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राष्ट्रीय

डीजीपी मनोज यादव का हरियाणा सरकार से वापसी का आग्रह, क्या विज की जीत मान ली जाए?

Janjwar Desk
22 Jun 2021 1:40 PM GMT
डीजीपी मनोज यादव का हरियाणा सरकार से वापसी का आग्रह, क्या विज की जीत मान ली जाए?
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(डीजीपी पर गृह मंत्री अनिल विज लगातार निशाना साधते रहे हैं। ताजा विवाद आईपीएस वाईपूर्णकुमार और डीजीपी के बीच हुआ था।) 

चंडीगढ़ हरियाणा में तेजी से बदल रहे हैं गठनाक्रम। सीएम मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज विवाद में पहली बार विज सीएम पर भारी पड़ते नजर आए हैं। क्या विज को पावरफुल बनाने की तैयारी है, या एक मांग मान कर उनका कद कम करने की कवायद.....

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो/ चंडीगढ़। पिछले कुछ समय से हरियाणा भाजपा में माहौल काफी गहमागहमी वाला है। बैठकों का दौर लगातार जारी है। कभी दिल्ली तो कभी चंडीगढ़। अनुशासन के मजबूत दरवाजों में बंद इन बैठकों से छन कर ही कुछ जानकारी बाहर आ पाती है। इस जानकारी के मुताबिक सरकार में मंत्रियों के विभागों में फेरबदल और नए विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की कवायद हो रही है। इस सब के गृहमंत्री अनिल विज की एक चिट्ठी हड़कंप मचा देती है। इसमें वह अपने विभाग के एसीएस राजीव अरोड़ा को पत्र लिख अपनी छवि खराब करने की बात कहते हैं?

यह घटनाक्रम कभी थमा भी नहीं कि एक और डेवलपमेंट हरियाणा में हो गई। वह है, डीजीपी मनोज यादव ने अचानक सरकार से आग्रह किया कि इसमें उन्होंने हरियाणा कैडर छोड़कर इंटेलिजेंस ब्यूरो में वापस जाने की इजाजत दी जाए। इस संबंध में एक पत्र उन्होंने गृह सचिव, राजीव अरोड़ा और गृह मंत्रालय हरियाणा सरकार और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को लिखा है।

डीजीपी पर गृह मंत्री अनिल विज लगातार निशाना साधते रहे हैं। ताजा विवाद आईपीएस वाईपूर्णकुमार और डीजीपी के बीच हुआ था। वाईपूर्णकुमार ने डीजीपी पर उत्पीड़न का आरोप लगा, अंबाला छावनी पुलिस के सदर थाने में शिकायत दी थी। शिकायत पर अभी तक एफआईआर तो दर्ज नहीं हुई, लेकिन मामला खूब चर्चा में रहा।


विज और डीजीपी के बीच विवाद की शुरुआत तो उस वक्त हो गई थी, जब सीआईडी विभाग को लेकर सीएम और विज की रस्साकशी सामने आई थी। सीआईडी विभाग आखिरकार सीएम के पास चला।

मार्च में डीजीपी पद पर मनोज यादव का कार्यकाल समाप्त हो गया था। अनिल विज ने सीएम मनोहर लाल को पत्र लिख कर नए डीजीपी की नियुक्ति की मांग की थी। कई दिन इस पर खूब दांव पेंच चले। अंत में मनोज यादव डीजीपी पद पर बने रहे।

इस प्रकरण के बाद तो विज डीजीपी पर पूरी तरह से हमलावर हो गए थे। उन्होंने डीजीपी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए अक्षम अधिकारी तक बोल दिया था। इन सभी आरोपों के बाद विज की नाराजगी को झेलते हुए डीजीपी पद पर मनोज यादव बने रहे।

