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आंदोलन

मोदी जी अपनों के मरने का दुख वही जान सकता है जिसके घर से 2-2 अर्थियां एक साथ उठी हों

Janjwar Team
25 Jun 2018 11:42 AM GMT
मोदी जी अपनों के मरने का दुख वही जान सकता है जिसके घर से 2-2 अर्थियां एक साथ उठी हों
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माननीय मोदी जी जिस पाटीदार समाज ने आपको CM के बाद PM बना कर दिल्ली भेजने का काम किया था, वो आपको फिर से गुजरात वापस भी बुलाना भी जानती है। और वैसे भी अब 2019 ज्यादा दूर नहीं है....

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित यह पत्र पाटीदार आंदोलन के नेता जतिन पटेन ने तब लिखा है, जबकि पूरे गुजरात में 35 दिनों तक चलने वाले 'पाटीदार शहीद यात्रा' की शुरुआत 24 जून, 2018 से की जा चुकी है। जतिन पटेल उस यात्रा का हिस्सा हैं। यात्रा का मूल उद्देश्य पूरे पाटीदार समाज को अपने संवैधानिक अधिकारों को पुनः जागृत करना एवं आंदोलन में शहीद हुए पाटीदार भाइयों के ऊपर गोलीबारी करने वाले पुलिसकर्मियों और करवाने वाले अधिकारियों को दण्डित करने के लिए उचित न्याय की मांग करना है। अब तक न्याय की उम्मीद में बैठे इस आंदोलन के लगभग तीन साल हो चुके हैं, जिसमें एक दर्जन से अधिक पाटीदार समाज के लोग पुलिसिया दमन में अपनी जान गवां चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। इनमें से कई लोगों पर तो राजद्रोह जैसे संगीन एवं संवेदनशील मुकदमे दर्ज हैं

आइए पढ़ते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम गुजरात के पाटीदार अमानत आंदोलन के नेता ‘जतिन पटेल’ का खुला पत्र

सेवा में,

प्रधानमंत्री महोदय

भारत सरकार

मोदी जी, मैं मेरे दिल में जो दर्द भरा हुआ है मैं सिर्फ वही बयान करता हूँ। आपके सामने से गुजरात के पाटीदार समाज के लोगों ने आपको CM से लेकर PM बनाने तक, अपना तन मन धन सब दिया है। हम सब भी मानते हैं कि अब आप देश के वड़ाप्रधान बने चार साल हो चुके हैं, आपको पूरे देश की रखवाली करने की जिम्मेवारी है, पर मेरा भरे हुए ह्रदय से आपको ये निवेदन है कि सबसे पहले पाटीदार समाज के लोगों पर जो अब तक अन्याय एवं दमन हुआ है, उसकी सही न्यायिक जांच हो और इसमें जो भी लोग दोषी है उनको कड़ी से कड़ी सजा मिले।

आज से लगभग 3 साल पहले गुजरात में पाटीदार अमानत आन्दोलन की शुरुआत हुई, जोकि एक उनके हक एवं अधिकार की लड़ाई थी। समाज के बच्चों के भविष्य की लड़ाई थी और नई पीढ़ी को अपना भविष्य धुंधला नजर आ रहा था। इसीलिए वो सड़कों पर आंदोलन करने लाखों की संख्या में निकल कर आगे आये थे और छोटी-छोटी रैलियों ने बड़ा रूप ले लिया। आजादी के बाद जो समाज देश को मजबूत करने मे मजबूती से मेहनत कर रहा था, आखिर उसकी हालत इतनी खस्ता क्यों होती जा रही थी। उसकी वजह से लाखों की संख्या में 25 अगस्त, 2015 को GMDC मैदान में लोग जमा हुये।

अगले दिन रात को ही मैदान पाटीदार समाज के लोगों से खचाखच भरा था, दूसरे दिन पूरा अहमदाबाद शहर भरा हुआ था। लोगों में एक दर्द के साथ ज्यादा खुशी इस बात की थी खेती और व्यापार करने वाली और हमेशा व्यस्त रहने वाली कौम इतनी बड़ी संख्या में आन्दोलन के लिए अपना समय निकाल के लाखो की संख्या में वहां उपस्थित रही।

उस दिन शाम को GMDC मैदान मे सिर्फ 400-500 लोग थे, जो शांतिपूर्ण अनशन कर रहे थे। बाकी के लोग अपने अपने घरों की ओर बढ़ रहे थे और जैसे ही शाम ढली वहाँ पुलिस के काफिले आने शुरू हो गये। कुछ समय बाद पुलिस ने जान बूझकर लाइटें बंद करवा दीं और जितने भी लोग मैदान में थे औरतें, बच्चे, बूढ़े, सब पर पुलिस बेरहमी से टूट पड़ी।

