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राष्ट्रीय

महात्मा गांधी पर विवादित बयान देने के आरोप में गिरफ्तार ढोंगी कालीचरण महाराज कौन हैं, कैसा है इनका इतिहास?

Janjwar Desk
30 Dec 2021 3:55 AM GMT
indore News :कालीचरण महाराज ने फिर उगला महात्मा गांधी के खिलाफ जहर, कहा अपने बयान पर कायम हूं, गोडसे को करता हूं सलाम
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रविवार को इंदौर पहुंचे कालीचरण महाराज ने एक बार फिर महात्मा गांधी के खिलाफ जहर उगलने वाला काम किया। 

कालीचरण महारराज खुद को मां काली का भक्त बताता है। वो लाल वस्त्र धारण करते हैं। माथे पर लाल बिंदी लगाते हैं। अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद सुर्खियों में हैं।

नई दिल्ली। रायपुर धर्म संसद ( Raipur Dharam Sansad ) में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) के खिलाफ विवादित बयान देकर सुर्खियों में आये ढोंगी बाबा कालीचरण महाराज ( Kalicharan Maharaj ) तड़के रायपुर पुलिस ने एमपी के खजुराहो ( Khajuraho ) से गिरफ्तार कर लिया है। देर शाम तक ढोगी बाबा को लेकर पुलिस रायपुर ( Raipur Police ) पहुंचेगी। इस घटना के बाद से कालीचरण महाराज फिर से सुर्खियों में हैं। दूसरी तरफ लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर कालीचरण है कौन, उसने राष्ट्रपिता के खिलाफ क्या कहा था?

कौन है कालीचरण महाराज?

कालीचरण महारराज खुद को मां काली का भक्त बताता है। वो लाल वस्त्र धारण करते हैं। इसके साथ ही माथे पर लाल बिंदी लगाते हैं। इस समय वो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी के चलते लगातार खबरों में बने हुए हैं। कालीचरण महाराज ( Kalicharan Maharaj ) का असली नाम अभिजीत धनंजय सराग है, जो मूलरूप से महाराष्ट्र के अकोला के शिवाजीनगर के रहने वाले हैं।

कालीचरण के पिताजी का नाम धनंजय सराग की अकोला के जयन चौक में मेडिकल शॉप है। बचपन में इन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था। इसी कारण इनको इंदौर अपने मौसी के घर पर रहना पड़ा था। ऐसा बताया जाता है कि भय्यू महाराज के खामगांव स्थित आश्रम की व्यवस्थाओं को भी यही संभालते थे। कालीचरण महाराज की पढ़ाई महज आठवीं कक्षा तक हो पाई थी। उसके बाद वह पढ़ नहीं पाए थे। मगर इनके करीबी बताते हैं कि इन्होंने धर्मग्रंथों का गहन अध्ययन किया है।

ढोंगी कालीचरण महाराज हिंदी भाषा के अलावा मराठी भी अच्छी तरह जानते हैं। इसके साथ ही वो राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। महाराज जी ( Kalicharan Maharaj ) अकोला में पार्षद के लिए निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके हैं। मगर उनको जीत नहीं हासिल हुई थी। वहीं सोशल मीडिया पर उनके गाये हुए शिव तांडव स्त्रोत ने खूब सुर्खियां बटोरीं थी।

यहां से हुई गिरफ्तारी

रायपुर के एसपी प्रशांत अग्रवाल ने बताया है कि खुजराहो के बागेश्वरी धाम से सुबह चार बजे कालीचरण गिरफ्तार किया गया है। पुलिस कालीचरण को लेकर रायपुर के लिए रवाना हो गई है। शाम तक पहुंचने की उम्मीद है। इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।

वीडियो जारी कर कहा - फांसी भी हो जाए तो मलाल नहीं

26 दिसंबर को रायपुर में केस दर्ज होने के बाद कालीचरण महाराज कालीचरण ने आठ मिनट का एक और वीडियो जारी किया। इसमें उन्‍होंने कहा था कि महात्‍मा गांधी को गाली देने का मुझे कोई अफसोस नहीं है। मुझे फांसी भी दे दोगे तब भी मैं अपने सुर बदलने वाला नहीं हूं। ऐसी एफआईआर से मुझ पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है। मैं, गांधी विरोधी हूं और इसके लिए फांसी भी मुझे स्‍वीकार है।

इस्‍लाम, गांधी और गोडसे पर क्या कहा था?

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 25 और 26 दिसंबर को धर्मसंसद आयोजित की गई थी। धर्म संसद में देशभर से साधु-संतों ने हिस्‍सा लिया था। इसी सभा में कालीचरण महाराज ने महात्‍मा गांधी के हत्‍यारे नाथूराम गोडसे की तारीफ की जबकि महात्‍मा गांधी पर अभद्र टिप्‍पणी की थी। कालीचरण महाराज ने धर्म संसद में कहा था कि इस्लाम का लक्ष्य राजनीति के माध्यम से राष्ट्र पर कब्जा करना है। हमारी आंखों के सामने उन्होंने 1947 में कब्जा कर लिया। मुसलमानों ने पहले ईरान, इराक और अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा किया और बाद में राजनीति के माध्‍यम से पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश पर। मैं, नाथूराम गोडसे को सलाम करता हूं कि उन्‍होंने मोहनदास करमचंद गांधी की हत्‍या की।

रायपुर में कालीचरण महाराज ने कहा था कि राष्ट्रपिता बनाना है तो छत्रपति शिवाजी, राणा प्रताप और सरदार पटेल जैसे लोगों को बनाना चाहिए, जिन्होंने राष्ट्रकुल को एकत्र करने का काम किया। देश का बंटवारा होने के लिए उन्होंने महात्‍मा गांधी को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु की फांसी रुकवाने के लिए कुछ नहीं किया।

कालीचरण की रायपुर धर्मसंसद से पहले की भी एक विवादित वीडियो इन दिनों वायरल हो रही है। यह वीडियो पुणे में एक कार्यक्रम का बताया जा रहा है। 19 दिसंबर को पुणे में हुए कार्यक्रम में कालीचरण महाराज के अलावा मिलिंद एकबोटे, नंदकुमार एकबोटे, मोहन शेटे और दीपक नागपुरे भी थे। पुणे पुलिस ने इन सभी के खिलाफ केस दर्ज किया है।

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