जुनैद के हत्यारे ने माना, मुसलमान न होता तो हम उसे भीड़ में नहीं मार पाते
मैंने कहा चाकू मार दूंगा पर वे नहीं माने। मैंने उनमें से एक जुनैद का चाकू मार दिया। भीड़ हमारे साथ थी, हमने उन्हें उतरने नहीं दिया और भीड़ के साथ मिलकर बाकियों को बहुत पीटा...
जनज्वार, दिल्ली। जुनैद हत्याकांड के मुख्य आरोपी नरेश कुमार ने स्वीकार किया है कि वह जुनैद को भरी ट्रेन में भीड़ के बीच चाकुओं से इसलिए मार पाया कि वह मुसलमान था। मुस्लिम होने की वजह से ट्रेन की भीड़ नरेश कुमार और हत्या में शामिल अन्य लोगों के साथ हो गयी। कल 9 जुलाई को हुई नरेश कुमार गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट के सामने दिए उसने एक बयान में ये तथ्य स्वीकार किए हैं।
नेशनल कृषि म्यूजियम में गार्ड का करने वाले 30 वर्षीय नरेश कुमार ने 22 जून को चलती ट्रेन में हुई इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में पुलिस की उपस्थिति में मजिस्ट्रेट के सामने बताया, 'सीट को लेकर शुरू हुआ झगड़ा हिंदू बनाम मुसलमान में बदल गया। सबसे पहले सीट के लिए जिस उम्रदराज व्यक्ति से मुस्लिम लड़कों का झगड़ा हुआ, उसी ने मुस्लिम होने की वजह से लड़कों को गालियां देते हुए दो—चार थप्पड़ जड़ दिए थे। मैं भी उसमें शामिल रहा।'
नरेश के मुताबिक, 'मुस्लिम लड़के मार खाने के बाद तुगलकाबाद स्टेशन पर उतरकर दूसरे बोगी में चले गए और उन्होंने फोन कर बल्लभगढ़ में कुछ मुस्लिम लड़कों को बुला लिया। वे फिर हमारी बोगी में आए और वे उस अधेड़ को पीटने लगे जिसने उन्हें गालियां दी थीं। उसके बाद वे मुझसे भिड़ गए, मैंने कहा चाकू मार दूंगा पर वे नहीं माने, तो मैंने उनमें से एक जुनैद का चाकू मार दिया। भीड़ हमारे साथ थी, हमने उन्हें उतरने नहीं दिया और सबको दम भर के मारा। उसके बाद जो हुआ, सबको पता ही है।'
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ईद की खरीददारी कर घर जा रहे युवक को मार डाला ट्रेन में,
गौरतलब है कि 22 जून को दिल्ली से ईद की खरीददारी कर हरियाणा के बल्लभगढ़ जा रहे 5 मुस्लिम युवकों पर चलती ट्रेन में भीड़ के बीच जानलेवा हमला हुआ था। हमलावरों ने सीट को लेकर हुए झगड़े में 5 मुस्लिम लड़कों के मुसमलान होने और बीफ खाने का बेमतलब का आरोप लगाकर बुरी तरह पीटा था, जिसमें से चाकू से मारे जाने पर 15 वर्षीय जुनैद की जान चली गयी थी।
नरेश कुमार इस हत्याकांड मुख्य आरोपी है, जिसने अपने बैग से चाकू निकालकर जुनैद को मार डाला था। इस मामले में पहले भी कुछ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। नरेश की गिरफ्तारी के बाद पुलिस इस केस को सुलझा लेने का दावा कर रही है।
पर असल सवाल एक ही है कि क्या नरेश कुमार समेत दर्जनभर अन्य आरोपियों को कोई सजा मिलेगी या फिर कानूनी उलझनों के बीच वह आसानी से छूट जाएंगे। यह संदेह इसलिए भी गहरा है क्योंकि आजतक किसी गौ गुंडे, गौ के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय पर हत्या—अत्याचार करने वालों को कभी एक दिन की भी कोई सजा नहीं हुई है।
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