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सीवर में उतरने से 4 सफाईकर्मियों की मौत पर जब पीएम कुछ नहीं बोलते तो दूसरा कौन बोलेगा साहब : बेजवाडा विल्सन

Janjwar Desk
6 Oct 2022 5:15 AM GMT
सीवर में उतरने से 4 सफाईकर्मियों की मौत शर्मनाक, जब पीएम कुछ नहीं बोलते तो दूसरा कौन बोलेगा साहब : बैजवाडा विल्सन
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सीवर में उतरने से 4 सफाईकर्मियों की मौत शर्मनाक, जब पीएम कुछ नहीं बोलते तो दूसरा कौन बोलेगा साहब : बैजवाडा विल्सन

आज के दौर में तो लोग जानवरों की भी चिंता करते हैं। ऐसे में अगर जिम्मेदार लोग इंसानों की चिंता न करें तो मैं क्या कर सकता हूं।

New Delhi : दिल्ली से सटे हरियाणा ( Haryana ) के फरीदाबाद ( Faridabad ) में देश की आजादी के 75 साल बाद भी सीवर की सफाई के दौरान चार सफाई कर्मचारियों की मौत ( safaikaramchari death) शर्मनाक स्थिति का प्रतीक है। इस घटना से व्यथित मैगसेसे अवॉर्ड विजेता बेजवाडा विल्सन ( Bezwada Wilson ) का कहना है कि कुछ नहीं होगा। सबकुछ यूं ही चलता रहेगा। आप ही बताइए न, क्या होगा, जब इस स्थिति के लिए जिम्मेदार लोग ही कुछ नहीं बोलना चाहते। क्या पीएम मोदी ( PM Modi ) को इस बात की जानकारी नहीं है। क्या हरियाणा के सीएम इससे अवगत नहीं हैं। उन्होंने कुछ बोला। किसी ने सहानुभूति जताई। कोई भी व्यक्ति पीड़ित परिजनों से मिला। नहीं न, समझ लीजिए, हालात कितने खराब हैं। देश के लिए मरने की बात करने वाले, अपनों की मौत पर सहानुभूति के दो शब्द भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं।

सीवर की सफाई के दौरान 540 सफाई कर्मचारी मरे, कहीं-किसी ने चर्चा की!



सफाईकर्मियों की मौत पर जनज्वार डॉट कॉम के प्रतिनिधि धीरेंद्र मिश्र से बातचीत में बेजवाडा विल्सन ( Bezwada Wilson ) ने कहा कि मॉनसून सत्र के दौरान संसद में इस बात को सरकार के मंत्रियों ने ही तो रखा था। संबंधित मंत्री ने सदन को जानकारी दी थी कि देशभर में 540 सफाई कर्मचारियों की सफाई के दौरान मौत हुई है। किसी ने इस बात पर शोर मचाया। ये बातें खबरों में आईं। नहीं, क्यों नहीं आई। क्या इन लोगों की मौत पर एफआईआर दर्ज हुई, अगर हुई तो कार्रवाई क्या हुई, सफाई के दौरान मरने वालों के दोषियों में से कितने लोगों को सजा मिली।

चुप क्यों हैं पीएम

यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब खुद पीएम ( PM Modi ) नहीं देना चाहते। जब वही इस पर कुछ नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा। पीएम सफाई कर्मचारियों के हितों बात बढ़ चढकर करते हैं, लेकिन इस मुद्दे पर चुप क्यो हैं, वो अपने मंत्रालय के मंत्री से क्यों नहीं पूछते कि जब हाथ से मैला ढोने से सीवर की सफाई पर बैन है तो सफाई कर्मचारियों से ये काम कौन कराता है, क्यों गरीब और दलित सफाई कर्मचारियों को सीवर में उतरने के लिए मजबूर किया जाता है।

सीवर में उतरने के लिए गरीब को मजबूर किया जाता है

जब भी सफाई कर्मचारी सीवर ( Sewer ) में उतरने से मना करते हैं तो उन्हें ठेकेदार धमकाता है, काम करो नहीं तो नौकरी से निकाल देंगे। सभी कर्मचारी ठेके पर होते हैं। गरीब घरों से होते हैं। पेट की भूख और परिवार की जिम्मेदारी ऐसे हालात में उन्हें सीवर में मौत की आहट की बात जानते हुए भी उतरने के लिए मजबूर कर देता है। हालात के हाथों मजबूर गरीब सीवर में उतरने से मना नहीं कर पाता। भला, कौन चाहेगा कि जान को खतरे में डालकर सीवर में उतरें। जरा, आप खुद सोचिए न। सीवर का मिथेन गैस इतना जहरीला होता है कि सेकेंड भर में जान निगल लेता है।

