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जनज्वार विशेष

'सरकार के वाहियात बयानों पर पत्रकार तंज न कसेगा तो क्या आरती उतारेगा'

Janjwar Team
29 Nov 2017 12:11 AM IST
सरकार के वाहियात बयानों पर पत्रकार तंज न कसेगा तो क्या आरती उतारेगा
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फेसबुक पर पोस्ट लिखने के कारण बलात्कार के आरोपी बनाए गए वरिष्ठ पत्रकार जिनेंद्र सुराना से जनज्वार संवाददाता की खास बातचीत

आपने ऐसी टिप्पणी क्यों की कि 'मध्यप्रदेश में रेप करवाओ और पदमावती अवॉर्ड पाओ?'
मूल रूप से यह मेरी टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह एक बयान पर उपजा तंज है, व्यंग्य है। मैं पेशे से पत्रकार हूं, लिखना ही मेरा काम है। आखिर मैं अपना ऐतराज और किस रूप में सामने रख सकता हूं, सिवाय इसके। जब सरकार का गृहमंत्री ही बोले कि रेप पीड़िताओं को मिलेगा पदमावती पुरस्कार तो मैं और क्या लिखूं! 23 नवंबर को मध्यप्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने मीडिया से कहा था कि बलात्कार पीड़ितों को महामाता पदमावती पुरस्कार दिया जाएगा। मैंने उसी पर 24 नवंबर को दो लाइन की एक टिप्पणी लिखी थी।

पर मध्यप्रदेश सरकार तो इसको साहसी महिलाओं को देना चाहती है, इसमें क्या समस्या है?
जो सरकार बलात्कार पीड़ितों को न्याय नहीं दिला सकती, जहां कई—कई दिन बीत जाते हैं मुकदमे दर्ज होने में, जो राज्य बलात्कार मामलों में सबसे उपर है, जहां की अार्थिक राजधानी यानी इंदौर उसका गढ़ है, उस राज्य की सरकार पीड़ितों का ऐसे मजाक कैसे उड़ा सकती है। कोई रेप पीड़ित पुरस्कार चाहती है या न्याय। वह चाहती है कि मंत्री, थाने और अदालतें उसके साथ इंसानों सा व्यवहार करें और जल्दी से जल्दी न्याय दें। और फिर सरकार को बलात्कार पीड़ितों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस तक का ख्याल नहीं है? उसको यह भी नहीं पता कि आजीवन किसी पीड़िता की पहचान नहीं उजागर करनी होती है, फिर पुरस्कार कैसे दिया जाएगा? न्याय पाने के लिए कचहरी दर कचहरी और थाने—थाने भटक रही पीड़िताओं और परिजनों के लिए मंत्री का यह बयान मुंह चिढ़ाने वाला है, और कुछ नहीं। ऐसे में एक पत्रकार तंज न कसेगा तो आरती उतारेगा?

फेसबुक पर करोड़ों लोग लिखते रहते हैं पर आप पर ही सरकार का ध्यान क्यों गया, क्या कोई पहले से रंजिश या शिकायत?
हा...हा। यह एक संयोग है। खरगोन के डीआईजी एके पांडेय मेरी फ्रेंडलिस्ट में हैं। मैंने जैसे ही गृहमंत्री के बयान पर लिखा उन्होंने एक बहुत ही खराब टिप्पणी की, इसलिए मैंने उसे हटा दिया। उसके बाद चिढ़कर उन्होंने खरगोन में मेरे खिलाफ बलात्कार समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया। मुकदमा भी खरगोन के अज्ञात आदमी की शिकायत पर दर्ज हुआ, जबकि मेरी फ्रेंडलिस्ट में उनके अलावा कोई दूसरा खरगोन से नहीं है। डीआईजी एके पांडेय ने अपनी ताकत का बेजा फायदा उठाया, अपनी जूनियर को प्रेशर में लेकर मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया और सोचा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के यहां वाहवाही लूट लेंगे। उन्हें क्या पता था कि अभिव्यक्ति की इस लड़ाई में पूरा कारवां शामिल हो जाएगा और पुलिस तो पुलिस सरकार को भी बैकफुट पर आना होगा।

आप कहां पत्रकार हैं और वहां क्या करते हैं, आपने पत्रकारिता की शुरुआत कब की?
मैं अब 61 वर्ष का हो चुका हूं। मेरी पत्रकारिता की शुरुआत आपातकाल के दिनों की है। मैंने उस दौरान कई रपटें और लेख लिखे थे। उन दिनों मैंने मध्यप्रदेश के मंदसौर से निकलने वाले अखबार 'दशपुर दर्शन' में संवाददाता के रूप में पत्रकारिता की शुरुआत की थी। उसके बाद मैं 1995 से 2005 तक नई दुनिया अखबार में नीमच ब्यूरो चीफ रहा। इन दिनों मैं नई विधा नाम के अखबार में विशेष संवाददाता के रूप में जुड़ा हूं। वहां मैं सोशल मीडिया से जुड़़ी खबरों की जिम्मेदारी निभाता हूं।

आपकी लिखी टिप्पणी के बाद कोई धमकी, पुलिस या किसी संगठन की ओर से कोई फोन, उत्पीड़न?
24 नवंबर को जिस दिन मैंने टिप्पणी लिखी थी उसी दिन शाम को दस—बीस लोग घर पर हंगामा करने आ गए थे। वे खुद को करणी सेना का बता रहे थे। कुछ तोड़—फोड़ की और चले गए। इस मामले में मैंने कोई एफआइआर नहीं कराई क्योंकि इससे मुद्दा भटक जाता और असल बात छुप जाती। मैंने पुलिस से सुरक्षा भी नहीं ली है, जरूरत होगी तो देखूंगा। आज मैंने हाईकोर्ट में 482 के तहत याचिका दाखिल कर दी है जिससे मेरे खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा क्वैश (खत्म) हो जाए।

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