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बिना तैयारी विनोद वर्मा की गिरफ्तारी पर कोर्ट ने लगाई पुलिस को फटकार
पुलिस ने कहा मामला है गंभीर, बचानी है बड़े आदमी की इज्जत अन्यथा नहीं डालते पत्रकार पर हाथ
गाजियाबाद कोर्ट रूम से अवनीश पाठक की रिपोर्ट
1200 किमी की दूरी तकरीबन 30 घंटे में तय की जा सकती है। गूगल के मुताबिक, ये दूरी 21 घंटों मे भी तय हो सकती है। हालांकि मौजूदा तंत्र में समय का निर्धारण दूरी या गति के बजाय नीयत से करना ज्यादा मुनासिब होगा। विनोद वर्मा शनिवार दोपहर तक रायपुर के पंढरी थाने में होंगे या नहीं, ये छत्तीसगढ़ पुलिस की नीयत से ही तय होगा।
शुक्रवार को गाजियाबाद जिला और सत्र न्यायालय में आसमानी और गुलाबी कमीजों में विनोद वर्मा के दाएं-बाएं घूम रहे छत्तीसगढ़ के पुलिसकर्मियों की नीयत संदेह के घेरे में है। शुक्रवार को तकरीबन 11 बजे इंदिरापुरम थाने पहुंचने के बाद से शाम साढ़े चार बजे तक, जबकि छत्तीसगढ़ पुलिस विनोद वर्मा को कोर्ट परिसर से लेकर गायब हो गई, उसकी नीयत संदिग्ध रही। सीडी थियरी पर तो सवाल उठ ही रहे हैं।
विनोद वर्मा को गुरुवार-शुक्रवार की रात तीन बजे छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की पुलिस ने हिरासत में लिया और तकरीबन 9 घंटे इंदिरापुरम थाने रखा। दोपहर करीब 12:30 बजे उन्हें कोर्ट ले जाया गया। इन नौ घंटों में उनसे न वकील को मिलने दिया गया और न किसी मित्र को। छत्तीसगढ़ से आई पुलिसकर्मियों की टीम विनोद वर्मा के साथ ही थी। थाने में बाहर खबर को कवर कर रहे मीडियाकर्मी थे और विनोद वर्मा के समर्थन में जुटे पत्रकार।
तकरीबन 11 बजे मैं थाने पहुंचा। वहां अमर उजाला के एक वरिष्ठ पत्रकार और विनोद वर्मा के एक पुराने मित्र को एसएचओ सुनील कुमार दुबे समझा रहे थे कि मामला हल्का नहीं है। पुलिस पूरी तैयारी से आई है। उसे पता है कि बड़े पत्रकार हैं, बगैर एविडेंस के हाथ नहीं डाल सकते। पूरे एविडेंस लेकर आई है। ये एसएचओ की दलील थी, हालांकि छत्तीसगढ़ पुलिस की तैयारी कितनी थी, ये कोर्ट में देखने को मिली।
विनोद वर्मा को तकरीबन 12:30 बजे कोर्ट में ले जाया गया। थाने से निकलते हुए उन्होंने वहां खड़े मीडियाकर्मियों के सवाल का जवाब देने की कोशिश की तो छत्तीसगढ़ पुलिस के एक सदस्य ने अपने हाथ से उनका मुंह बंद कर दिया। ये ऐसा दृश्य था, जो हममें से किसी ने शायद पहले नहीं देखा था। हालांकि मीडियाकर्मियों के प्रतिरोध के कारण किसी तरह विनोद वर्मा अपनी बाइट देने में कामयाब रहे।
