Begin typing your search above and press return to search.
जनज्वार विशेष

दलितों को बेइज्जत कर इज्जत देने की परंपरा कब बंद होगी

Janjwar Team
3 Jun 2017 12:33 AM GMT
दलितों को बेइज्जत कर इज्जत देने की परंपरा कब बंद होगी
x

जनज्वार। अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई सवर्ण नेता किसी दलित के घर में या साथ में खाना खाता है तो खबर बनती है। अखबार और टीवी वाले उस न्यूज को प्राथमिकता से फ्लैश करते हैं? साथ में बैठे खाना खाने वाले दलित की फोटो को वह तरह—तरह से हाईलाइट करते हैं। बकायदा जोर देकर बताते हैं कि यह ऐतिहासिक है कि फलां बड़े नेता ने आज दलित के साथ बैठकर खाना खाया।

गोया दलित इंसान नहीं जानवर हों! इक्कीसवीं सदी में भी दलित के साथ खाना एक प्रचार, एक आश्चर्य और सबसे बढ़कर जातिगत अहसान की तरह है।

हद तो तब हो गयी जब 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के मौके पर भी जब यही अहसान मीडिया और भाजपा ने गाया—गुनगुनाया।

कल 14 अप्रैल को डॉ आंबेडकर का 126वां जन्मदिन था। देश के सभी इलाकों में आंबेडकर के अनुयायियों और समर्थकों द्वारा उनका जन्मदिन मनाया गया। अनुयायियों ने आंबेडकर का जन्मदिन इस संकल्प के साथ मनाया कि वे उनके बताए राजनीतिक सिद्धांतों और मुल्यों को जीवन में अपनाएंगें और दूसरों को प्रेरित करेंगे।

आंबेडकर की जन्मस्थली मध्यप्रदेश में महू में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में हुए भोज के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य सरकार के कुछ मंत्री और मुंबई की सांसद व भारतीय जनता युवा मोर्चा की अध्यक्ष पूनम महाजन भी शामिल हुईं।

कार्यक्रम के भोज की एक तस्वीर छपी जिसको भाजपा ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर शेयर किया।

इस तस्वीर में दलितों के यहां खाने का नाटक एक कदम और आगे बढ़ा है। अबकी भाजपा सांसद पूनम महाजन ने दलित के हाथ से खाना खाया और अखबार में कैप्शन छपा है, 'दलित के हाथों सांसद ने खाना खाया, मुख्यमंत्री—मंत्री भी थे साथ में।'

गौर करने वाली बात यह है कि पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दलित ने खाना नहीं खिलाया बल्कि ब्राम्हण पूनम महाजन को खिलाया।

बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच संयोजक कुलदीप बौद्ध कहते हैं, 'अखबार में छपा कैप्शन जहां पत्रकारिता में पसरी जातीय भावना को साफ करता है, वहीं भाजपा द्वारा उस तस्वीर को ट्वीटर के जरिए प्रसारित करना बताता है कि भाजपा दलितों की बराबरी की बात चाहे जितनी कर ले उसकी मानसिकता गैर—बराबरी वाली ही है।'

बसपा प्रवक्ता रितु सिंह की राय में, 'इस तरह की खबरें दलितों को बेइज्जत कर न सिर्फ इज्जत देने का दिखावा करती हैं, बल्कि यह दलित अस्मिता पर हमला भी है। ऐसी खबरों का ढोल—नगाड़ों के साथ छपना बंद होना चाहिए। मोदी जी को सबसे पहले मन की बात अपने कार्यकर्ताओं के लिए करना चाहिए कि वह जातिगत मानसिकता से उबरें, सिर्फ फोटो न खिचाएं।'

गौरतलब है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 2013 में महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर के दिन कांग्रेसी नेताओं के साथ तीन सौ दलित परिवारों के घर रात बिताई और सहभोज का लुत्फ उठाया था तो पिछले वर्ष भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दलित के यहां भोजन कर सुर्खियां बटोरी थीं।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध