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सिक्योरिटी

देश के 80 प्रतिशत इंजीनियरों के पास डिग्री तो है, पर काम नहीं आता

Prema Negi
26 March 2019 4:22 AM GMT
महिलाओं सहित सभी क्षेत्रों में बढ़ी बेरोजगारी
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केंद्र सरकार के सभी दावों के विपरीत देश में बेरोजगारी दर में इजाफा जारी है।

जारी है। 

जारी है। है।

ये कैसा डिजिटल इंडिया है कि इसे मॉनिटर करने वाले इंजीनियर ही डिजिटली अनस्किल्ड हैं, कैसे होगा मोदी राज में पूरा देश डिजिटल, सारे स्कूलों—कॉलेजों का बजट काटकर गोबर और गौमूत्र पर जबरन रिसर्च करवाया जाएगा तो स्किल कहां से आएगी....

सुशील मानव

पिछले पांच सालों में डिजिटल इंडिया को बढ़ा—चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, मगर सच यह है कि सिवाय वाट्सएप-फेसबुक क्रांति और दूसरी कोई डिजिटल क्रांति इस देश में न हुई। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा चलाए गए कंप्यूटर साक्षरता के बाद देश में आईटी वर्कर्स की एक भारी फौज पैदा हुई। अमेरिका और यूरोप की कई कंपनियों तो भारत के आईटी इंजीनियरों के दम पर ही आगे बढ़ी और दो दशक तक पूरी दुनिया पर राज किया, लेकिन डिजिटल इंडिया जितना शोर-शराबा न हुआ। न ही शोर शराबे पर कभी इतना रुपया फूंका गया।

बिजनेस इनसाइडर की एक ख़बर के मुताबिक नेशनल इंपलॉयबिलिटी रिपोर्ट फॉर इंजीनियर्स 2019 के मुताबिक भारत में 80 प्रतिशत इंजीनियर्स डिग्री धारक युवा काम के लायक नहीं हैं, क्योंकि उनमें एडवांस डिजिटल स्किल नहीं है। क्या विडंबना है कि एक ओर लोग हल्ला मचा रहे हैं कि इंडिया ही डिजिटल हो गया और दूसरी ओर डिजिटल इंडिया के आधार स्तम्भ यानी इंजीनियरों के पास ही एडवांस डिजिटल स्किल्ड नहीं है।

जून 2018 में भी Aspiring Mind ने अपने एक रिपोर्ट में कहा था कि 95 प्रतिशत इंजीनियरिंग स्नातक आईटी डिवलपमेंट जॉब के योग्य नहीं हैं। आज से करीब एक दशक पहले वर्ष 2005 में Mckinsey report ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि केवल 25 प्रतिशत (एक चौथाई) भारतीय इंजीनियर ही काम के लायक हैं।

इससे पहले जून 2016 में भी नेशनल इंपलॉयबिलिटी रिपोर्ट ने कहा थी कि केवल 8 प्रतिशत इंजीनियर्स ही काम के लायक हैं, जबकि Aspiring Minds ने 2015 की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 97 प्रतिशत इंजीनियर इंग्लिश नहीं बोल सकते हैं, जोकि आईटी जॉब के लिए बेहद ज़रूरी है।

आखिर ये कैसा डिजिटल इंडिया है कि इसे मॉनिटर करने वाले इंजीनियर ही डिजिटली अनस्किल्ड हैं? कैसे होगा मोदी राज में पूरा देश डिजिटल। सारे स्कूलों—कॉलेजों का बजट काटकर गोबर और गौमूत्र पर जबरन रिसर्च करवाया जाएगा तो स्किल्ड कहां से आएगी? इंजीनियरों के दिमाग में पुष्पक विमान और रामसेतु मॉडल को मैनिपुलेट किया जाएगा।

क्या ये रिपोर्ट मोदी जी के डिजिटल इंडिया का मजाक नहीं है। आखिर जिन मोदी जी के राज में चायवाला नाले की गैस से चाय बनाता हो, किसान नाले की गैस से पंपिंग सेट चलाकर अपनी फसलों की सिंचाई करता हो, गाय के गोबर से ऑक्सीजन का उत्पादन होता हो, क्या मजाल कि कोई रिपोर्ट डिजिटल इंडिया के इंजीनियरों को डिजिटली अनस्किल्ड और काम के अयोग्य बता दे।