कोर्ट परिसर में आधे घंटे की कागजी कार्यवाही के बाद उन्हें पेश किया गया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने विनोद वर्मा पर धारा 506 आपराधिक धमकी और धारा 384 के तहत एफआईआर दर्ज की है। पुलिस का कहना है कि विनोदजी के घर से उसने 500 सीडी बरामद की है। हालांकि कोर्ट में जब जज ने छत्तीसगढ़ पुलिस के सदस्यों को सीडी पेश करने को कहा तो छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से दलील पेश कर रहे इंस्पेक्टर संजय कुमार क्राइम ब्रांच ने कहा कि उनके पास सीडी नहीं है। जज ने उन्हे तुरंत सीडी लाने को कहा। दरअसल ये छत्तीसगढ़ पुलिस की तैयारियों का नमूना था। महज 24 घंटे पहले दर्ज कराई गई एक एफआईआर पर वो जांच भी पूरी कर चुकी थी और कथित आरोपी तक पहुंच भी चुकी थी।
छत्तीसगढ़ पुलिस के एक सदस्य से वहां मौजूद एक मीडियाकर्मी ने जब इस तत्परता की बावत पूछा तो वो बोला किसी बड़े आदमी का कैरेक्टर एसेसीनेशन कैसे करने दिया जा सकता है? बड़े आदमी के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की इस तत्परता पर आप क्या कहेंगे।
बहरहाल, पुलिस सीडी लेकर आई तो कार्यवाही दोबारा शुरू हुई। जज ने सीडी मांगी। पुलिस ने सौंप दी। हालांकि वो बगैर सील के थी, इसलिए जज ने उसे एविडेंस मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने छत्तीसगढ़ पुलिस से पूछा आपने सील क्यों नहीं लगाई तो पुलिस ने जवाब दिया कि हमारे पास सील नहीं है। पुलिस की ऐसी बातों पर जज ने संभवत: विनोद वर्मा को जमानत देने का मन बना लिया, ऐसा उनके वकीलों ने बताया। हालांकि छत्तीसगढ़ पुलिस ने सील लगाकर सबूत दोबारा पेश करने को कहा, जिसे जज ने मान लिया। कार्यवाही लंच तक के लिए स्थगित कर दी गई। लंच के बाद पुलिस एक सीलबंद सीडी, सीलबंद ट्रांसपैरेंट लिफाफे में विनोद जी का लैपटॉप, पेन ड्राइव और मोबाइल फोन एक सीलबंद गत्ते को बतौर एविडेंस पेश किया, जिसके बाद जज ने उन्हें 27 से 29 अक्टूबर तक की ट्रांजिट रिमांड दे दी।
विनोद वर्मा ने जब ट्रांजिट रिमांड पर दस्तखत किए तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने बताया कि उन्हें पहले इंदिरापुरम थाने ले जाया जाएगा और फिर वहां से रायपुर। गुलाबी कमीज में एक आदमी उनके करीब आया और उनके कान में कुछ बोला। विनोद वर्मा ने उसकी ओर मुस्कुराकर देखा और बोले- अच्छा, आपके साथ मुझे चलना है। वो सिविल ड्रेस में छत्तीसगढ़ पुलिस का सदस्य था।
थोड़ी देर बाद ही पुलिस ने उन्हें पिछले दरवाजे से निकाला और काले रंग की एक एसयूवी में बिठा दिया। वो बीच की सीट पर थे और उनके दाएं-बाएं दो पुलिसकर्मी। अगली-पिछली सीटों पर भी पुलिस वाले थे। जैसा की कोर्ट में पुलिसकर्मियों ने बताया था कि उन्हें पहले इंदिरापुरम थाने ले जाया जाएगा। हम लोग इंदिरापुरम थाने आए, लेकिन वहां सन्नाटा था।
गेट की सीढ़ी पर एक सिपाही खड़ा था। उससे पूछा कि विनोद वर्मा को थाने ले आए तो वो बोला कि बाइ रोड रायपुर ले गए। हम भी चौंके कि बाइ रोड ले गए!
हम वहीं इंतजार करने लगे। थोड़ी देर बाद थाना प्रभारी सुनील कुमार दुबे आए और उन्होंने भी बोला कि उन्हें बाइ रोड रायपुर ले गए, यहां नहीं लाए।