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विमर्श

नए साल पर झारखंड में 17 लाख खदान मजदूर हुए बेरोजगार

Janjwar Team
31 Dec 2017 10:20 PM GMT
नए साल पर झारखंड में 17 लाख खदान मजदूर हुए बेरोजगार
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नए साल पर झारखंड सरकार का मजदूरों को तोहफा, 347 खदानें कल से होंगी बंद, 17 लाख मजदूर सड़क पर

रांची। कल का दिन जहां भारत समेत पूरा विश्व नए साल की खुशियों में मशगूल रहेगा, वहीं लाखों परिवारों के घर में चूल्हा भी नहीं जलेगा। नया साल उनके लिए मनहूसियत भरी सुबह जो लेकर आएगा।

जी हां, झारखंड में कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने 347 खदानों को बंद करने का फैसला किया है। घटनाक्रम के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन खदानों पर 40 हजार करोड़ की पेनाल्टी लगाई गई थी, जिसे खदान मालिकों द्वारा नहीं भरा गया। पेनल्टी न भरने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नए साल पर झारखंड की 347 खदानें बंद कर दी जाएंगी।

प्रभात खबर में छपी खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण स्वीकृति से अधिक क्षेत्र में खनन करने के कारण खान विभाग की शिकायत पर इन खदानों पर 40 हजार करोड़ रुपये की पेनल्टी लगायी थी। खदानों को इस राशि का भुगतान 31 दिसंबर 2017 तक करना था। मगर खदान मालिकों के कानों में जूं नहीं रेंगी और मजदूरों के भविष्य का कोई ख्याल न करते हुए खदानों ने पेनल्टी का भुगतान नहीं किया।

जिन खदानों को पेनल्टी नोटिस जारी किया गया था उनके जानी मानी सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल की कोयला खदानों से लेकर हिंडाल्को की बॉक्साइट खदान, चाईबासा स्थित लौह अयस्क खदानों व लाइम स्टोन की खदानों का नाम शुमार है।

घटनाक्रम के मुताबिक इसी साल 2 अगस्त को कॉमन कॉज बनाम भारत सरकार और प्रफुल्ल सामांत्रा बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की 347 खदानों को 40 हजार करोड़ रुपए पेनल्टी भरने का आदेश दिया था।

इसमें पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र (इसी) में स्वीकृत मात्रा से अधिक उत्पादन करने के मामले में एमएमडीआर एक्ट 1957 की धारा 21 (5) के तहत उल्लंघन की स्थिति में क्षतिपूर्ति राशि वसूलने का निर्देश कोर्ट जारा जारी किया गया था।

इसी के तहत खान सचिव ने 23 अक्तूबर को सभी जिला खनन पदाधिकारियों को पत्र भेजकर वर्ष 2000-01 से 2016-17 तक खदानों से निकाले गये खनिजों की गिनती करने का आदेश दिया था। साथ ही स्वीकृत मात्रा से अधिक खनिज का उत्पादन करने वाली खदानों पर दंड लगाते हुए नोटिस भेजने को कहा था।

इसी के तहत नियमों का उल्लंघन करने वाली खदानों को 31 दिसंबर तक पेनाल्टी का भुगतान करने को कहा गया था। साथ ही निर्देशित किया गया था कि ऐसा न करने पर 24 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से कुल राशि पर ब्याज वसूला जाएगा। इतना ही नहीं पेनल्टी न भरने वालों पर किसी भी तरह की कार्रवाई करने की बात भी कही गई थी।

इस बारे में झारखंड के खान आयुक्त अबु बकर सिद्दीख कहते हैं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत जिन खदानों ने 31 दिसंबर तक दंड राशि नहीं चुकाई है, उन्हें 1 जनवरी, 2018 से बंद कर दिया जाएगा। हालांकि दो-तीन कंपनियों द्वारा भुगतान किया गया है। हमें कोर्ट के आदेश से तहत खदानों का संचालन तब तक बंद करना होगा, जब तक कि हमें कोई अगला निर्देश नहीं मिलता।

गौरतलब है कि जिन खदानों को नोटिस जारी किया गया है उनमें कोयला, लोहा, बॉक्साइट और लाइम स्टोन की खदानें शामिल हैं। हर खदान में अंदाजन पांच हजार मजदूर काम करते हैं। इसी औसत के हिसाब से खान विभाग के अधिकारियों ने एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक गणना की है कि लगभग 17 लाख मजदूर एक जनवरी से बेरोजगार हो जायेंगे।

झारखंड के चाईबासा स्थित लौह अयस्क, मैगनीज व लाइम स्टोन की खदानों पर 2706 करोड़ की पेनाल्टी लगायी गयी है. इनमें केवल सेल की चार माइंस पर ही तकरीबन 1328 करोड़ की पेनाल्टी लगी है। चतरा स्थित सीसीएल की कोयला खदानों पर 886 करोड़, हजारीबाग स्थित कोयला खदानों पर 620 करोड़, गुमला व लोहरदगा स्थित बॉक्साइट खदानों पर 290 करोड़ का की दंड राशि लगी है। वहीं बीसीसीएल पर अधिक खनन के कारण 6233 करोड़ रुपये की सर्वाधिक पेनाल्टी लगायी गयी है।

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