मोदी भक्त कहेंगे कि जरूर इसमें विपक्ष की कोई चाल होगी या फिर रिपोर्ट किसी देशद्रोही ने बनाई होगी। वरना मोदी जी ने तो हजारों साल पीछे जा जाकर डिजिटल विकास कर दिया है। महाभारत काल में संजय ने वाईफाई का इस्तेमाल करके युद्ध का लाइव प्रसारण किया था, ये बात हमें मोदीयुग से पहले कहां पता था। कौरव दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब संतानें थी, शिव दुनिया के पहले प्लास्टिक सर्जन थे और उन्होंने हेड ट्रांसप्लांट किया था। पुष्पक दुनिया का पहला विमान था। बिना पंखों वाले विमान बनाने जैसी बेसिर-पैर की इंजीनियरिग की मिसाल दुनिया में और कहीं मिलती है क्या। पर मोदी जी के पुरुष प्रताप से हमारे यहां ये भी हो गया।

पांच साल में इससे ज्यादा और क्या डिजिटल इंडिया होगा। डिजिटल विकास एक सिरे से शुरू हुआ है। पहले पांच साल में महाभारत और रामायण युग का डिजिटल विकास हुआ है। मोदी सरकार ने उस युग के इंजीनियरों को डिजिटली स्किल्ड किया है। अभी वर्तमान युग के इंजीनियरों की तो बारी आई ही नहीं थी। रिपोर्टें मोदी राज के डिजिटल युग को शायद नहीं देख पा रहीं।

मोदी और भाजपा समर्थक तर्क देंगे कि ये सब डिजिटल पुरुष मोदीजी को बदनाम करने की साजिश है। वो लोगों को समझायेंगे कि पाकिस्तान युद्ध में इसका फायदा उठा सकता है। ऐसी रिपोर्टों से देश की छवि भी खराब होती है। इन्हे रिपोर्ट ही बनानी है तो पहले रामायण और महाभारत काल के भारतीय इंजीनियरों की रिपोर्ट बनाएं।

हम लोगों की भाषा डिजिटल हुई है। हमारे यहां के लोग डिजिटल हुए हैं, इंजीनियर न भी डिजिटल हुए हों तो उसका इतना भी क्या रोना। आज भाषा में तो डिजिटल हुए हैं न। आज हम भले ही बेवकूफ अवैज्ञानिक और चेतनाविहीन हों, लेकिन डिजिटल विकास के जरिए किसी भी पत्रकार साहित्यकार और बुद्धिजीवी को डिजिटल गाली देकर ट्रोलिंग करके उन्हें मैदान छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

डिजिटल इंडिया में किसी भी औरत को बलात्कार करने की डिजिटल धमकी दी जा सकती है और माननीय प्रधानमंत्री जी हमारा डिजिटल उत्साह बढ़ाने के लिए हमें फॉलो भी कर सकते हैं। आज हम सब फोटोशॉप में माहिर हुए हैं तो ये भी डिजिटल इंडिया का ही कमाल है। इसके जरिये ही हमने केरल बाढ़ पीढ़ितों तक मदद पहुंचाई। इसके जरिए ही हमने पाकिस्तान को धूल चटाई। सड़कों को गड़्ढामुक्त बनाया। लंदन को काशी बताया।

डिजिटल इंडिया को भक्तों की नजर से देखिए, लोगों को मोदी के डिजिटल इंडिया मॉडल को समझना होगा जैसे आज लोगों के पास मोबाइल है उसमें डाटा पैक है लेकिन नेट और नेटवर्क ही नहीं है। फिर चाहे वो मोदी जी के प्रिय मुकेश अंबानी का जियो हो या एयरटेल। वोडाफोन हो या बीसएएनएल।

भक्त कहते हैं, नेट और नेटवर्क पाने के लिए आपको दोबारा उन्हें वोट करना होगा। चुनाव में फिर जिताना होगा। तभी इस देश के इंजीनियर डिजिटली स्किल्ड हो पाएंगे। तभी मुगलों तुर्कों और मंगोलों से बदला लिया जा सकेगा। तभी इस देश का सारा इतिहास भूगोल विज्ञान और भाषा का सही मायने में डिजिटल विकास हो सकेगा।

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