस योजना का संचालन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा एक राष्ट्रीय पहल के तौर पर होता है।

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