हरियाणा सरकार से हमने ( Bezwada Wilson ) कई बार कहा, बिना सुरक्षा सामान के सफाई कर्मचारियों को सीवर में न उतारा जाए, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। कमोवेश, पूरे देश में हालात एक जैसे हैं।

जानवरों की फिक्र करने वाले इंसानों की चिंता न करें तो मैं क्या करूं

केंद्र व राज्य की सरकारों, सरकारी एजेंसियां, स्थानीय निकयों के अधिकारी सफाई कर्मचारियों को जरूरी सेफ्टी उपकरण मुहैया क्यों नहीं कराते, क्या गरीब सुफाई कर्मियों को लेकर उनकी कोई कानूनी, नैतिक और मानवीय जिम्मेदारी नहीं है। क्या सफाईकर्मियों को वो अपने समाज का हिस्सा नहीं मानते। आज के दौर में तो लोग जानवरों की भी चिंता करते हैंं। ऐसे में अगर जिम्मेदार लोग इंसानों की चिंता न करें तो मैं क्या कर सकता हूं। हम व्यवस्था को जगाने की ही तो कोशिश कर सकते हैं, लेकिन जागे हुआ इंसान अगर सोने का नाटक करे तो उसे कैसे उठाया जा सकता है।

इस स्थिति में चिंता और अफसोस जाहिर करते हुए बैजवाडा विल्सन ( Bezwada Wilson ) कहते हैं - इस तरह की मौतें महान लोकतंत्र के लिए शर्म की स्थिति है। हमें ऐसे हालात से बचने की जरूरत है। सफाईकर्मियों को सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने के लिए आगे आना होगा, पर ऐसा तब होगा जब पीएम, सीएम, राजनेता, जिम्मेदारी अधिकारी और उनसे संबंद्ध एजेंसियों के ठेकेदार इसके लिए गंभीर रुख का परिचय देंगे। बैजवाडा विल्सन ने अपनी इस पीड़ा का अहसास उस समय कराया, जब उनसे पूछा गया कि फरीदाबाद में चार सफाईकर्मियों की मौत पर आप क्या कहना चाहेंगे, आप चुप क्यों हैं, लोग बोलते क्यों नहीं?

एक तरफ देश मना रहा था दशहरा, दूसरी तरफ चार घरों में छा गया अंधेरा

पांच अक्टूबर को जब देशभर में लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा मना रहे थे ठीक उसी दिन फरीदाबाद के सेक्टर-16 स्थित क्यूआरजी अस्पताल में सीवर सफाई के दौरान कथित रूप से दम घुटने से चार लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि चारों कर्मचारी दिल्ली की एक कंपनी के थे जो सीवर सफाई करने आये थे। बिना सुरक्षा उपकरण के कर्मचारी सीवर की सफाई करने उतरे जहां दम घुटने से उनकी मौत हो गई। मृतकों की पहचान रोहित, रवि, विशाल तथा रवि के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि सभी युवक दक्षिणपुरी दिल्ली के संजय कैंप के रहने वाले हैं और इनकी उम्र लगभग 25 से 30 वर्ष के बीच है। पुलिस ने अस्पताल और सफाई एजेंसी के खिलाफ वर्कर्स के भाइयों में से एक ने आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध अधिनियम और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार की रोकथाम) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है।

पांच अक्टूबर को वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों ने मजदूरों की मौत को लेकर फरीदाबाद में विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों में से एक, बाबा राम केवल ने कहा कि यह अस्पताल और एजेंसी की लापरवाही है। हमने पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे और नौकरी की मांग की है।

कोई तो बताए मौत के लिए जिम्मेदार कौन

इस घटना के बाद दिल्ली स्थित संतोषी एलाइड सर्विसेज के अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी के अस्पताल के साथ अनुबंध में छोटे नालों की सफाई शामिल है, न कि सीवर टैंक की। अस्पताल के सुपरवाइजर सतीश कुमार ने कहा कि अस्पताल के साथ हमारा एक साल का अनुबंध है। हम महीने में पांच बार श्रमिकों को भेजते हैं। हमारे अनुबंध में सीवर की सफाई का जिक्र नहीं है। यही कारण है कि श्रमिकों के पास उपकरण नहीं थे। क्यूआरजी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ महिंदर सिंह तंवर ने कहा कि मैनपावर की सुरक्षा के लिए कंपनी की एकमात्र जिम्मेदारी थी। हम जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।

5 वर्षों में 13 की मौत

Faridabad News : फरीदाबाद में पिछले 5 सालों में 13 से अधिक लोगों की मौत सीवर की सफाई करने के दौरान हो चुकी है। खास बात ये है कि इनमें से कई में एफआईआर दर्ज की गईं, लेकिन अधिकांश में किसी भी आरोपी को जेल नहीं भेजा गया।

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