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सिक्योरिटी

अर्धकुंभ के धार्मिक पौराणिक मेले को भाजपा ने बना दिया है सरकारी इवेंट

Prema Negi
20 Jan 2019 5:59 AM GMT
अर्धकुंभ के धार्मिक पौराणिक मेले को भाजपा ने बना दिया है सरकारी इवेंट
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केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को समझना चाहिए कि कुंभ में डुबकी लगाने के आंकड़ों की बाजीगरी से उसे हकीकत की जमीन पर नहीं उतारा जा सकता...

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

प्रयागराज में इस बार अर्धकुंभ है, लेकिन यह चुनावी साल है इसलिए सरकार ने इसे कुंभ का नाम दिया है और दिव्य कुंभ को भव्य बनाने के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला प्रयागराज अर्धकुंभ 15 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ शुरू हो गया। यह 15 जनवरी से 4 मार्च तक कुल 49 दिन चलेगा।

इस बार कुंभ में करीब 13 से 15 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है। इसमें करीब 10 लाख विदेशी नागरिक शामिल होंगे। यूपी सरकार कुंभ 2019 को अब तक का सबसे दिव्य और भव्य कुंभ बता रही है, लेकिन सरकार के इवेंट में यह धार्मिक पौराणिक मेला कहीं खो सा गया है। कुंभ में अखाड़ों को सबसे अच्छा स्थान बसने के लिए मिला है लेकिन मेले की आत्मा कल्पवासियों में बसती है, वे सर्वाधिक उपेक्षित हैं। उन्हें संगम से इतनी दूर बसाया गया है कि उनके लिए 20 किलोमीटर आ-जाकर संगम स्नान सपने सरीखा हो गया है।

पहली बार मेला क्षेत्र करीब 45 वर्ग किमी के दायरे में फैला है। पहले यह सिर्फ 20 वर्ग किमी इलाके में ही होता था। मेले में 50 करोड़ की लागत से 4 टेंट सिटी बसाई गई हैं, जिनके नाम कल्प वृक्ष, कुंभ कैनवास, वैदिक टेंट सिटी, इन्द्रप्रस्थम सिटी हैं। कुंभ के दौरान प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर बस जाता है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुंभ के आयोजन पर 4300 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं । इस बार कुंभ की थीम- स्वच्छ कुंभ और सुरक्षित कुंभ है। सरकार ने 10 करोड़ लोगों के मोबाइल पर मैसेज भेजकर उन्हें कुंभ में आने का निमंत्रण भी दिया है।

मुख्य स्नान पर्व

कुंभ में 6 मुख्य स्नान पर्व हैं, जिनमें पहला शाही स्नान 15 जनवरी को मकर संक्रांति को सम्पन्न हो गया। दूसरा शाही स्नान 21 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर तथा तीसरा शाही स्नान 4 फरवरी को मौनी अमावस्या पर होगा। इसके अलावा 10फरवरी को बसंत पंचमी, 19 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 4 मार्च को शिवरात्रि का स्नान पर्व है।

कुंभ या अर्धकुंभ

भारत में 4 जगहों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक पर कुंभ होता है। इनमें से हर स्थान पर 12वें साल कुंभ होता है। प्रयागराज में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। प्रयागराज में पिछला कुंभ 2013 में हुआ था। 2019 में यह अर्द्धकुंभ है। हालांकि यूपी सरकार ने इसे कुंभ बना दिया है। प्रयागराज में पूर्ण कुंभ 2025 में होगा।

वास्तव में प्रयागराज में कुंभ मेला मकर संक्रांति के दिन शुरू होता है। जब सूर्य और चंद्रमा वृश्चिक राशि में और बृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तब कुंभ मेला मकर संक्रांति या पौष पूर्णिमा, दोनों में जो पहले पड़े, के दिन से शुरू होता है। यह ज्योतिषीय संयोग प्रत्येक 12 वर्षों पर होता है।

जमकर हो रहा पैसा खर्च

मेले के आयोजन में इस बार राज्य सरकार ने जमकर पैसा खर्च किया है। राज्य सरकार की 20 और केंद्र सरकार की 6 संस्थाएं और विभाग लगे हैं। मेला क्षेत्र में पीने के पानी के लिए 690 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई गई है। साथ ही 800 किमी लंबाई में बिजली की सप्लाई पहुंचाई गई है। 25 हजार स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं। 7 हजार स्वच्छता कर्मी और 20 हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। 4 पुलिस लाइन समेत 40 पुलिस थाना, 3 महिला थाना, 62 पुलिस पोस्ट बनाई गई हैं।

पहली बार कुंभ में 2 इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड एंड सेंटर बनाए गए हैं। यह मेला क्षेत्र में आने वाली भीड़ और ट्रैफिक को नियंत्रित करने और सुरक्षित बनाने का काम करेगा। एक सेंटर पर करीब 116 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है। पहली बार में ऑर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल हो रहा है, यह भीड़ का मैनेजमेंट करेगी। श्रद्धालुओं के लिए वर्चुअल रियलिटी(वीआर) सेवा उपलब्ध कराने के लिए 10 स्टाल बनाए गए हैं। मेले में 4 टेंट सिटी, इसमें एक लाख कॉटेज हैं।

2013 के बजट से तीन गुना ज्यादा रकम आवंटित

प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले के लिए 4200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। कुंभ 2019 के लिए जारी बजट की राशि 2013 के महाकुंभ के बजट का तीन गुना है। इस बार कुंभ मेले का क्षेत्र भी दोगुना यानी 3200 हेक्टेयर किया गया है। प्रयागराज में आयोजित कुंभ के पहले स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से फूलों की बारिश भी की गई।

