लालू के वकील बोले उनकी बेल के लिए हाईकोर्ट में करेंगे अपील...
रांची, जनज्वार। चारा घोटाले मामले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुना दी गई है। साथ ही 10 लाख का जुर्माना लगाया गया है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में उन्हें यह सजा सुनाई गई। इससे पहले 1990 के बाद लालू ने जो भी संपत्ति खरीदी उसे जब्त करने का आदेश भी कोर्ट ने दिया था।
इस मामले में अदालत ने फूल चंद, महेश प्रसाद, सुनील कुमार, बांकी जूलियस, सुधीर कुमार और राजा राम को भी साढ़े तीन साल और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है, जबकि पूर्व विधायक जगदीश शर्मा को सात साल की सजा सुनाई गई है।
चारा घोटाले की शुरुआत की सनसनी सबसे पहले 1985 में खबरों में आई थी, जब कैग की ओर से की गयी जांच में कैग अधिकारी टीएन चतुर्वेदी ने बिहार राजस्व और अन्य विभागों में आर्थिक हेरफेर का खुलासा किया था। यह घोटाला करीब दस साल बाद 1995 आते—आते 900 करोड़ का हो गया।
गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। यह मामला तभी का है, जिसका खुलासा 1996 में हुआ था। सीबीआई के तत्कालीन निदेशक स्वर्गीय जोगिंदर सिंह ने यह खुलासा किया था।
चारा घोटाला मामला 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपए का फर्जीवाड़ा करके अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी से जुड़ा हुआ है। इस घोटाले में लालू प्रसाद यादव के साथ पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र भी आरोपी थे।
दो दशक पुराने इस मामले में विशेष सीबीआई कोर्ट ने फैसला देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 7 को निर्दोष करार दे दिया था।
गौरतलब है कि चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव समेत कुल 38 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज था। इनमें से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से तीन आरोपी सीबीआई के गवाह बन गए, जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-7 में ही सजा सुना दी गई थी। कुल 22 आरोपियों के खिलाफ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था।
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