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'रोटी-रोजगार सब छिन गया अब बस मोदी से छुटकारा दिला दो'

Prema Negi
15 April 2019 8:38 AM GMT
रोटी-रोजगार सब छिन गया अब बस मोदी से छुटकारा दिला दो
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मुख्तार कहते हैं, पिछले साल रावनवमी के समय फूलपुर के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से विहिप और बजरंग दल ने झांकी निकाली थी, टकराहट की स्थिति पैदा करके माहौल बिगाड़ने की कोशिश की, वो तो प्रशासन ने मामले को संभाल लिया, नहीं तो दंगे भड़क गए होते...

सुशील मानव की रिपोर्ट

जनज्वार। पिछले पांच वर्षों में मुस्लिम समुदाय पर सबसे ज्यादा हमले किये। कभी लव जेहाद, कभी घर वापसी, कभी बीफ, कभी अज़ान की आवाज़ लेकर, कभी सार्वजनिक स्थलों पर नमाज़ अदा करने, कभी उनकी जनसंख्या को लेकर, कभी राष्ट्रवाद कभी आतंकवाद तो कभी मंदिर-मस्जिद तो कभी क्रिकेट को लेकर।

मुग़लसराय स्टेशन से लेकर इलाहाबाद शहर और औरंगजेब रोड तक के नाम बदलकर उनकी स्मृति व पहचान मिटाने जैसे हमले किये गए। 2019 लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, ऐसे में हमने फूलपुर और ग़ाजियाबाद संसदीय सीट के पसमांदा समुदाय के मतदाताओं से बात करके उनकी आपबीती जानने की कोशिश की।

फूलपुर के 38 वर्षीय साजिद दर्जी का काम करते हैं, वे निरक्षर हैं। उनके दो बच्चे हैं। उनकी बेग़म दूसरों के घरों में चूल्हा-चौका का काम करती हैं। साजिद बताते हैं कि पिछले 4 साल से हमें राशन नहीं मिला। अब चुनाव होने वाले हैं तो पिछले दो महीने से राशन मिलने लगे हैं। कारण पूछने पर साजिद बताते हैं कि राशन कार्ड के ऑनलाइन दर्ज़ करने की प्रक्रिया में इतना वक्त लग गया ऐसा हमें बताया गया। वो बताते हैं कि कोटेदार पटेल समुदाय का है और भाजपा का कोर वोटर है। साजिद ये भी कहते हैं कि इस सरकार के पास सरकार चलाने का ढंग नहीं था इसने कुछ नहीं किया समाज में नफ़रत फैलाने के सिवाय।

वहीं फूलपुर के ही 42 वर्षीय मुख़्तार नाई का अपना पुश्तैनी कारोबार अपनाए हुए हैं। 7 साल की उम्र से ही ये काम करते आ रहे हैं। उनके पांच बच्चे हैं। उनका बड़ा बेटा भी सैलून में काम करता है। वो बताते हैं कि पिछले पांच सालों में यहां बहुत कुछ बदल गया है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में भी शाखाएं लगने लगी हैं। गोमती इंटर कॉलेज जैसे सरकारी सकूलों में भी शाखा लगाई जाती है। चैत्र की रामनवमी और क्वार की दशहरा के समय पूरे दिन लगभग 6-9 घंटे सड़कों पर जुलूस और झांकिया रेंगती रहती हैं। इस दौरान डीजे पर सांप्रदायिक गाने और नारे गूँजते रहते हैं।

मुख्तार बताते हैं कि पिछले साल रावनवमी के समय फूलपुर के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोगों ने झांकी निकाली थी, टकराहट की स्थिति पैदा करके माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई थी। प्रशासन ने मामले को सम्हाल लिया था, इसकी प्रतिक्रिया में विहिप और बजरंग दल के लोगों ने फूलपुर थाने में तालाबंदी करके खूब बवाल मचाया था।

मुख्तार आगे कहते हैं फूलपुर में पिछले पांच सालों में कई दफ़ा समाज के माहौल को खराब करने की कोशिश की गई लेकिन प्रशासन ने हर बार मामले को बड़ी होशियारी और संवेदनशीलता से सम्हाल लिया, नहीं तो यहां भी बड़ा दंगा हो सकता था। मुख्तार बताते हैं कि उन्हें डिजिटल इंडिया के चलते पिछले चार साल से राशन नहीं मिला। मोदी शासन में हमारी रोटी—रोजगार सब छिन गया, हमें उनसे छुटकारा चाहिए।

