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जनज्वार विशेष

मोहम्मद साहब मामले में भड़की हिंसा पर पहली ग्राउंड रिपोर्ट

Janjwar Team
6 July 2017 6:19 PM GMT
मोहम्मद साहब मामले में भड़की हिंसा पर पहली ग्राउंड रिपोर्ट
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24 परगना में भड़की हिंसा की वजह मोहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट तो बनी, पर असल कारण वो नहीं है...

पश्चिम बंगाल के 24 परगना से एएस परगना की रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल के 24 उत्तरी परगना जिले के बादुरिया में भड़की हिंसा को लेकर देश के दूसरे हिस्सों में जैसी खबरें आ रही हैं, वह सच का आधा भी नहीं है। वहां अब हिंसा पर पूर्ण नियंत्रण पा लिया गया है। सोमवार की शाम तक मामला ठंडाने लगा था, पर तनाव बना हुआ था। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ हुई देश के गृहमंत्री की बातचीत के बाद अर्धसैनिक बलों की 4 कंपनियां तैनात होने के बाद तनाव की स्थिति पर भी नियंत्रण है। अगर राजनीतिक पार्टियों ने मामले को नहीं भड़काया तो सबकुछ शांत हो जाएगा। हालांकि यह पूरा क्षेत्र साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील है।

बवाल होने की सही वजह
रविवार 2 जुलाई की शाम 24 परगना जिले के बदुड़िया गांव के सौविक सरकार नाम के लड़के ने अपनी फेसबुक पर मुस्लिमों के पैगंबर को लेकर एक आपत्तिजनक पोस्ट डाली। पोस्ट डालने के बाद यह पोस्ट तेजी से शेयर होने लगी। मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के कारण पोस्ट पर तेजी से प्रतिक्रिया हुई। मुस्लिम समाज के कुछ लोगों और एक—दो पत्रकारों ने पुुलिस को बताया कि ऐसा एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है और इससे मुस्लिम समाज के लोग रोष में हैं। पुलिस त्वरित कार्यवाही करे।

पुलिस आरोपी को थाने ले आई
इस जानकारी के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सौरव सरकार को गिरफ्तार कर थाने ले आई। थाने आने के बाद पुलिस की पूछताछ में सौविक ने स्वीकार किया कि उसने ऐसा एक पोस्ट किया था, जिसमें उसने पैगंबर का मजाक उड़ाया था। सौरव के थाने पहुंचने के पहले से थाने के आसपास इकट्ठा हो रहे मुस्लिम समाज के लोगों की उसके आने बाद और संख्या बढ़ गयी। भीड़ में हिंदू समाज के लोग भी थे जो कि सौविक के बचाव में पहुंचे थे। लेकिन क्षेत्र मुस्लिम बहुल है, इसलिए मुस्लिमों की संख्या ज्यादा थी। भीड़ में शामिल अल्संख्यक समुदाय के लोग चाहते थे कि सौविक के खिलाफ पुलिस त्वरित और कड़ी कार्यवाही करे। पुलिस कहती रही कि हम कानून के तहत सौरव के खिलाफ कार्यवाही करेंगे। पर मुस्लिम समाज के भड़के लोगों में कुछ का कहना, कुछ न होगा, फिर छूट जाएगा और वही करेगा जो कर रहा है। तभी मुस्लिमों में से कुछ लोग कहने लगे, 'इसे हमारे हवाले कर दो, हम इसको सजा देंगे।'

मगर लोग पुलिस की बात मान गए
पुलिस ने लोगों को समझाया कि कानून को हाथ में न लें। कानून के तहत इसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। फिर मुस्लिम समाज के भड़के लोगों और पुलिस में थोड़ी देर बहसा—बहसी होती रही। पर लोग इस मान गए और थाने से चले गए। थाने से वापस लौट रही भीड़ में से कुछ लोगों ने बाहर चार गाड़ियों और दुकानों को तहस—नहस किया। बताया जा रहा है भीड़ को भड़काने वालों में बंग्लादेश के लोग शामिल थे। पुलिस द्वारा की जा रही जांच में यही सामने आ रहा है।

बवाल बढ़ा तब, जब उपद्रवकारी धरने पर बैठे
बाजार में तांडव मचा रही भीड़ में से कुछ लोग बारासात और बशीर हाट वाली सड़क पर धरने पर बैठ गए। भीड़ ने सड़क को पूरी तरह से जाम कर दिया और भाषणबाजी शुरू कर दी। इसी बीच ढलती शाम में बदुड़िया के बगल के गांव बामन गाछी में एक हिंदू परिवार में मौत हो गयी। परिवार और गांव के लोग मृतक की लाश को लेकर फूंकने जा रहे थे। पर धरना दे रहे लोगों ने उन्हें जाने का रास्ता नहीं दिया। थोड़ी देर तकरार हुई पर धरना देने वाले नहीं माने।

