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राजनीति

अब प्रतापगढ़ शेल्टर होम से 23 बच्चियां गायब, देवरिया कांड की जांच सीधे हाईकोर्ट की देखरेख में

Prema Negi
9 Aug 2018 4:28 AM GMT
अब प्रतापगढ़ शेल्टर होम से 23 बच्चियां गायब, देवरिया कांड की जांच सीधे हाईकोर्ट की देखरेख में
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भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और देवरिया से सांसदी लड़ने की तैयारी में लगे शलभ मणि त्रिपाठी देवरिया के शेल्टर होम की मालकिन गिरिजा त्रिपाठी की बेटी और शेल्टर होम अधिक्षिका से हो चुके हैं सम्मानित, प्रतापगढ़ की बालिका गृह की संचालिका है भाजपा महिला प्रकोष्ठ की नेता

कोर्ट ने पूछा योगी सरकार से देवरिया बाल गृह के इतने बड़े अमानवीय कृत्य में सिर्फ चार अधिकारियों पर ही कार्रवाई क्यों, जबकि इसमें नपने चाहिए और कई लोग...

अरविंद गिरि की रिपोर्ट

जनज्वार। देवरिया में 18 बच्चियां गायब होने के अलावा उत्तर प्रदेश के ही प्रतापगढ़ के दो आश्रय गृहों से 26 महिलाएं गायब होने का खुलासा हुआ है। यहां के अष्टभुजानगर और अचलपुर में चल रहे आश्रय गृहों में डीएम ने कल दिन में छापा मारा था, यहां देर रात तक केवल छह महिलाएं ही मिलीं। आश्रय संचालिकाओं से मामले की पूछताछ की जा रही है।

गौर करने वाली बात है कि अष्टभुजानगर स्थित जागृति महिला स्वाधार आश्रय की संचालिका रमा मिश्रा 2013 में भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष व सभासद रह चुकी हैं। वह तीन साल से भी अधिक समय से महिला आश्रय का संचालन कर रही हैं।

गौरतलब है कि प्रतापगढ़ के अष्टभुजानगर में जागृति स्वाधार महिला आश्रय है। यहां कल 8 अगस्त को दिन में जिलाधिकारी शंभु कुमार ने छापा मारा था। इस दौरान संचालिका ने आश्रय में रहने वाली महिलाओं की संख्या 16 बताई थी, मगर मौके पर केवल एक महिला रजिया ही मिली थी। अन्य महिलाओं के बारे में संचालिका रमा मिश्रा ने बताया था कि वह काम करने के लिए बाहर गई हैं।

प्रशासन रात तक महिलाओं का इंतजार करता रहा, मगर रात करीब दस बजे कोई महिला नहीं आई। एसडीएम सदर एसपी सिंह दलबल के साथ आश्रय पहुंचे, जहां तीन महिलाएं ही मिलीं। रजिस्टर में महिलाओं की संख्या 16 से बढ़कर 17 कर दी गई। 14 महिलाएं आश्रय से गायब मिलीं। महिलाओं के न होने पर संचालिका ने सफाई दी कि महिलाएं नहीं लौटी हैं। उनकी तलाश की जा रही है। इसी तरह अचलपुर में चल रहे आश्रयगृह में 15 में से सिर्फ तीन महिलाएं रात तक जांच टीम को मिली, जबकि 12 महिलाओं की कोई खबर नहीं थी।

वहीं देवरिया नारी संरक्षण गृह कांड की सीबीआई जांच की मॉनिटरिंग अब इलाहाबाद हाईकोर्ट करेगा। ऐसा कदम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उठाया है। संरक्षण गृह में रहने वाली बच्चियों/लड़कियों को सेक्स रैकेट में शामिल होने की घटना को लेकर अदालत के तेवर काफी सख्त हैं। कोर्ट ने योगी सरकार को कड़े शब्दों में निर्देश दिया है कि वह उन लोगों का जल्द से जल्द पता लगाए जो सेक्स रैकेट चलाने वालों को संरक्षण दे रहे हैं। साथ ही कोर्ट ने योगी सरकार और सीबीआई को इसमें पूरी जानकारी 13 अगस्त को उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

