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चुनावी पड़ताल 2019

यूपी में इन 3 सीटों पर भाजपा को ढूंढ़े नहीं मिल रहे 'जिताऊ' प्रत्याशी

Prema Negi
14 April 2019 12:36 PM GMT
यूपी में इन 3 सीटों पर भाजपा को ढूंढ़े नहीं मिल रहे जिताऊ प्रत्याशी
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प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगाने के लिए मंथर गति से जारी है मंथन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा छोड़ी गई गोरखपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव में हार के बाद सकते में आए वरिष्ठ भाजपाई इस सीट पर किसको उतारें नहीं कर पा रहे हैं तय...

देवरिया से अरविंद गिरि की रिपोर्ट

जनज्वार। लोकसभा चुनाव की दुंदुभी बज चुकी है, लेकिन गोरखपुर-बस्ती मंडल की अधिकतर सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान बाकी है। तीन लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा अभी तक प्रत्याशी खोज नहीं पाई है, तो समाजवादी पार्टी अभी भी तीन में दो सीटों पर ही प्रत्याशी उतार सकी है, जबकि कांग्रेस को चार सीटों पर उम्मीदवार की तलाश जारी है।

हालांकि, बसपा ने अधिकारिक रूप से प्रत्याशियों का ऐलान तो नहीं किया है, लेकिन सभी लोकसभा क्षेत्रों में प्रभारियों को ही प्रत्याशी के रूप में पेश कर प्रचार शुरू कर दिया है।

गोरखपुर में सातवें तो बस्ती मंडल में छठवें चरण में चुनाव

गोरखपुर-बस्ती मंडल में नौ लोकसभा सीटें हैं। छह लोकसभा सीट गोरखपुर मंडल में तो तीन बस्ती मंडल में हैं। बस्ती मंडल की बस्ती, डुमरियागंज व संतकबीरनगर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव छठवें चरण में होने हैं तो गोरखपुर मंडल की गोरखपुर सदर, बांसगांव, देवरिया, सलेमपुर, कुशीनगर, महाराजगंज सीट पर सातवें चरण में चुनाव है।

भाजपा इन तीन सीटों पर उहापोह में

भारतीय जनता पार्टी को तीन सीटों पर प्रत्याशी तय करने में पसीना बहाना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा छोड़ी गई गोरखपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव में हार के बाद सकते में आए वरिष्ठ भाजपाई इस सीट पर किसको उतारे, यह तय नहीं कर पा रहे हैं। प्रत्याशी को लेकर उहापोह का आलम यह है कि टिकट के दो दावेदारों को पार्टी में शामिल कराने से भी भाजपा ने परहेज नहीं किया।

संगठन ने निषाद समाज के कद्दावर नेता रहे पूर्व मंत्री जमुना निषाद की पत्नी पूर्व विधायक राजमति निषाद व बेटे अमरेंद्र निषाद को पार्टी में शामिल कराया। यही नहीं उपचुनाव में जिस प्रत्याशी प्रवीण निषाद से हार का सामना करना पड़ा, उसे भी पार्टी में शामिल करा लिया। निषाद पार्टी से भाजपा ने यह सीट जीतने के लिए गठबंधन भी कर लिया।

अब भाजपा के सामने और विकट स्थिति पैदा हो गई है। बाहरी को प्रत्याशी बनाए तो कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है और पार्टी में टिकट के नाम पर जिनको शामिल कराया है उनसे वादाखिलाफी की तो बगावत की किरकिरी झेलनी पड़ सकती है।

संतकबीरनगर लोकसभा सीट पर भी बीजेपी प्रत्याशी चयन में सफल नहीं हो सकी है। बीते दिनों जूताकांड की वजह से संगठन में ही गुटबाजी शुरू हो चुकी है। सांसद शरद त्रिपाठी का विरोध ठाकुर लॉबी कर रही तो ब्राह्मण लाबी हर कीमत पर निवर्तमान सांसद को टिकट दिलाने की कोशिश में है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जूताकांड के बाद संगठन द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से नाराजगी जताई जा चुकी है। ऐसे में कार्रवाई की बजाय सांसद शरद त्रिपाठी को पुनः प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर उहापोह की स्थिति है।

