जनज्वार विशेष

मोदी सरकार ने भुखमरी में भारत को पहुंचाया 55 से 103वें स्थान पर

Prema Negi
10 Dec 2018 4:21 AM GMT
मोदी सरकार ने भुखमरी में भारत को पहुंचाया 55 से 103वें स्थान पर
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भारत की स्थिति भुखमरी में बंग्लादेश, नेपाल और आसपास के तमाम गरीब देशों से भी बदतर, मोदी जब बने थे प्रधानमंत्री तो भारत की रैंक थी 55वीं, अब है 103वां स्थान...

वरिष्ठ लेखक जेपी सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार। वर्ष 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार बनने के बाद से वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट आई है। साल 2014 में भारत जहां 55वें पायदान पर था, तो वहीं 2015 में 80वें, 2016 में 97वें और पिछले साल 100वें पायदान पर आ गया। इस बार रैंकिंग 3 पायदान और गिर गई और 119 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 103वें पायदान पर पहुंच गया है।

दरअसल विकास के तमाम दावों के बीच भारत में भूख एक गंभीर समस्या है और 119 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 103वें पायदान पर है। भारत नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों से भी पीछे है। पाकिस्तान की 106वीं रैंक है।

पिछले साल भारत वैश्विक भूख सूचकांक में 100वें नंबर पर था। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 68 मिलियन लोग रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे हैं।

अब तक की सबसे भयानक स्थिति

वैश्विक भूख सूचकांक के अनुसार, भारत 2014 से 48 अंक नीचे खिसककर अब तक की सबसे भयानक स्थिति में चला गया है। किसी देश में भूख की स्थिति का वर्णन करने के लिए वैश्विक भूख सूचकांक जैसे बहुआयामी यंत्रों (साधन) का उपयोग किया जाता है।

2006 में पहला वैश्विक भूख सूचकांक प्रकाशित किया गया था, जिसका नाम वेल्थ हंगर लाइफ रखा गया। वैश्विक भूख सूचकांक के 12वें संस्करण में दुनियाभर के विकासशील देशों को शामिल किया है। बाल मृत्यु दर, अल्पपोषण, लंबाई के अनुपात में कम वजन और आयु के अनुपात में कम लंबाई जैसे चार संकेतक हैं, जिसके द्वारा वैश्विक भूख सूचकांक देशों के स्थान का पता लगाता है।

भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक कुपोषित आबादी वाला देश

आंकड़ों और तथ्यात्मक विवरणों के अनुसार, भारत में 20 प्रतिशत से अधिक मामलों में पांच साल की उम्र वाले बच्चों में उनकी लंबाई के मुकाबले कम वजन है। इसके अलावा, 33 प्रतिशत बच्चों का कद उनकी उम्र के अनुसार बहुत कम है। भारत में कुपोषित सबसे कम उम्र के युवा हैं। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक कुपोषित आबादी वाला देश है। यहां कुपोषण की दर और भी बुरी है। खाद्य योजनाओं में नाकामयाबी और नागरिकों के बेहतर कल्याण के लिए योजनाओं के वास्तविक क्रियान्वयन के बीच असमानता भी एक कारण है।

पड़ोसी देशों से भी खराब हमारे हालात

वैश्विक भूख सूचकांक की ताजा रिपोर्ट में भारत की स्थिति नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से भी खराब है। इस साल ग्लोबल हंगर इंडेक्स में बेलारूस टॉप पर है, तो वहीं भारत के पड़ोसी चीन को 25वीं, बांग्लादेश को 86वीं, नेपाल को 72वीं, श्रीलंका को 67वीं और म्यांमार को 68वीं रैंक मिली है।

क्या है वैश्विक भूख सूचकांक?

वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) की शुरुआत साल 2006 में इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने की थी। वेल्थहंगरलाइफ नाम की एक जर्मन संस्था ने 2006 में पहली बार वैश्विक भूख सूचकांक जारी किया था। 2018 में उसकी रिपोर्ट का 13वां एडिशन है।

वैश्विक भूख सूचकांक में दुनिया के तमाम देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत ब्योरा होता है, मसलन, लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें कमियां क्या हैं। हर साल अक्तूबर में ये रिपोर्ट जारी की जाती है।

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