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राजनीति

छत्तीसगढ़ नान घोटाले की सुनवाई टली

Janjwar Team
17 Aug 2017 4:38 PM GMT
छत्तीसगढ़ नान घोटाले की सुनवाई टली
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पिछले 30 महीने से नान घोटाले में आरोपित लोगों के परिजन अदालतों के दरवाजे एक के बाद एक खटखटा रहे हैं लेकिन अदालतें उन्हें लगातार सिर्फ और सिर्फ तारीख पर तारीख दे रही हैं

ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार बड़े अधिकारियों को घोटाले से छूट देकर आखिर कनिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई के नाम पर उन्हें क्यों बंदीगृहों में रखे हुए है...

जनज्वार, रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाले से सम्बन्धित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 16 अगस्त को सुनवाई की जानी थी, जो अचानक टल गई। इस मामले में पहले भी सुनवाई की तारीखें आगे बढ़ती रही हैं।

गौरतलब है कि 20 मार्च 2015 को नान घोटाले से संबंधित मामले में 12 कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई थी, जो आज तक जेल की सलाखों के पीछे हैं। यानी पूरे 30 माह की सजा काट चुके हैं और उन्हें अभी तक जमानत तक नहीं मिल पायी है।

जहां इस मामले में आरोपित लगभग 12 कर्मचारी पिछले 30 महीने से जेल की सजा काट रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ शासन के दो वरिष्ठ आईएए अधिकारियों पर भी समान अपराध दर्ज है, बाकायदा आरोप पत्र में उनका नाम दर्ज है, मगर इन दोनों को आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। सवाल उठता है कि आखिर राज्य सरकार समान आरोपों में आरोपित अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच ऐसा भेदभाव क्यों कर रही है।

गौरतलब है कि इस मामले में शीर्ष सत्ता पर बैठे लोगों पर भी लगातार उंगलियां उठती रही हैं। शायद यही वजह हो कि इसी डर से आईएएस अधिकारियों का बचाव किया जा रहा हो। नहीं तो कानून के हिसाब से तो सभी आरोपियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।

इस मामले में अभी तक मात्र दो लोगों की गवाही हुई है, 198 लोगों की गवाही होनी अभी बाकी है। इस सुस्त चाल में केस का अन्तिम फैसला कब होगा? गिरफ्तार कर्मचारियों में से अगर कोई एक भी निर्दोष साबित होता है तो उसने बिना किसी गुनाह के अब तक लगभग 3 साल की सजा काट ही ली है। क्या एसीबी इसकी जिम्मेदार नहीं होगी।

सवाल तो यह भी उठता है कि इस मामले में आरोपित दोनों आईएएस आॅफिसर्स को क्यों नहीं तत्काल बर्खास्त किया जाता और आखिर क्यों इस केस की सुनवाई की तारीखें ऐसे टाली जा रही हैं।

नान घोटाले में आरोपित कर्मचारियों के परिजनों ने इस मामले में मीडिया से न्याय की गुहार लगाते हुए और अपने मानवाधिकारों के संबंध में एक अपील जारी की थी जो इस केस को साफ तरीके से समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

नान घोटाले में आरोपित कर्मचारियों के परिजनों की मीडिया से न्याय के लिए अपील

भारतीय सामाजिक व्यवस्था में न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका के अतिरिक्त मीडिया एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसे समाज का चौथा स्तंभ कहा जाता है। मीडिया समाज से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाचक्रों, सामाजिक समरसता, सरकार की कार्यप्रणाली, सामाजिक स्तर पर अन्य प्रभावी घटकों से होने वाले परिवर्तनों के प्रभावों को जनता के समक्ष प्रस्तुत करने एवं अपने स्तर पर समाज में फैली अव्यवस्थाओं को जनता के समक्ष रखने की जिम्मेदारी निभाता रहा है।

जनमानस भी समाचार पत्रों में प्रकाशित तथा इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों द्वारा दिए गए समाचारों को पूर्ण विश्वास के साथ स्वीकार करती है। जनता यह मानकर चलती है कि मीडिया में दिए गए समाचार खोजबीन एवं विश्लेषण के बाद सही पाए जाने पर ही प्रकाशित किए जाते हैं।

पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ के एक विभाग नागरिक सेवा निगम (नान) के बारे में 'नान घोटाले' के नाम से समाचार नत्रों और चैनल में लगातार समाचार दिए जा रहे हैं। 12/2/2015 को ए.सी.बी./ई.ओ.डब्लू. द्वारा नान अधिकारियों के घरों तथा कार्य कार्यालयों के परिसरों में छापेमारी की कार्यवाही की गयी। इसमें राशि एवं संपत्तियां जब्त की गईं और जिम्मेदार मीडिया ने इसे भारी भ्रष्टाचार कहकर प्रचारित किया।

परिजनों ने कहा बिना जांच के ए.सी.बी. ने 12 कर्मचारियों को डाल दिया जेल में

नान घोटाले में आरोपित जेल में बंद कर्मचारियों के परिजनों के मुताबिक विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा इस तथाकथित नान घोटाले को पहले एक लाख करोड़ तथा बाद में 36,000 करोड़ का घोटाला कहकर राजनीतिक लाभ पाने के लिए धरना, प्रदर्शन तक किया गया। समाचार पत्रों एवं चैनलों में भी इस समाचार को विशेष महत्व देते हुए लगातार खबरें प्रकाशित की गयीं। इस मीडिया ट्रायल की वजह से ही 12 अधिकारियों/कर्मचारियों को 20/3/2015 को बिना कोई जांच—पड़ताल किए, संबंधियों से बिना कोई पूछताछ किए हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।

जबकि गिरफ्तारी के समय तक ए. सी. बी. / ई. ओ. डब्ल्यू. के पास कोई सबूत नहीं थे। यहां तक कि नगद राशि एवं संपत्ति के बारे में किसी से किसी तरह की पूछताछ नहीं की गई। सरकार के विरूद्ध प्रदेशभर में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के तहत हुए विरोध-प्रदर्शन,समाचार पत्रों में लगातार नाम घोटाले से संबंधित समाचार प्रकाशन के कारण ही ए. सी. बी. द्वारा बिना सफाई का अवसर दिए 12 अधिकारियों-कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया, जो अभी भी जेल में बंद हैं।

यहां यह उल्लेखनीय है तक ए.सी.बी. द्वारा समाचार पत्रों में दी गई जानकारियों के अनुसार ए. सी. बी. कार्यालय में कई अन्य प्रकरण हैं। इन प्रकरणों की जांच वषों से लंबित है, परंतु इस प्रकरण की जांच निर्धारित समयसीमा में कर 5000 पेज का चालान भी प्रस्तुत कर दिया गया। ए. सी. बी. द्वारा प्रस्तुत चालान में रुपए 5.18 करोड़ की राशि को अनावश्यक परिवहन पर व्यय कर शासन को हानि एवं प्रशासकीय धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया।

चालान जून 2015 में ही प्रस्तुत हो चुका है अत: रुपए 5.18 करोड़ की हानि की जानकारी विभाग से ली जा सकती है। उसके बाद भी इसे 36,000 करोड़ का घोटाला बताया जा रहा है और मीडिया इसे समय समय पर छापते भी रही है।

नान की पूरी कार्यवाही ऑनलाइन, लीकेज की कोई संभावना नहीं

नान घोटाले में आरोपित जेल में बंद लोगों के परिजन कहते हैं कि 5.18 करोड़ रुपये के घाटे के बारे में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम विभाग ने सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी दी है कि धान परिवहन में कोई हानि नहीं हुई। राज्य शासन ने भी विधानसभा में यह जानकारी दी है तक धान परिवहन, उपार्जन एवं भण्डारण में किसी विभाग को कोई वित्तीय हानि नहीं हुई।

इन तथ्यों के बाद भी इस प्रकरण को 36000 करोड़ का घोटाला लिखकर प्रचारित किया जा रहा है। क्या यहां मीडिया की यह जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वह सही स्थिति की जांच कर सत्य जनता के सामने रखे? मीडिया के बिना समुचित जांच के इस प्रकरण पर प्रकाशित समाचार इन 12 परिवारों पर हो रहे अत्याचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार द्वारा 2015 तथा 2016 में विधानसभा की कार्यवाही के दौरान प्रश्नोत्तर काल में तारांकित और अतारांकित प्रश्नों के उत्तर में स्पष्ट किया कि प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी. डी. एस.) पूरे देश में सवोत्तम है। नान की पूरी कार्यवाही ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से संचालित है, लीकेज की कोई संभावना नहीं है और पूरे प्रदेश में कहीं भी कोई अमानक चावल नहीं खरीदा गया।