देवरिया आश्रय गृह में सेक्स रैकेट चलाए जाने वाले मामले की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ कर रही है। कोर्ट ने योगी सरकार से सवाल किया है कि जब नारी निकेतन को सरकारी मदद बंद कर ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था तो फिर पुलिस लड़कियों को वहां क्यों भेजती रही। साथ ही वे दो कारें किसकी थीं, जो रात में वहां से लड़कियों को लेकर जाती थीं और सुबह वापस छोड़ जाती थीं।

देवरिया शेल्टर होम में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि इतने बड़े अमानवीय कृत्य में सिर्फ चार पुलिस अधिकारियों पर शासन ने कार्रवाई की गई है, जो बहुत कम है जबकि इसमें और कई लोग नपने चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी का गिरिजा त्रिपाठी की बेटी कंचनलता त्रिपाठी ने पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया था। शेल्टर होम के दोषियों में कंचनलता की प्रमुख भूमिका है। संस्था को कद्दावर स्थिति में पहुंचाने के लिए कोई कसर न छोडते हुए आश्रय गृह प्रबंधन ने भाजपा प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी का बालगृह में स्वागत कर सरकार की योजनाओं में सहभागिता दी थी।

देवरिया शेल्टर होम से गायब लड़कियां

देवरिया बालिका आश्रय गृह की 18 लड़कियों का अभी तक कोई सुराग नहीं है। इनमें बनकटा ब्लाक के खुरवसिया की लडकी भी शामिल है। उसका अब तक कोई पता नहीं चल रहा है। लड़की के पिता अखबार पढकर अपनी बेटी से मिलने बाल गृह पहुंचे तो वहां का नजारा बदला हुआ देखकर हतप्रभ हुए और तत्काल पुलिस कप्तान रोहन पी कन्यप से मिले, जिस पर पुलिस कप्तान ने उन्हें आश्वस्त किया कि आपकी बेटी बहुत जल्द सुरक्षित मिल जायेगी। मगर गायब लड़की के पिता ने शासन—प्रशासन और पुलिस की गिरिजा त्रिपाठी के साथ आपसी सांठ गांठ का आरोप लगाया है।

बरहज ब्लॉक के एक गांव की लड़की किसी लड़के के साथ घर से भाग गई थी, जिस पर पुलिस ने लड़की की गिरफ्तारी के बाद मेडिकल कराने के लिए बालगृह में रखा था। उस लड़की के पिता ने आरोप लगाया है कि दस दिनों के दौरान मैं वहां आठ बार गया हूँ, परन्तु संचालिका और अधीक्षिका ने मुझे एक बार भी बेटी से नहीं मिलने दिया। ये लोग मेरे द्वारा भेजे गये सामान तक को मेरी बेटी तक नहीं पहुंचाते थे, हमेशा तानाशाही करती थीं।

तरकुलवा ब्लॉक के एक गांव की लड़की का मेडिकल परीक्षण कराकर पुलिस ने गिरिजा त्रिपाठी के बालगृह में छोड़ दिया और दूसरे दिन न्यायालय में बयान देने के बाद लड़की पुलिस कस्टडी से फरार हो गई। इस पर संचालिका गिरिजा त्रिपाठी ने किसी को कोई सूचना नहीं दी।

प्रतापगढ़ आश्रय गृह में गायब लड़कियों/महिलाओं की जांच करते अधिकारी

दो दिन बाद रहस्यमय तरीक़े से लड़की देवरिया बाल गृह में पुलिस के साथ पहुंची, जिसे कुछ समय बाद गिरिजा त्रिपाठी ने गोरखपुर संस्था में भेज दिया।

