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शिक्षा

डीयू की महिला शिक्षक से पुलिसकर्मी बोला 'आपका दरवाजा नॉक ही तो किया, कुछ और तो नहीं हुआ'

Prema Negi
16 April 2019 11:21 AM GMT
डीयू की महिला शिक्षक से पुलिसकर्मी बोला आपका दरवाजा नॉक ही तो किया, कुछ और तो नहीं हुआ
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पीड़ित शिक्षिका नीतीशा कहती हैं, पूरे दस मिनट जब तक वो वहशी लोग गंदी—गंदी बातें बोलते हुए मेरा दरवाजा पीटते रहे, मैं बता नहीं सकती कि मैं कितने भयानक ट्रॉमा से गुजरी हूं और दिल्ली पुलिस उन पर सिर्फ 509 की धारा लगाती है...

सुशील मानव की रिपोर्ट

नीतिशा खालखो दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में पढ़ाती हैं। इधर लगातार कई मुद्दों को लेकर वे अनेक आंदोलनों की अगुवाई करती आई हैं। आदिवासी, वनवासियों के मुद्दों और यूनिवर्सिटी में अध्यापकों की भर्ती को लेकर बनाया गए रोस्टर के मुद्दे पर लगातार वे आंदोलनरत रहीं।

नीतिशा खालखो कहती हैं, 14 अप्रैल की रात 1 बजे कुछ लोगों ने मेरे रूम में जबरन घुसने की कोशिश की। उन्होंने मेरे लिए गंदी भाषा का इस्तेमाल किया। वो लगातार मेरे घर का दरवाजा पीटकर रूम खुलवाने की कोशिश कर रहे थे और चीख—चीखकर कह रहे थे - "baby come out, we want you baby, we want to have sex with you", ऐसी बातों को सुनकर मेरी रूह तक हिल गई।

मैं 10 मिनट तक अपने दरवाजे को टूटने से बचाने की कोशिश करती रही। मैंने बिल्डिंग के केयरटेकर को कॉल। मैं चौथे मंजिल पर रहती हूं, जबकि केयरटेकर ग्राउंड फ्लोर पर रहता है। उसके नीचे से चौथे फ्लोर तक पहुंचने तक में वो लोग भाग गए। बिल्डिंग की सीसीटीवी में दोनों आरोपियों की वीडियो कैद हो गया है। हालांकि नीतिशा उनकी पहचान नहीं कर सकी हैं।

नीतिशा कहती हैं, कल 15 अप्रैल को इस घटना की FIR के लिए जब हम वसंत विहार थाने गए तो हमें किशनगढ़ थाने भेज दिया गया। यहां किशनगढ़ थाने में एसएचओ के आने से पहले 4 घंटे तक किसी महिला पुलिसकर्मी ने हमारी बात नहीं सुनी। वो कंप्लेंट लिखकर डायरी नंबर देकर जाने को कहते रहे। जब उनसे FIR कब तक होगी पूछा, तो किसी के पास कोई जवाब नहीं था।

नीतिशा कहती हैं, जब मैंने उन्हें एफआईआर लिखने को कहा तो वहां मौजूद एक पुलिसमैन ने कहा, "आपका दरवाजा नॉक ही तो किया है, कुछ और तो नहीं हुआ। कंपलेन लिखवा कर जाइए आप यहां से।"

बकौल्कि नीतिशा शनगंज थाने के एसएचओ राजेश मौर्या करीब 4 घंटे बाद आये। उन्होंने अपने थाने के पुलिसवालों द्वारा मेरे साथ कई गए सलूक के मुझसे माफी मांगी और उन्हें मेरे साथ इन्क्वायरी के लिए भेजा। इन्क्वायरी के लिए आये जांच अधिकारी ओपी सिंह ने कुछ सवाल पूछने पर कहा- "जेएनयू वाले हो आप तो, कुछ ज्यादा ही सयाने बनते हो, इनका मामला ही कुछ अलग होता है. ये हमसे डील ही नहीं हो सकते।'

नीतिशा कहती हैं, 'उन्होंने मुझे एफआईआर की कॉपी नहीं दी, सिर्फ इतना बताया कि आपका एफआईआर नंबर 136 है और आरोपियों पर IPC की धारा 509 लगायी गई है।

नीतिशा कहती हैं पूरे दस मिनट जब तक वो वहशी लोग मेरा दरवाजा पीटते रहे, मैं बता नहीं सकती कि मैं कितने भयानक ट्रॉमा से गुजरी हूं और दिल्ली पुलिस उन पर सिर्फ 509 की धारा लगाती है।

गौरतलब है कि भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 509 उन लोगों पर लगाई जाती है, जो किसी औरत के शील या सम्मान को चोट पहुंचाने वाली बात कहते हैं या हरकत करते हैं। अगर कोई किसी औरत को सुनाकर ऐसी बात कहता है या आवाज निकालता है, जिससे औरत के शील या सम्मान को चोट पहुंचे या जिससे उसकी प्राइवेसी में दखल पड़े तो उसके खिलाफ धारा 509 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है।

नीतिशा खालखो को 16 अप्रैल को 12 बजे पटियाला हाउस के कोर्ट 8 में दोपहर 12 बजे सुनवाई के लिए बुलाया गया।

इससे पहले JNU की लड़कियों को सार्वजनिक रूप से बलात्कार की धमकी दी जाती रही है, एक बार नहीं कई बार। शेहला रशीद, गुरमेहर कौर समेत जाने कितनी लड़कियां अपने स्टैंड के चलते लगातार दक्षिणपंथियों के निशाने पर रही हैं।

नीतिशा खालखो जिस बिल्डिंग में रहती हैं, उसमें कई विदेशी भी रहते हैं। राजधानी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था का ये हाल है, तो पूरे देश का हाल समझा जा सकता है। दिल्ली पुलिस का पीड़ित महिलाओं के प्रति रवैया बेहद ही असंवेदनशील है, जेएनयू के लोगों को लेकर वो हद दर्जे कर पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं और देश विश्वगुरु बनने को तत्पर है।

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