जनज्वार का खुलासा
पुलिस रेड के समय ढाल के तौर पर बच्चों के इस्तेमाल की योजना, 22 अगस्त को ही करा लिया था राम रहीम ने बाल आयोग से बच्चों का सर्वे कि रेड के वक्त पुलिस को दिखा सके सबूत
वीएन राय, पूर्व डीजी हरियाणा पुलिस
धीरे—धीरे साफ होता जा रहा है सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम की 25 अगस्त को पंचकुला सीबीआई अदालत में पेशी को लेकर उसके और हरियाणा सरकार के बीच स्टैंड ऑफ नहीं, नूरां कुश्ती चल रही है. मानो पटकथा लिखी जा चुकी है और मुख्य किरदार अपनी भूमिका को लेकर आश्वस्त हैं.
सिरसा डेरे में पचास हजार डेरा प्रेमियों की उपस्थिति बताई जा रही है. यह 2015 की हिसार में रामपाल आश्रम की घेराबंदी की याद दिलाता है. राम रहीम आसानी से यह तर्क भी ले सकता है कि उसके समर्थक उसे बाहर नहीं आने दे रहे. ऐसे में पुलिस का डेरे में घुसना भी संभव नहीं होगा.
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि तनाव के बावजूद डेरा स्कूलों के हॉस्टल में सैंकड़ों बच्चों को रोक कर रखा गया है. यहाँ तक कि 22 अगस्त को हरियाणा बाल आयोग की अध्यक्ष का यहाँ का निरीक्षण कराकर बाकायदा रिपोर्ट बनाई गयी. जाहिर है इन बच्चों को पुलिस रेड के समय बतौर ढाल इस्तेमाल करने की योजना है.
दूसरी तरफ आज पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका पर सुनवाई में राज खुला कि राज्य सरकार ने अपने बंदोबस्त में धारा 144 लगाईं ही नहीं, लिहाजा राम रहीम के समर्थन में जमावड़ा बेरोकटोक चलता रहा है.
विशेषकर राज्य के दो शहरों, पंचकुला और सिरसा में आम लोगों में बेहद तनाव में नजर आ रहा है. दोनों शहरों में लाखों की संख्या में डेरा प्रेमियों को इकट्ठा होने देने को लेकर पुलिस और सरकार ने अपने हाथ बाँध लिए लगते हैं. एक तरह से कानून-व्यवस्था को राम रहीम ने बंधक बना लिया है.
राम रहीम के मैनेजरों के जो भी बयान आ रहे हैं, वे आश्वस्तकारी नहीं हैं. स्वयं राम रहीम ने अपनी ट्वीट में सभी विकल्प खुले रखे हैं. फिल्मों में बड़े-बड़े स्टंट करता दिखने वाला यह बहुरूपिया अपनी पीठ की बीमारी का हवाला दे रहा है जिससे अदालत में न जाने का मेडिकल आधार तैयार रहे.
सिरसा से दो सौ किलोमीटर चलकर वह पंचकुला कैसे पहुंचेगा, कोई नहीं बता पा रहा. पुलिस ने सिरसा को छावनी में बदल दिया है और वहां रात्रि कर्फ्यू की घोषणा भी कर दी है. यानी राम रहीम, कानून-व्यवस्था का हवाला देकर भी अपने डेरे से निकलने से इंकार कर सकता है.
ऊपर से लगता है कानून-व्यवस्था के हक़ में तमाम संभव कदम उठाये गए हैं. यहाँ तक की केन्द्रीय सुरक्षा बल और सेना को भी शामिल किया गया है. पर, दरअसल भाजपा सरकार के लिए डेरा प्रेमी उसके वोट बैंक हैं. सवाल है क्या इस अनिश्चितता की कीमत हरियाणा के आम आदमी को चुकानी पड़ेगी!