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शिक्षा

ढाबे में बर्तन मांजता था अब बीजिंग यूनिवर्सिटी में पढ़ाएगा

Janjwar Team
1 Sep 2017 10:46 AM GMT
ढाबे में बर्तन मांजता था अब बीजिंग यूनिवर्सिटी में पढ़ाएगा
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कई बार उसे बुखार भी होता, कई बार शरीर टूटता, हथेलियां बर्तन धोते फट जाती थी, परंतु फिर भी रात को कभी डिबिया में, कभी लालटेन में, कभी मोमबत्ती में अनुज घर जाकर पढ़ना नहीं छोड़ता...

संजीव चौधरी

मुजफ्फरनगर। यह गुदड़ी के लाल की कहानी है। कहते हैं अगर आदमी बड़ा सोचे तो बड़ा बनता भी है।

सपने बड़े देखे तो सपनों तक पहुंचता भी है। आप कहां रहते हैं, क्या करते हैं, आपका परिवेश कैसा है यह मायने नहीं रखता। आपकी अगर सोच बड़ी है तो आपको बड़ा जरूर बनाती है। मंसूरपुर के पास स्थित जाट बाहुल्य गांव सोंटा में एक मजदूर, गरीब कश्यप परिवार में जन्म लेने वाले अनुज ने कभी भी छोटे सपने नहीं देखे। हालांकि वह बहुत गरीब परिवार से था। पिता एक ढाबे में मजदूरी करते थे, तो भाई जूस का ठेला लगाता था।

पिता की असमय मृत्यु हो जाने पर अनुज को भी पेट पालने के लिए मंसूरपुर में ही स्थित एक में ढाबे में बर्तन धोने पड़ते थे। देर रात तक बर्तन माँज वह घर लौटता था। कई बार बर्तन धोते हुए टूटते भी थे।

कई बार बुखार भी होता था, कई बार शरीर टूटता भी था, हथेलियां बर्तन धोते फट जाती थी, परंतु फिर भी रात को कभी डिबिया में, कभी लालटेन में, कभी मोमबत्ती में अनुज घर जाकर पढ़ना नहीं छोड़ता था।

उसे पढ़ने की लगन थी, वह पढ़ाई का दीवाना था। वह समय बचा—बचाकर पढ़ा करता था। उसकी आंखों में बड़े-बड़े सपने थे उसने कुछ दिमाग मे धार रखा था। उसकी मेहनत और लगन थी कि उसने मंसूरपुर स्थित सर शादी लाल इंटर कॉलेज से हाईस्कूल किया। फिर मुजफ्फरनगर के जाट कॉलेज से इंटर पास किया।

डीएवी डिग्री कॉलेज से बीएससी करने के बाद उसने उत्तराखंड, श्रीनगर स्थित गढ़वाल यूनिवर्सिटी से एमएससी की। बाद में उसने केमिस्ट्री इलेक्ट्रो विषय में गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और अनुज से वह डॉक्टर अनुज बन गया।

पीएचडी में अनुज का विषय था "सिंथेसिस एंड कैरेक्टराइजेशन ऑफ मैक्रो साइकिलिक कांपलेक्स ऑफ बायोलॉजिकल सिगनिफिकेन्स एंड देअर रिडॉक्स स्टडीज" स्वर्गीय सोमपाल सिंह कश्यप और माता वेदो के पुत्र डॉक्टर अनूप कश्यप ने जो सपने देखे थे वह उसकी काबिलियत के सामने बोने होते गए। आज अनुज को चाइना की बीजिंग यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक के तौर पर पढ़ाने के लिए ढाई लाख रुपए भारतीय करेंसी में वेतन देने की बात हुई।

साथ ही अन्य अलग सुविधाएं अलग से। चाइना के बीजिंग की ओर उड़ान भरने वाला अनुज आज जहां बधाई का हकदार है, वहीं करोड़ों लोगों के लिए प्रेरक भी है। जिसको कामयाबी तक पहुंचने के सफर में उसकी माली हालत ने, जिसे उसके हालात ने, जिसे आर्थिक कमजोरी ने रुकावटें, परेशानियां तो दीं, मगर उसके आगे बढ़ते हुए कदमों में ये बाधाएं बेड़ियां नहीं बन पाईं।

सभी बेड़ियों को तोड़ता हुआ अनुज आज अपनी मंजिल, अपने सपनों के उस पहले पायदान पर ही इतने शानदार तरीके से पहुंचा है, कि अंतिम सिरे तक जाते-जाते उसका नाम सुनहरे हर्फों में लिखा जाएगा यह तय है। अनुज प्रेरक है उनके लिए जो किसी काम को चोट समझ, अपनी सोच बनाते हैं।

अनुज ने बीएससी तक बर्तन साफ किये, आज उसके पास चीन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन, ऑस्ट्रेलिया, इजिप्ट, फ्रांस आदि यूनिवर्सिटी से जॉब के लिए इनविटेशन हैं।

Janjwar Team

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