जब नहीं हुई वित्तीय अनियमितता तो क्यों हैं 12 कर्मचारी जेल में

आरोपितों के परिजन कहते हैं इन सब तथ्यों की पुष्टि वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए मार्च 2017 में जारी केग (CAG) की रिपोर्ट से भी होती है। जब अमानक चावल ही नहीं ख़रीदा गया है, जब नान में कोई वित्तीय अनियमितता हुयी ही नहीं हुई है, जब शासन को कोई हानि ही नहीं हुयी है तो 12 लोगों को जेल में बंद कर के क्यों रखा गया है ? क्या इन 12 परिवारों के मानवाधिकारों को कुचलने में अभी भी कोई कमी रह गयी है?

जेल में बंद आरोपियों पर दो आरोप ए. सी. बी. द्वारा लगाए हैं (1) अमानक चावल की खरीदी (2) चावल एवं नमक के परिवहन में अनियमितता। राज्य शासन तथा संबंधित विभाग नान, दोनों के द्वारा ही इन दोनों आरोपों को विधानसभा में नकार दिया गया है। इसके ठीक उल्ट राज्य शासन की जांच एजेंसी ए.सी.बी. तथा राजनैतिक पार्टियां किस आधार पर घोटाले की बात कर रही है? क्या यह प्रश्न मीडिया को इस प्रकरण के सही तथ्यों की जांच करने को बाध्य नहीं करते कि जेल में बंद 12 लोग किस अपराध में इतने महीनों से जेल में बंद हैं।

मीडिया द्वारा ही यह जानकारियां भी प्राप्त हुई हैं -
- 300 करोड़ रुपए रिश्वत लेने के आरोपी पूर्व वायुसेना अध्यक्ष श्री त्यागी को ट्रायल कोर्ट से जमानत मिली।

- छत्तीसगढ़ के आई. ए. एस. एस अधिकारी श्री बी. एल अग्रवाल जिनके ऊपर 1.50 करोड़ रुपए रिश्वत देने का आरोप है ट्रायल कोर्ट ने 70 दिन बाद जमानत दे दी

- श्री वीरभद्र सिंह एवं उनके साथियों को भी जमानत दी गई।

- 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए के कोयला घोटाले के आरोपियों को तुरंत जमानत दी गई, जबकि सरकार ने उसमें एक लाख करोड़ की हानि होना स्वीकार किया था।

नान घोटाले में आरोपित जेल में बंद 12 लोगों के परिजन कहते हैं कि इसके अतिरिक्त और भी कोई ऐसे बड़े-बड़े प्रकरण हैं जिसमें तुरंत या कुछ दिन बाद जमानत दी गई। क्या यह जांच का विषय नहीं है कि संपूर्ण भारतवर्ष में एक ही संविधान लागू है, फिर ऐसा क्या कारण है कि राज्य सरकार द्वारा इस घोटाले को काल्पनिक बताए जाने एवं किसी प्रकार की हानि नहीं होने के बाद भी न्यायिक हिरासत में बंद 12 लोगों को उच्च न्यायालय द्वारा जमानत नहीं दी जा रही है। इसका क्या कारण है? कानून, मीडिया ट्रायल, राजनीतिक दलों द्वारा किए गए प्रदर्शन या कोई अन्य कारण?

नान घोटाले में आरोपित जेल में बंद 12 लोगों के परिवारों ने मीडिया से अपील की है कि समाज के चौथे स्तंभ प्रिंट एवं इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के सभी मूर्धन्य सदस्यों से निवेदन है कि उपरोक्त तथ्यों की जांच पड़ताल कर हमें न्याय दिलाने में मदद करें। जांच—पड़ताल करने में आपको निश्चित ही कई ऐसे तथ्य भी प्राप्त होंगे, जो आपको आश्चर्यचकित करेंगे।

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