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संस्कृति

चालीस साल पुराने मामले में पत्रकार को जज ने भेजा जेल

Janjwar Team
8 Nov 2017 6:03 PM GMT
चालीस साल पुराने मामले में पत्रकार को जज ने भेजा जेल
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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे और राज्यसभा टीवी में एंकर रह चुके पत्रकार चंचल को जौनपुर की अदालत ने 40 साल पुराने एक मामले में भेजा जेल...

देश के जाने माने चित्रकार, पत्रकार और लेखक चंचल को आज जौनपुर की अदालत ने जेल भेज दिया. मामला बयालीस साल पुराना यानी 1978 का है, जब वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष थे। अब साठ पार के समाजवादी चंचल को बयालीस साल पुराने मामले में जेल भेजा गया है।

चंचल पर 1978 में तत्कालीन कलेक्टर से झड़प करने तथा सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप लगा था। उन पर धारा 353 के तहत 1986 से कई बार वारंट जारी किया गया था।

पुलिस जो लिख दे, निचली अदालत उसे वेद वाक्य मान लेती है। धारा लगाने में जरा सा खेल कोई करा दे, तो जमानत का कोई सवाल भी नहीं उठता। और उत्तर प्रदेश में तो अग्रिम जमानत की कोई व्यवस्था भी नहीं है।

बयालीस साल के दौर में कई सरकार आई—गई, लेकिन जेल भेजने का अवसर इसी दौर में आया है, यह सोचना चाहिए। चंचल सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। सरकार की ठीक से खबर लेते रहे हैं।

हाल ही में एक यू ट्यूब चैनल भी उन्होंने शुरू किया था, आखिरी पायदान से। अब दूसरे को मौका मिला है। इस मुद्दे पर पत्रकार उर्मिलेश का सुझाव ठीक लगा कि उस दौर के छात्र नेताओं से लेकर आज के छात्र नेताओं को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।

सत्तर का वह दशक छात्र आंदोलनों का दौर था और उत्तर भारत के ज्यादातर विश्वविद्यालयों में छात्र राजनीति अंगड़ाई ले रही थी। कभी हिंदी आंदोलन तो कभी सबको समान शिक्षा का आंदोलन। वही दौर था जब आपातकाल का विरोध करते हुए हजारों छात्र जेल भेज दिए गए थे।

मुझे याद है उस दौर में गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज होते, ताकि छात्र नेताओं को जेल से जल्दी जमानत भी न मिले। हम लोग भी कई बार लंबे समय तक लखनऊ की ग्यारह वीसी बैरक में मेहमान रहे। अभी भी उसमे कई मुकदमें चल रहे होंगे, पता नहीं।

ऐसे ही कई मुकदमे चंचल पर भी चले। उसी में से एक मुकदमा जौनपुर की अदालत का है।

किस मामले में हुई जेल

मामला 1978 का है। चंचल सिंह उस वक्त काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अध्यक्ष थे। वे अपने गृह निवास महराजगंज ब्लॉक मुख्यालय पर बैठकर चाय पी रहे थे। इतने में उनके एक परचित भारत यादव पहुंचे। उन दिनों सूबे में सीमेंट की किल्लत थी और उसका परमिट कोई मजिस्ट्रेट ही देता था। भारत को परमिट नहीं मिल रहा था। इसी बीच तत्कालीन कलेक्टर टीडी गौड़ ब्लाक का मुआयना करने पहुंच गये।

भारत यादव ने चार बोरी सीमेंट का अनुरोध किया। चंचल वहां मौजूद थे। चंचल और कलेक्टर में बातचीत गरम लहजे में होने लगी। थाने में चंचल के खिलाफ मुकदमा हो गया। चंचल के अनुसार बाद में मामले में समझौता भी हो गया। इसके बाद भी इतने साल बाद वारंट जारी हो गया। उन्हें गिरफ्तार कर दीवानी के पंचम कोर्ट में पेशी किया गया है। गौरतलब है कि चंचल काफी दिनों तक तत्कालीन रेलमंत्री जार्ज फर्नांडिस के निजी सचिव रहे थे। फिलहाल वे कांग्रेस से जुड़े हैं और फ्रीलांस पत्रकारिता करते हैं। (कुछ जानकारी जनादेश डॉट इन से)

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