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सिक्योरिटी

भितरघात से बचे जोगेंद्र तो दोबारा बन सकते हैं हल्द्वानी के मेयर

Prema Negi
21 Oct 2018 4:37 PM GMT
भितरघात से बचे जोगेंद्र तो दोबारा बन सकते हैं हल्द्वानी के मेयर
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विरोधी भी जोगेंद्र को जिताने की बात करते नजर तो आ रहे हैं और अगर वे भितराघात करने से बाज आये तो जोगेंद्र सीट निकाल भी सकते हैं, चूंकि कालाढूंगी और लालकुंआ विधानसभा क्षेत्र भाजपा की बाहों में ही है...

हल्द्वानी से संजय रावत की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तराखंड में आजकल निकाय चुनाव की बयार चल रही है। यहां जनपद नैनीताल में हल्द्वानी, विधानसभा और मेयर की नजर से हॉट सीट मानी जाती है, जहां कांग्रेस का ही बोलबाला ज्यादा रहा है। पिछले मेयर (भाजपा) की सीट को नजरअंदाज कर दिया जाए तो इस सीट पर हमेशा ही कांग्रेस काबिज रही है। टिकिट आवंटन की शुरुआत हो चुकी है और भाजपा ने अपने प्रत्याशी के तौर पर पिछले मेयर जोगेंद्र रौतेला को ही दोहराया है।

रौतेला के कार्यकाल को लोग अलग नजरिये से देखते कहते सुनते पाए जा रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं कि साफ छवि और ईमानदार व्यक्तित्व के चलते उन्हें दोबारा टिकिट दिया गया तो कुछ कहते है कि वे अपने कार्यकाल में कोई काम नही कर सके।

बहरहाल हल्द्वानी में मेयर का ये चुनाव बहुत दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि एक तो इस बार 25 वार्ड वाला नगर निगम गांव जोड़ देने के बाद 60 वार्ड का हो गया है, जिसकी सीमा में 3 विधानसभा क्षेत्र (हल्द्वानी, कालाढूंगी और लालकुंआ) आते हैं। यानी अब चुना जाने वाला मेयर अकेले ही 3 विधायकों का रसूख रखेगा। दूसरा ये कि पार्टी के अंदर ही जोगेंद्र रौतेला के टिकिट का विरोध खुलकर सामने भी आया है।

मेयर का टिकिट पाने के लिए पार्टी के अंदर ही विरोधियों के 200 कार्यकर्ताओं ने निगम में हुए 'भ्र्ष्टाचार का पुलिंदा' लेकर देहरादून कूच किया था। बावजूद इसके जोगेंद्र टिकिट हासिल करने में कामयाब रहे।

यूं तो मेयर के कार्यकाल में काम न होने की वजह ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि स्थानीय विधाक (कांग्रेस) ने निगम में अपनी जी हुजूरी करने वाले प्रशासक नियुक्त कर मेयर जोगेंद्र के बाजू पूरी तरह से 'मरोड़' दिए थे, लेकिन बावजूद इसके मेयर साहब स्थानीय विधायक के सामने और पीठ-पीछे उन्हें विकास की देवी कहकर ही कार्यकाल गुजार गए।

जाने कैसा मैनेजमेंट रहा स्थानीय विधायक का कि किसी प्रतिरोध के स्वर नगरवासियों ने उनके मुंह से न सुने, न देखे। भाजपा के इतने बड़े संगठन और कैडर के बाद भी स्थानीय विधायक के खिलाफ कोई प्रतिरोध कभी नहीं दिखाई दिया।

इस सारे मंजर के बावजूद जोगेंद्र रौतेला को टिकिट मिलने की दो बड़ी वजहें दिखती हैं। पहली ये कि उन्होंने नगर निगम में भाजपा की उपस्थिति दर्ज कर कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ा और दूसरी वजह यह कि जोगेंद्र रौतेला ने विधानसभा चुनाव में भारी मतों से जीतने वाली कांग्रेसी विधायक को कड़ी टक्कर दी थी।

खैर अब विरोधी भी जोगेंद्र को जिताने की बात करते नजर तो आ रहे हैं और अगर वे भितराघात करने से बाज आये तो जोगेंद्र सीट निकाल भी सकते हैं, चूंकि कालाढूंगी और लालकुंआ विधानसभा क्षेत्र भाजपा की बाहों में ही है।

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