मानो ये लोग कोई आतंकवादी या अपराधी हों, उसके बाद का जो सिलसिला चला, जिसमें पुलिस सिविल ड्रेस में डंडे लेकर पाटीदार इलाकों में जाकर लोगों पर लाठीचार्ज करने लगी और लोगों को बेरहमी और बर्बरता से पीटती रही। घरों के कांच, गाड़ियों के कांच तोड़ती रही। यहाँ तक की माँ बहनों को अभद्र भाषा से गालियां भी देती रही। ये सब समाज के सीधे-सादे लोगों की आवाज को दबाने के लिए किया जा रहा था।

यह सब साफ दिख रहा था बिना किसी चेतावनी हवा में फायर करने की बजाए पुलिस बल लोगों के गले में, सीने में, पेट में गोलियां चलाने लगे थे। जैसे कोई जलियावाला बाग़ काण्ड चल रहा हो। कुछ लोगों को तो रास्ते में रोककर और उनकी जाति पूछकर उन पर गोलियां बरसाई जा रही थीं और लाठीचार्ज किया गया था। 50 से ज्यादा लोगों को गोलियां लगीं, पर वो बच गए। 8 लोग उसी दिन मारे गए, जो लोग गम्भीर रूप से घायल हुये।

अपनों के मरने का दुःख सिर्फ वही जान सकते हैं जिनके घर में एक साथ 2 अर्थियां उठी हों. किसी के घर का एकलौता लड़का, जिसे घर से घसीट कर पुलिस स्टेशन में ले जाकर टॉयलेट में मुंह घुसाकर लाठियों से बेरहमी से पहले पीटा गया और फिर उतनी ही बेरहमीं से हत्या कर दी गयी हो। यह वह मौत है जिसको बयां करने में आंखों से अपने आप आँसू आ जायें और रूह कांप उठे.

माननीय प्रधानमंत्री जी ये शायद आपको खबर थी या नहीं, मैं नहीं जानता लेकिन उस दिन की इस अमानवीय दमनकारी घटना के बाद पूरा समाज रोया था। उय दिन के बाद तीन-तीन महीने तक मौत से जूझने वाले केयूर ने भी हॉस्पिटल में आखिर दम तोड़ दिया। जिनका कोई कुसूर नहीं था, कोई किसी का बेटा था, तो कोई किसी का पति, किसी का कुल मिट गया, तो किसी का सुहाग।

किसी ने भी ये सोचा भी नहीं होगा कि इतना बड़ा हादसा हो जाएगा, बिना गुनाह किये भी पुलिस किसी के साथ इतना बुरा सुलूक करती है।

यह आज पूरा समाज जानना चाहता है कि ये सब कैसे हो रहा था? ये सब किसके इशारे पर हो रहा था? इसके पीछे क्या साजिशें चल रही थीं? इस बात को किसी को इल्हाम नहीं रहा होगा कि आखिर इतनी ईमानदार कौम पर आखिरकार लाठियां और गोलियां किस गुनाह की सजा के तौर पर बरसाई जा रही थीं? क्या शांतिपूर्वक तरीके से अपना हक़ माँगना इनका गुनाह था।

माननीय मोदी जी, आप से और आपकी गुजरात सरकार से मेरा एक ही प्रश्न है, पाटीदार समाज के लोगों ने कौन सा ऐसा देशविरोधी कार्य किया था कि पूरे समाज को लोगों पर इतनी क्रूरता के साथ उनका और उनके अधिकारों क्यों दमन किया गया? पाटीदार समाज ने आखिर ऐसा कौन सा बड़ा गुनाह कर दिया था जो उन्हें गोलियों से छलनी करना पड़ा। जो भारत का संविधान कहता है वही पूरा समाज मांग कर रहा था। शिक्षा और रोजगार के माध्यम से जिस कौम ने आज तक देश के विकास को आगे बढ़ाया खुद भूखे रहकर दुसरे लोगों की मदद की, उसी कौम के साथ आखिर इतनी बर्बरता क्यों कर रही थी सरकार?

माननीय मोदीजी, आज एक बार फिर से पूरा समाज एकजुट होकर अपने संवैधानिक अधिकार और शहीद हुए अपने पाटीदार भाइयों के न्याय के लिए सड़क पर फिर से उतर चुका है। अगर पाटीदार समाज के लोगों को उनका न्याय नहीं मिला तो जिस पाटीदार समाज ने आपको CM के बाद PM बना कर दिल्ली भेजने का काम किया था वो आपको फिर से गुजरात वापस भी बुलाना भी जानती है। और वैसे भी अब 2019 ज्यादा दूर नहीं है।

जतिन पटेल 'पाटीदार'

नेता, पाटीदार अमानत आंदोलन समिति, गुजरात

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