उसके बाद जो हुआ देश ने देखा
हिंदू जाति के मृतक की लाश नहीं जाने देने पर बामन गाछी के लोगों ने अपने गांव वालों को बुला लिया। उधर से आने पर दोनों समुदायों के बीच झगड़ा और मारपीट हुई। धरना स्थल पर मुस्लिमों की संख्या कम होने के कारण वह पिट गए। पर बशीरहाट विधानसभा में मुस्लिमों की आबादी ज्यादा है। हर तीन से चार मुस्लिम गांवों पर एक गांव हिंदुओं के हैं। ऐसे में बाद में हिंदुओं पर अत्याचार ज्यादा हुआ। हालांकि सोमवार की सुबह होने से पहले पुलिस ने मामले को संभाल लिया।

पहले बशीर हाट को जानें फिर समझ में आएगा माजरा
बंग्लादेश सीमा से लगा बशीरहाट मुस्लिम बहुल विधानसभा है। यहां की आबादी में मुस्लिमों की भागीदारी 64 फीसदी के करीब है। 2011 की विधानसभा में भाजपा बशीरटाह से समीक भट्टचार्य जीते थे। यह भाजपा के लिए पहली जीत थी। इससे पहले पहले तक पारंपरिक रूप से यह सीट सीपीएम की रही है। हालांकि अबकी यहां तृणमूल पार्टी के दिब्येंदू विश्वास जीते हैं। 2011 में भाजपा की जीत की वजह तृणमूल और कांग्रेस का अलग—अलग चुनाव लड़ना रहा, जबकि अबकि दिब्येंदु विश्वास की जीतने का कारण रहा कि वह ईस्ट बंगाल फूटबाल टीम के एक लोकप्रिय खिलाड़ी हैं। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के मोहन बगान फुटबाल टीम के बाद ईस्ट बंगाल सबसे नामी टीम है। दिब्येंदू विश्वास राज्य के ख्यात फुटबालर बाईचुंग भूटिया के साथ खेल चुके हैं। इन दो बार की जीत के अलावा ज्यादातर बार यहां से मुस्लिम जाति के विधायक जीतते रहे हैं।

तस्करी है इलाके का मुख्य धंधा
बशीरहाट विधानसभा बंग्लादेश की सीमा से लगा है। खेती के अलावा यहां की मुस्लिम आबादी का बड़ा रोजगार तस्करी का है, जिसमें गो तस्करी मुख्य रूप में शामिल है। सीमा से लगे होने और दोनों ओर मुस्लिम बहुल क्षेत्र के होने कारण गो तस्करी बहुत आसानी से हो जाती है। ज्यादातर तस्करी लंबी सीमा और नदियों के कारण अवैध तरीके से होती है तो दूसरी ओर तस्करी में सीमा सुरक्षा बल के सिपाही भी 'वैध' मदद करते हैं। मैं यहां पिछले 10 वर्षों से रिपोर्टिंग करता हूं इसलिए कह सकता हूं कि तस्करी रोकना लगभग असंभव काम है।

सरकार बदली तो तनाव बढ़ गया
सीपीएम की पारंपरिक सीट रही बशीरहाट समेत पूरी लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस जीती है। विधानसभा वोट रिजल्ट बताते हैं कि पश्चिम बंगाल का कुल 30 प्रतिशत मुस्लिम वोट एकतरफा तृणमूल के हिस्से गयी थी। इसको बरकरार रखने के लिए तृणमूल ने जानबूझकर कुछ ऐसे नियम बनाए जिससे हिंदुओं को ऐतराज हो। उदाहरण के तौर पर मस्जिदों के मौलवियों को 2500 हजार रुपया मासिक भत्ता। इस भत्ते के बाद राज्य में तेजी से भाजपा और आरएसएस का उदय हुआ है। भाजपा ने बंगाल में पहली बार पिछले वर्ष हनमुान जयंती और रामनवमी पर प्रदेश भर में जुलूस निकाले। जुलूस भाला, तलवार और अन्य हथियारों से लैस थे। इसके बाद पूरे राज्य में अब सारी राजनीतिक लड़ाई भाजपा बनाम तृणमूल के बीच हो गयी है।

सीपीएम नहीं अब सीन में
मुस्लिमों के प्रति अवसरवादी राजनीति का आरोप सीपीएम पर भी लगता रहा है, पर उसने कभी धार्मिक सहारा इतना खुलकर नहीं लिया। सीपीएम इस क्षेत्र से वोट लेती थी और हिंदुओं और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों से समान दूरी रखती थी। हालांकि उसने भी कभी तस्करी के काम पर कोई ऐतराज नहीं किया। बशीरहाट में गाय, हथियार, अनाज और नशाखोरी के सामानों की तस्करी एक पारंपरिक रोजगार की तरह है। पर बदले राजनीतिक माहौल तस्करी से आगे चला गया है। पूरा प्रदेश हिंदू बनाम मुस्लिम में बंट रहा है। तृणमूल का राजनीतिक स्टाईल दिखाता है कि वह मुस्लिमों की बड़ी हितैषी है। वहीं भाजपा और आरएसएस हिंदुओं को पीड़ित की तरह सांप्रदायिक सहारा दे रही हैं। ऐसे में हिंदू भाजपा के और मुस्लिम तृणमूल के हो गए हैं। सीपीएम पूरे खेल से बाहर दिख रही है।

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