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राजनीति

राहुल गांधी ने क्यों कहा सोहराबुद्दीन शेख और जज लोया को किसी ने नहीं मारा, वे तो बस मर गए

Prema Negi
22 Dec 2018 4:46 PM GMT
राहुल गांधी ने क्यों कहा सोहराबुद्दीन शेख और जज लोया को किसी ने नहीं मारा, वे तो बस मर गए
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राहुल गांधी का ट्वीट सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल, साथ ही कानून व्यवस्था एक बार फिर आ गई है सवालों के घेरे में

जनज्वार। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के बहुचर्चित मुठभेड़ कांड में मारे गए सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और तुलसी प्रजापति केस के सभी आरोपियों के छूटने पर मोदी सरकार और कानून के गठजोड़ को निशाने पर लिया है। कल 21 दिसंबर को सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ और कौसर बी दुष्कर्म व सनसनीखेज हत्या मामले में 12 साल बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को छोड़ दिया है।

ट्वीटर पर राहुल गांधी ने लिखा है, 'हरेन पांड्या, तुलसीराम प्रजापति, जस्टिस लोया, प्रकाश थॉम्ब्रे, श्रीकांत खांडेलकर, कौसर बी, सोहराबुद्दीन शेख...इन्हें किसी ने नहीं मारा, ये बस मर गए.. कौन हैं पंड्या, जज लोया और श्रीकांत...'

राहुल गांधी का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और साथ ही कानून व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है।

सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एसजे शर्मा ने सभी 22 आरोपियों को निर्दोष बताते हुए कहा, '2005 के मुठभेड़ मामलों में साजिश और हत्या का जुर्म साबित करने के लिए पेश सबूत और गवाह संतोषजनक नहीं है. मामलों में परिस्थिजन्य साक्ष्य ठोस नहीं हैं।'

गौरतलब है कि हरेन पंड्या गुजरात के गृहमंत्री थे, जिनकी 26 मार्च 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तब गुजरात में नरेंद्र मोदी बतौर मुख्यमंत्री सत्तासीन थे। इस घटना में आरोपित सोहराबुद्दीन शेख को बाद में पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया था।

जज बीएच लोया सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे, जिनकी 2015 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। यही नहीं इस केस से जुड़े वकील श्रीकांत की भी 29 नवंबर 2015 को संदिग्ध हालात में हत्या कर दी गई थी।

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने तब आरोप लगाया था कि वकील श्रीकांत को कोर्ट की बिल्डिंग से गिराकर माया गया था। सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामला इसलिए भी सवालों के घेरे में आया क्योंकि इस मामले में 13 साल बाद हाल ही में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट का फैसला आया, जिसमें सीबीआई की विशेष अदालत ने किसी तरह की साजिश से इनकार किया और सभी 22 आरोपियों को छोड़ दिया।

सीबीआई की चार्जशीट में दर्ज किया गया कि आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगेस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। सीबीआई के मुताबिक शेख की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या की गई थी। उसकी पत्नी कौसर बी की भी तीन दिन बाद हत्या कर दी गई थी और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया।

इस घटना के सालभर बाद 27 दिसंबर, 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात-राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। अभियोजन ने इस मामले में 210 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 92 साफ—साफ मुकर गए।

सोहराबुद्दीन हत्याकांड मामले में शुरुआत में बरी हुए लोगों में गुजरात के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह (मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष), राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री जी.सी. कटारिया, उच्चस्तर के एटीएस अधिकारी व डीआईजी डी.जी. बंजारा, पुलिस अधीक्षक एम.एन. दिनेश और आर.के. पांड्या सहित कई अन्य लोग शामिल थे।

इसी से जुड़े अमित शाह के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे जज एच एस लोया की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। जज लोया की मौत के सच से पर्दा उठाने के लिए दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जांच की जरूरत नहीं है।

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