शासन में ऊपर तक पकड़ रखने वाली गिरिजा त्रिपाठी 25 वर्षों में करोडों की मालकिन बन गई। मजे की बात यह है कि एक ही रजिस्ट्रेशन और रजिस्टर से चार सेंटर गिरिजा त्रिपाठी अपनी लड़कियों कनकलता त्रिपाठी, कंचनलता त्रिपाठी और बहू से संचालित करवा रही थीं। इनमें बाल गृह स्टेशन रोड देवरिया, वृद्धाश्रम भुजौली कालोनी, तलाक और विधवा जमुना सलेमपुर और बाल गृह मोहद्दीपुर गोरखपुर शामिल हैं।

देवरिया शेल्टर होम में देह व्यापार का खुलासा करने वाली बच्ची की मां अब सामने आ गई है, जिससे इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है। बालिका गृह से भागकर देह व्यापार का खुलासा करने वाली बच्ची की मां जो कि बेतिया की रहने वाली है, ने बताया कि यह बच्ची उसकी है। उसके पास बतौर सबूत अपनी बच्ची का आधार कार्ड भी था। जबकि पुलिस का कहना था कि बच्ची की उसकी मां के मरने के बाद उसकी नानी रेलवे ट्रैक पर उसे छोड़ गई थी, जिसके बाद जीआरपी ने उसे गिरिजा त्रिपाठी के बालिका गृह में दाखिल कर दिया था।

पश्चिमी चंपारण जिले के बैरिया थाना क्षेत्र के सिसवां की रहने वाली ज्ञानती आज 8 अगस्त की सुबह अपनी एक बेटी के साथ देवरिया आई। यहां से वह सीधे बाल सदन पर पहुंची, जहां उसे उसकी बच्ची से नहीं मिलने दिया गया। इसके बाद वह स्टेशन रोड पर संचालित बालिका गृह के भवन के पास पहुंच कर रोने लगी। मामले की जानकारी होते ही लोगों की भीड़ जुट गई। लोगों के पूछने पर उसने बताया कि उसकी बेटी अनीसा करीब ढाई माह पूर्व घर से गायब हो गई थी। उसने इसकी तहरीर बैरिया थाने में दर्ज कराने के साथ ही अपने स्तर से काफी खोजबीन भी की, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। टीवी पर अपनी बेटी को देखने के बाद वह देवरिया आई है। अपने दावे की पुष्टि के लिए वह उसका आधार कार्ड अपने साथ लेकर आई थी।

देवरिया कांड के कुछ अनसुलझे सवाल

— लड़की के बयान के बाद छापा 5 अगस्त की रात को पड़ा लेकिन उसके एक हफ्ते पहले क्या हुआ था पुलिस और गिरिजा त्रिपाठी के बीच?

— बयान देने वाली बच्ची बिन मां के है और उसे नानी ने रेलवे ट्रैक पर छोड़ दिया था, जिसे प्रशासन ने खुद मां विंध्यवासिनी शेल्टर हाउस में रखवाया था, तो फिर बिहार की वो औरत कौन है जो उसे अपनी बच्ची बता रही है और उसका आधार कार्ड भी दिखा रही है?

— छापा पड़ने के पहले ही संचालिका ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पुलिस पर आरोप क्यों और किस चीज का लगाया था?

— क्या पहले से प्रशासन का शेल्टर हाउस रिप्लेस करने या बन्द करने का संचालिका पर कोई दबाव था या नहीं?

— गाड़ियों से आने वाले वो सफेदपोश कौन थे , उनके नाम सामने अभी तक नहीं आये क्यों?

— जब 2017 में इस संस्था की मान्यता रद्द कर दी गई थी तो प्रशासन खुद अनाथ ,बेसहारों और घर छोड़ के भागी लड़कियों को बरामद करने के बाद यहीं क्यों रखवाता था?

— जब प्रशासन खुद इस NGO की सहायता ले रहा था तो 2 सालों से इसका फण्ड क्यों रुका था?

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