मकर संक्रांति पर 2 करोड़ लोगों के स्नान करने पर उठे सवाल

मकर संक्रांति के स्नान के बाद तकरीबन शाम 5:00 बजे मेला प्रशासन ने दावा किया कि 14 जनवरी को 56 लाख से अधिक और 15 जनवरी को एक करोड़ 40 लाख लोग यानी कुल 2 करोड़ से अधिक लोगों ने कुम्भ में स्नान किया। मेला प्रशासन के इस दावे में कहा गया कि यह मोटा मोटा अनुमान है। इस आंकड़े से पर सवाल उठ रहे हैं।

पिछले कुंभ में पहली बार सांख्यिकी के पॉलिनामियल विधि से भीड़ के आने का अनुमान लगाने का दावा किया गया था। लेकिन इससे इतर एक सामान्य विधि से सांख्यकी के जानकार बताते हैं कि एक आदमी को स्नान करने के लिये प्वॉइंट 25 स्कवायर मीटर की जगह चाहिये। उसे नहाने में 15 मिनट का वक्त लगेगा। ऐसे में एक घंटे में 12 हज़ार 500 लोग स्नान कर सकते हैं। अगर 18 घंटे लगातार स्नान चलेगा तो 2 लाख 25 हज़ार लोग ही स्नान कर सकते हैं।

कुंभ क्षेत्र में तकरीबन 35 घाट ही बनाये गए हैं; इन घाटों में कितनी भीड़ स्नान कर रही इसकी कोई सटीक विधि मेला प्रशासन के पास नहीं है। दरअसल भारी भरकम बजट को न्यायोचित ठहराने के लिए ज्यादा से ज्यादा भीड़ के दावे प्रशासन करता है।

शहर के बस स्टैंहड और रेलवे स्टेशन पर भीड़ का नामोनिशान नहीं था। रेलवे स्टेशन पर भीड़ तो नज़र नहीं आई पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिये स्टेशन के पास लगे बैरियर से यात्री और आम शहरी परेशान होते नज़र आये। रेल विभाग ने 37 मेला स्पेशल ट्रेनें चलाई थीं इसमें 200 रेगुलर ट्रेनें भी जोड़ दें और साथ में 500 मेला स्पेशल बस, लोगों के प्राइवेट वाहन के आंकड़े को भी मिला लें तो भी इतने लोग 50 लाख की आबादी वाले प्रयागराज शहर में नहीं आ सकते। इससे साफ़ है कि कुंभ में डुबकी लगाने के आंकड़ों की बाजीगरी से उसे हकीकत की जमीन पर नहीं उतारा जा सकता।

'स्वच्छ कुंभ' के दावों की खुली पोल

स्वच्छ कुंभ का दावा करते हुए प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने यहां 1,20,000 शौचालय बनाने की बात का व्यापक रूप से प्रचार किया था, लेकिन मकर संक्रांति के अवसर पर कुंभ के प्रथम शाही स्नान के दौरान बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच करते देखे गए, क्योंकि अधिकांश शौचालयों में जलापूर्ति के लिए नल ही नहीं लगाये गये हैं। शहर की गलियों और घाटों के पास शौचालयों को देखकर लगता है कि तैयारी की गई है, लेकिन पानी की कमी के कारण कई शौचालय काम नहीं कर रहे हैं या उनमें गंदगी अटी पड़ी है।

मोक्ष स्नान के लिए करना पड़ा लंबा पैदल मार्च

कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को संगम तक पहुंचने के लिए 12 से 14 किमी तक पैदल चलना पड़ा।जो श्रद्धालु उसी दिन आकर वापस लौटे, उन्हें 20 से 24 किलो मीटर पैदल चलना पड़ा। यहाँ तक कि मेले में नागवासुकी, सलोरी और फाफामऊ तक बसाये गये श्रद्धालु और पूरे मेले तक रेती में रहने, तीन समय स्नान और एक समय भोजन करने वाले क्ल्प्वसिओन में अधिकांश संगम स्नान से वंचित रह गये और उन्हें संगम के बजाय गंगा में ही स्नान करके संतोष करना पड़ा।

कुंभ के दौरान मुख्य स्नान पर्वों पर दूसरे जिलों और प्रदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं की राह आसान नहीं रही। पहले स्नान पर्व पर बस आदि बड़े वाहनों को शहर के बाहर ही रोक दिया गया वहां से उन्हें पैदल लंबा रास्ता तय कर संगम तक पहुंचना पड़ा। पहले स्नान पर्व पर मेला क्षेत्र की तरफ चारपहिया, दो पहिया वाहनों के साथ ई-रिक्शा का प्रवेश भी प्रतिबंधित था। आगे भी यही स्थति रहेगी।

कुंभ मेले में कई बार लगी आग

प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले के सेक्टर 13 में शनिवार को एक टेंट में आग लग गई। मौके पर पहुंची अग्निशमन विभाग की टीम ने जल्द ही आग पर काबू भी पा लिया, जिससे कोई बड़ा हादसा होने से टल गया। इस हादसे में एक टेंट जलकर खाक हो गया, हालांकि किसी भी व्यक्ति के घायल होने की सूचना नहीं है।

गौरतलब है कि कुंभ मेले की शुरुआत में ही 14 जनवरी को दिगंबर अखाड़े के टेंट में आग लग गई थी। इस आग में लगभग एक दर्जन टेंट आग की चपेट में आ गए थे। आग की चपेट में आने से टेंट में मौजूद सारा सामान जलकर खाक हो गया था। 14 जनवरी को हुए हादसे में भी किसी की जान जाने की बात सामने नहीं आई थी।

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