सोशल मीडिया पर श्रद्धांजली देते मैसेजों का लगा तांता, पहले भी कई दफा उनके मौत की झूठी खबरें हो चुकी हैं वायरल
जनज्वार। लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से दूर लगभग कौमा और याददाश्त गंवा चुके कभी भाजपा के बैकबोन रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मरने की खबरें जब—तब मीडिया में छाई रहती हैं। एक बार फिर कल 29 मार्च को उनके निधन की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, लोगों वाट्सग्रुप—फेसबुक पर उन्हें श्रद्धांजलि देने लगे।
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राजस्थान में तो कल दिनभर सोशल मीडिया पर अटल बिहारी वाजपेयी के मरने की खबरें आम लोगों के बीच छाई रही। सोशल नेटवर्किंग साइट वाट्सग्रुप पर सबसे पहले उनके मरने की खबर आई, उसके बाद खबर की पुष्टि किए बिना यह खबर सोशल मीडिया पर छा गई। देर रात इस बात की पुष्टि हुई कि यह खबर फेक है।
गौरतलब है कि सबसे पहले सितम्बर 2015 में भी उनकी मौत की अफवाह को लोग सच मान बैठे थे। तब उड़ीसा के बालासोर जिले के एक प्राइमरी स्कूल में वाजपेयी की मौत पर श्रद्धांजलि सभा तक का आयोजन कर दिया गया था। इतना ही नहीं उनके निधन का शोक मनाने के लिए श्रद्धांजलि देने के बाद स्कूल की छुट्टी कर दी गई थी। तब वाजपेयी के निधन पर श्रद्धांजलि स्वरूप स्कूल बंद करने के लिए जिला कलेक्टर ने स्कूल के प्रधानार्चा को सस्पेंड कर दिया था।
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2015 में उड़ीसा के बालासोर जिले में प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल कमलकांत दास को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की सूचना एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में उनके साथियों ने दी थी। खबर की पुष्टि किए बिना उन्होंने अपने स्कूल में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर दी थी और शोकस्वरूप बच्चों की छुट्टी कर दी।
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इसके बाद 24 दिसंबर 2016 को भी वाजपेयी की मौत का मामला मीडिया में छा चुका है। उस वर्ष 24 दिसंबर को गर्ल्स कॅालेज खंडवा में जब उनका जन्मदिन मनाया जा रहा था तो उसी दौरान उन्हें श्रद्धांजलि दे दी गई। कॉलेज में हुए उनके जन्मोत्सव कार्यक्रम में प्रधानाचार्य पुष्पलता केसरी व अन्य टीचरों ने श्रद्धांजलि स्वरूप पूर्व प्रधानमंत्री के चित्र पर फूल चढ़ाए और अगरबत्ती भी जलाई।
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वैसे जब से सोशल मीडिया के लोगों के जीवन में हस्तक्षेप बढ़ा है, इंटरनेट हर जरूरत की तरह लोगों के जीवन में शामिल हो चुका है, तब से फेक खबरें भी उसी तादाद में प्रचारित—प्रसारित हो रही हैं।