लेकिन अब अचानक उन्होंने यह कदम क्यों उठाया। इस पर सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इसकी दो बड़ी वजह है। इस वक्त सीएम मनोहर लाल खट्टर से पार्टी आला कमान ज्यादा खुश नहीं है। लंबे चलते किसान आंदोलन और कानून व्यवस्था के साथ साथ अफसरशाही पर सरकार की ज्यादा निर्भरता पार्टी आला कमान को रास नहीं आ रही है। पार्टी आलाकमान को यह भी अहसास हो रहा है कि मतदाता उनसे नाराज है। अब उन्हें खुश करना है। इसके लिए सबसे पहले तो पार्टी के भीतर ही एक राय काम करनी होगी। जिस तरह से अनिल विज लगातार अफसरों के माध्यम से सीएम पर निशाना साधते रहे हैं, इससे भी पार्टी आलाकमान खुश नहीं है।

ऐसे में विज को खुश करने के लिए डीजीपी पद से मनोज यादव की विदाई की पटकथा तैयार हुई है। इसे इस तरह से अमल में लाया गया कि डीजीपी पद से मनोज यादव की सम्मानपूर्वक विदाई भी हो जाए, अनिल विज भी शांत हो जाए और सीएम को लेकर भी ज्यादा सवाल न उठे।

जानकारों का मानना है कि डीजीपी मामले में विज पहली बार सीएम मनोहर लाल पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। अब सवाल यह है कि जबकि डीजीपी के पद पर मनोज यादव को एक्सटेंशन दी गई थी, तब भी विज ने यह मामला पार्टी आलाकमान के सामने उठाया था। तब उनकी बात को सुना नहीं गया था। इसके जवाब में जानकारों का कहना है कि बीजेपी को अब जमीनी हकीकत समझ आ रही है। पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम से पार्टी सकते हैं, यूपी के हालात भी बहुत अच्छे नहीं है।

हरियाणा में सीएम मनोहर लाल के विरोध का आलम यह है कि किसान उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रम तक नहीं करने दे रहे हैं। यह विरोध वक्त के साथ कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस सब से पार्टी के थिंक टैंक समझ रहे हैं कि अब वक्त आ गया कि सत्ता का संतुलन साधा जाए।

हरियाणा सरकार में सिर्फ अनिल विज ही हैं, जो सीएम पर सवाल खड़ा कर देते हैं। तो अब डीजीपी पद से मनोज यादव की विदाई कर क्या विज को खुश करने की कोशिश हो रही है। यदि ऐसा है तो निश्चित ही किसी न किसी स्तर पर सीएम मनोहर लाल की शक्तियों में कटौती हो सकती है। सीएम मनोहर लाल की कार्यप्रणाली से हालांकि बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी खुश नहीं है।

क्योंकि उनकी शिकायत रहती है कि इस वक्त सीएमओ बहुत ज्यादा पावरफुल है। इस वजह से कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही है। विज को तवज्जो देकर पार्टी नेतृत्व कार्यकर्ताओं की नाराजगी को कुछ हद तक दूर करने की कोशिश कर सकता है।

विज की कार्यप्रणाली ऐसी है कि विरोधी भी उनके काम की तारीफ करते हैं। जानकारों का कहना है कि विज की इस छवि को भी भाजपा लाभ उठाना चाह रही है। लेकिन दूसरी ओर यह भी माना जा रहा है कि यह भी हो सकता है कि विज का कद करने की तैयारी हो। क्योंकि गृह विभाग में रहते हुए वह लगातार सवाल उठाते रहे हैं। उन्हें इससे कमतर विभाग में भेज दिया जाए। इसलिए विज की एक मांग को मान कर उन्हें खुश करते हुए सम्मानपूर्वक दूसरे विभाग में शिफ्ट कर दिया जाए। हालांकि सीएम मनोहर लाल खट्टर किसी तरह के मंत्रिमंडल फेरबदल से इंकार कर चुके हैं। फिर भी जिस तरह से कई मंत्री दिल्ली आना जाना कर रहे हैं, इससे मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों को बल मिल रहा है।

जानकारों का मानना है कि इस वक्त हरियाणा की राजनीति में कुछ भी संभव है। भले ही उपर से सब कुछ सामान्य नजर आ रहा हो, लेकिन पार्टी के भीतर खासी उठक पठक चल रही है। इसे लेकर अगले कुछ दिनों तक तस्वीर साफ हो सकती है।

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