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समाज

जमीन बेचकर बेटी को बनाया डॉक्टर

Janjwar Team
7 Dec 2017 10:36 AM GMT
जमीन बेचकर बेटी को बनाया डॉक्टर
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शगुफा ने भी टेस्ट और इंटरव्यू दिया। मेडिकल के लिए वो सलेक्ट कर ली गई। लेकिन चीन जाना और पढ़ाई, लिखाई का खर्च कैसे होगा, यही परिवार के सामने असल चुनौती थी...

सैयद शहरोज कमर

यह कहानी हिम्मत, हौसले और परिश्रम के बूते लक्ष्य हासिल करने की है। झारखंड के सिमडेगा में दर्जी की दुकान चलाने वाले कलाम अहमद किसी तरह घर का खर्च चलाते थे। तीन बच्चों की पढ़ाई और परवरिश दुबले-पतले कलाम के कंधे पर थी। पर उनकी हिम्मत ने कमाल ही तो कर दिखाया।

उनके सपने को जीवंत करने में उनके बच्चों ने भी कमी न की। जब बड़ी बेटी शगुफा अर्शी छोटी थी, तो अपने मामा के साथ मेला घूमने गई। जब वो उसके लिए खिलौने खरीदने लगे, तो उसने कहा, मामू स्कूल जाने में दिक्कत होती है। जूते खरीदवा दो। यह लगन है।

उर्सलाइन काॅन्वेंट सिमडेगा से 2007 में 92 प्रतिशत से मैट्रिक पास करने वाली शगुफा शुरुआत से ही स्कूल टॉपर रही। सन् 2000 में इलाज के अभाव में अचानक उनकी नानी का इंतकाल हो गया, तो शगुफा ने डॉक्टर बनकर झारखंड के गांवों में सेवा करने की जिद ठान ली।

वह अपने मामा मो. उमर के घर रांची आ गईं। यहां रांची वीमेंस कॉलेज में दाखिला लिया। 2010 में 75 फीसद अंक लाकर आईएससी किया। इसके बाद मेडिकल टेस्ट के लिए कोचिंग करने लगी। 2011 की बात है, चीन से कैंपस सलेक्शन के लिए आई टीम का पता चला।

शगुफा ने भी टेस्ट और इंटरव्यू दिया। मेडिकल के लिए वो सलेक्ट कर ली गई। लेकिन चीन जाना, पढ़ाई, लिखाई का खर्च कैसे होगा। कलाम के पसीने की वजह जान उनकी पत्नी सफिया बोलीं, जमीन कब काम आएगी। कलाम ने जमीन बेच दी।

चीन की राजधानी बेजिंग से 180 किमी दूर लिंगो विश्वविद्यालय में शगुफा का एडमिशन हो गया। भाषा और खान-पान की दिक्कतें आईं, पर मिशन डॉक्टर में आड़े न आई।

कलाम को एजुकेशन लोन भी लेना पड़ा। लेकिन जब बेटी कुछ महीने पहले डॉक्टर बनकर लौटी, तो घर में ईद मनाई गई। कलाम कहते हैं, पैगंबर हजरत मोहम्मद ने फरमाया है कि तालीम के लिए चीन भी जाना पड़े, तो जाओ। मेरी बेटी ने इसे साबित कर दिखाया। शगुफा की प्रेरणा पाकर उसकी छोटी बहन और भाई भी इंजीनियरिंग कर रहे हैं।

4 दिसंबर की सुबह हिंदपीढ़ी स्थित इदरीसिया स्कूल में स्कूल सचिव हाजी मो. उमर भाई और कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने उन्हें मोमेंटो देकर, शॉल ओढा़कर सम्मानित किया।

(सैयद शहरोज़ क़मर दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता हैं।)

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