मोहम्मद शफ़ीक़ की रेडीमेड कपड़ों की दुकान है। उनके 4 बच्चे खाड़ी के देश में काम करते हैं। वो कहते हैं इस सरकार ने गाय और मंदिर मस्जिद के नाम पर मुसलमानों को मारा है, ऐसे तो देश विकास नहीं करेगा। मुसलमान शासकों ने 900 साल शासन किया है, पर किसी भी धर्म के खिलाफ़ छेड़खानी नहीं की है।

शफीक़ बताते हैं कि पिछले साल जिस तरह से नवादा और भागलपुर में दंगों के दौरान मुसलमानों की दुकानों को निशाना बनाया गया, उसके बाद से मन में एक भय है कि कारोबार को लेकर मन में एक डर सा बना रहता है।

फौजिया धोबी का पुश्तैनी पेशा है। वो कपड़े धुलने का काम करती हैं, खाली टाइम में बीड़ी बनाती हैं। उनके शौहर धुले कपड़ों की इस्तरी करने का काम करते हैं। उनके आठ लड़कियां हैं। दो साल पहले दो लड़कियों की शादी की पर सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली, न ही कोई पेंशन।

धोबी का काम करने वाली फौजिया भी है मोदी सरकार की नीतियों से निराश, साथ में उनकी बेटी

क्या तीन तलाक़ के मुद्दे पर क्या स्त्रियां मोदी सरकार को सपोर्ट करेंगी? इस पर आशमां कहती हैं हमारे समाज में ये इतना बड़ा मुद्दा नहीं है। व्यवहारिक रूप से तीन तलाक़ हमारे समाज में कहीं नहीं है। सरकार और मीडिया ने हवाबाजी करके इसका जिन्न बना दिया है।

65 वर्षीय नूर मोहम्मद कबाड़ का काम करते हैं। वो ‘जय माता की’ कहकर अभिवादन करते हैं। उनकी बेगम बीड़ी बनाती हैं और बच्चे सिलाई का काम करते हैं। वो कहते हैं इस सरकार के आने से समाज का माहौल तो खराब हुआ है, विशेषकर युवा पीढ़ी के लड़कों के मन में नफ़रत का भाव बढ़ा है। साथ ही वो कहते हैं कि कांग्रेस गठबंधन में शामिल होती तो अच्छा रहता।

अधेड़ उम्र के साजिद ठेला लगाकर फूलपुर मंडी में फल बेचते हैं। वो कहते हैं बच्चे घर से बाहर निकलते हैं तो उनके घर लौटने तक मन में एक भय रहता है। वो बताते हैं कि तीन तलाक़ के मुद्दे पर हमारे वोट नहीं बँटे। ये फर्जी बात है। देवबंदी जैसी सीटों पर भाजपा के जीतने के दो कारण है। एक ये कि शिया समुदाय के लोग भाजपा को सपोर्ट करते हैं, दूसरा कारण ईवीएम में गड़बड़ी की गई थी।

दर्जी का काम कर किसी तरह अपनी गुजर—बसर कर रहे 38 वर्षीय साजिद

पसौंदा गाजियाबाद के उस्मान और फरीद दूर-दराज के गांवो कस्बों में फेरी लगाकार इलेक्ट्रानिक सामान और कपड़ें बेंचने का काम किया करते थे। वो कहते हैं कि जब से बच्चा चोर और गौ-तस्कर कहकर मुसलमानों की हत्या होने लगी, उसके बाद से घरवालों ने ये काम करने ही नहीं दिया। एक डर के चलते वो तब से घर में बैठे हैं।

इमरान और नावेद चिकेन की दुकान लगाते हैं। वो बताते हैं कि पिछले चार-पांच सालों में दुकानदारी बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई है। व्यापारी लोग परेशान हैं। मैंने पूछा क्या सब शाकाहारी हो गए हैं। तो वो बताते हैं कि नहीं लोगों के पास पैसे ही नहीं हैं, सब परेशान हैं। ये नोटबंदी और बेरोजगारी ने देन है। नावेद कहते हैं हमें तो कभी किसी ने नहीं परेशान किया, पर इसी कारोबार में लगे तमाम लोग बताते हैं कि उन्हें परेशान किया गया और संरक्षण देने के बदले कई हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा उनसे उगाही तक की गई।