भाजपा और हिंदू युवावाहिनी में टकराहट

यह मुख्य टकराहट हिंदू युवावाहिनी और भाजपा के बीच है। चूंकि हाईकमान ने कई लोगों को दरकिनार कर सीधे हिंदू युवावाहिनी के योगी को यूपी का मुख्यमंत्री बना दिया था, जिससे कई भाजपाई नाराज चल रहे थे। योगी आदित्‍यनाथ के विरोधियों का गुट इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को यूपी खासकर पूर्वांचल से हरवाने के लिए जी जान से जुट गया है। भाजपा-संघ के अंदरखाने के योगी विरोधी नेता पूर्वांचल की हर सीट पर कोई न कोई बवाल खड़ा कर रहे हैं, ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कुछ सीटों की हार का ठीकरा योगी के सिर पर फोड़ा जा सके। केन्‍द्रीय नेतृत्‍व ने जबसे योगी आदित्‍यनाथ को प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बनाया है, तभी से उनके विरोधी भाजपाइयों का ग्रुप उनके पीछे पड़ा हुआ है। वे जगह जगह जाते हैं और यह कहते हैं कि योगी आदित्‍यनाथ तो कोई काम ठीक नहीं कर रहे हैं, योगी को कोई अनुभव ही नहीं है कि किस प्रकार काम करना चाहिए। योगी को नीचा दिखाने की साजिश लोकसभा के उपचुनाव में भी उनके विरोधियों ने रची थी। विपक्ष से भी ज्यादा सक्रिय योगी विरोधी गुट सोशल मीडिया पर भी उनका दुष्प्रचार करता रहता है।

—अरुण सिंह

देवरिया संसदीय सीट भी बीजेपी के लिए एक मुश्किल भरा निर्णय साबित हो रहा है। यहां से दिग्गज भाजपाई कलराज मिश्र के हटने के बाद दर्जन भर से अधिक भाजपाई दावेदारी पेश किए हैं। इन दावेदारों के बीच स्थिति ऐसी है कि कई बार आपस में ही भिड़ चुके हैं। सोशल मीडिया पर एक दूसरे के प्रति जहर उगल रहे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो किसी एक के नाम पर मुहर लगते ही अंदेशा है कि बगावत के सुर न बुलंद हो जाएं। अब संगठन एक बीच का रास्ता निकालने में जुटा हुआ है, लेकिन अभी तक सफल नहीं हो सका है।

सपा के हिस्से में महागठबंधन से तीन सीटें मिली है। कुशीनगर, गोरखपुर व महराजगंज। कुशीनगर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के ऐलान के बाद बगावत का झंड़ा बुलंद हो गया है। यहां से सपा के दावेदार पूर्व सांसद बालेश्वर यादव का टिकट काटकर एनपी कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया गया है। बालेश्वर यादव ने बगावत का ऐलान कर दिया। हालांकि अखिलेश यादव के पुनर्विचार के आश्वासन के बाद यहां शांति है।

गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से सपा सांसद प्रवीण निषाद के भाजपा में जाने के बाद सपा ने यहां पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को प्रत्याशी बना दिया है, लेकिन महराजगंज संसदीय क्षेत्र में अभी भी प्रत्याशी का चयन पूरा नहीं हो सका है। चर्चा यह भी है कि सपा यह सीट बसपा से बदलने की फिराक में है। हालांकि, अभी तक अधिकारिक रूप से इस पर कोई कुछ कहने से बच रहा।

कांग्रेस को भी नहीं मिल रहे टक्कर देने वाले प्रत्याशी

कई दशकों तक गोरखपुर-बस्ती मंडल की प्रत्येक सीटों पर एकतरफा जीत हासिल करने वाली कांग्रेस के पास जिताउ प्रत्याशियों का टोटा साफ नजर आ रहा है। हालांकि, प्रत्याशी चयन के बाद कांग्रेस में भी विरोध के स्वर सड़क तक गूंजने लगे हैं। कांग्रेस ने कुशीनगर से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को, देवरिया से नियाज अहमद, बांसगांव से पूर्व पुलिस अधिकारी कुश सौरभ, संतकबीरनगर से परवेज आलम व महराजगंज से पूर्व सांसद हर्षवर्धन की पुत्री पूर्व पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत को प्रत्याशी बनाया है। अभी भी चार सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी तय नहीं कर सकी है। इन सीटों पर पार्टी को कोई ढंग का प्रत्याशी तक नहीं मिल पा रहा है जो कम से कम लड़ाई में आ सके।

बसपा अभी प्रभारियों के भरोसे कर रही चुनाव प्रचार

बहुजन समाज पार्टी को नौ सीटों में छह सीटें महागठबंधन से मिली हैं। इन सभी सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा प्रभारी बनाकर उनको प्रत्याशी के रूप में पेश करते हुए चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है, लेकिन अभी तक प्रत्याशियों की आधिकारिक घोषणा नहीं हो सकी है।

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