80 पार के बुजुर्ग कमरुद्दीन फूलपुर में जूते-चप्पलों की मरम्मत और पालिश का काम करते हैं। वो बताते हैं कि पहले वो सड़क के फुटपाथ पर एक पेड़ के नीचे बैठकर ये काम करते थे। सड़क चौड़ी करके चार लेन होने के बाद फुटपाथ पर कारोबार करनेवाले हजारों लोगों के पेट पर सरकार की लात पड़ी है। वो कहते हैं फुटपाथ पर काम-धंधा करने वाले समाज के सबसे गरीब वंचित दलित लोग हैं। पूरे देश में सरकार सड़कों के चौड़ीकरण के जरिए विकास की बात कर रही है, जबकि सच ये है कि करोड़ों लोगों की रोजी रोटी चली गई। अब यहां कि जमीने महँगे दामों में बिकेंगी और बड़ी दुकाने खोली जाएगीं। सुनते हैं ये सड़क 6 लेन करने का आदेश भी पास हो चुका है।

कमरुद्दीन अब एक सज्जन के मकान के अहाते में बैठकर अपना काम करते हैं और पूरी तरह से उनके ही रहमोकरम पर रोटी रोजी कमा रहे हैं। वो कहते हैं सड़क पर जाम तब तक नहीं हटेगा, जब तक निजी गाड़ियों पर पाबंदी लगाकार सरकारी यातायात को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। वे कहते हैं प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने से कांग्रेस मजबूत हुई है उसका केंद्र में आना तय है।

वहीं मोहम्मद जीशान गाजियाबाद के साहिबाबाद रेलवे स्टेशन के बगल में चिकेन की दुकान चलाते हैं। कहते हैं प्रधानमंत्री मोदी अच्छे प्रधानमंत्री हैं और वो दोबारा सत्ता में आएंगे। आपका कितना विकास हुआ और कितनी तरक्की हुई आपके धंधे में इस दौरान पूछने पर वह बगलें झांकने लगते हैं।

कबाड़ का काम करने वाले 65 वर्षीय नूर मोहम्मद भी कहते हैं मोदी ​सरकार ने कर दिया है तबाह

वहीं यहीं के अरबाज़ स्नातक के छात्र हैं। कहते हैं कि पिछले पांच साल में हमें लगातार लाखों शक़ भरी नज़रों से गुजरना पड़ा। हमारी देशभक्ति पर हमेशा हर पल संदेह किया गया। देश में होने वाली हर खराब चीज के लिए हमें जिम्मेवार ठहराया गया। हमें जताया गया कि हम बाबर की संतानें हैं। हमें विदेशी, क्रूर और लुटेरी कौम बताया गया। क्रिकेट जैसी चीज को भी हमारी देशभक्ति को मानक बना दिया गया। मदरसों को लगातार आतंकवाद की पाठशाला कहकर हमें जलील किया गया।

दिहाड़ी करने वाले अनवर कहते हैं, भाजपा ने जैसे पिछड़ों में यादव व गैर यादव तथा जाटव व गैर-जाटव समाज दलितों में महादलित का डिवीजन किया है, उसी तरह शियाओं को अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यक बताकर मुस्लिम समाज का डिवीजन किया है। शिया समाज के लोग मोदी को सपोर्ट करते हैं। भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी हंडिया इलाहाबाद के हैं और शिया समुदाय से ताल्लुक़ रखते हैं, इसके चलते स्थानीय और शिया लोग उन्हें सपोर्ट करते हैं।

नकवी के अलावा मोहसिन रजा, गैरूल हसन, हैदर अब्बास, तनवीर हैदर उस्मानी बुक्कल नवाब आदि शिया समुदाय के कई नेता भाजपा सरकार में कई बड़े पद पर आसीन हैं। 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में शिया उलेमाओं ने सूफी लोगों के साथ मिलकर समाजवादी पार्टी के खिलाफ प्रचार किया था, जिसका फायदा बीजेपी को मिला था।

पसमादां समाज के सैकड़ों लोगों से बात करने पर समझ में आया कि वर्तमान मोदी सरकार ने हर तरह से उनकी रोटी-रोजी, संस्कृति और अस्मिता पर हमला किया है। पसमांदा लोगों का जीवन लगातार भय और आतंक के साये में बीत रहा है।

इन्हें इनके ही देश में अपराधी और आतंकवादी का पर्याय दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया है, लोग अब किसी भी कीमत पर इस सरकार से छुटकारा चाहते पाना चाहते हैं। लोग कहते हैं इसके लिए ये उन्हें वोट करेंगे जो वर्तमान सरकार को हरा सके।

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