नकली नोट, नोटों की जब्ती, अघोषित नोट का सच जानिए आंकड़ों में
8 नवंबर की रात के बाद से मोदी जी किसी और योजना पर काम नहीं कर पाए, वह पूरे साल सिर्फ नोटबंदी के सच को छुपाने में पसीना बहाते रहे, पर सच है कि छुपता नहीं...
जनज्वार। नोटबंदी के कारण देशभर में 150 लोग मरे थे, जिनको सरकार ने किसी तरह का कोई मुआवजा नहीं दिया। मरने वालों में वो लोग थे जिनके नोट नहीं बदले, नोट बदलने के दौरान मर गए।
प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा करते हुए कहा देश के तीन दुश्मनों जाली नोट, आतंकवाद और काला धन का नाश हो जाएगा, लेकिन ये तीनों नोटबंदी के यार निकले।
नवंबर 2016 में अटॉर्नी जनरल आॅफ इंडिया मुकुल रोहतगी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि मार्केट में चल रहे कुल नोटों यानी 15.44 लाख करोड़ में से 4 से 5 लाख करोड़ यानी करीब 25 प्रतिशत नकली होंगे।
पर इस साल आरबीआई की ओर से संसद को दी गयी जानकारी में कहा गया था कि केवल 1 प्रतिशत नोट सरकार के पास नहीं आ पाए हैं, बाकि सब आ चुके हैं। और इस 1 प्रतिशत को भी बाकि नहीं कहा जा सकता, क्योंकि रिजर्व बैंक में अभी नोटों की गिनती खत्म नहीं हुई है।
सरकार ने कहा कि नोटबंदी के के दौरान नकदी जमाखोरों पर जबर्दस्त छापेमारी हुई, जिसमें क्रमश: अज्ञात और अघोषित आय के तहत 1,003 करोड़ और 17,526 करोड़ रुपए सरकार ने जब्त किए। 1700 हजार करोड़ 35000 हजार सेल कंपनियों से इकट्ठा किया गया। ध्यान रहे कि कुल दावों का यह मात्र दो प्रतिशत है, जबकि सरकार ने कहा था कि इतनी नकदी की जब्ती कभी नहीं हुई थी।
पर मोदी सरकार की यह दावेदारी तब सिर के बल खड़ी हो जाती है और झूठी साबित होती है जब कैग की रिपोर्ट बताती है कि नोटबंदी के बिना ही 2012—2013 में 19 हजार 337 करोड़ और 2013—2014 में 90 हजार 391 करोड़ अज्ञात स्रोतों के आए कैश को जब्त किया था।
नोटबंदी के दौरान बहुत हंगामा रहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने करीब 13 लाख संदिग्ध खाता धारकों पर निगाह रखी जिसमें 2.9 लाख करोड़ रुपया इन खातों में डाला गया। हालांकि अभी तब यह नहीं बताया जा सका है कि इसमें से कितना पैसा अज्ञात स्रोतों या गलत ढंग से आया है।
इसके उलट कैग बताता है कि नोटबंदी के साल से कहीं अधिक पैसा दूसरे वर्षों में बैंकों में जमा हुआ। वर्ष 2013-14 में 2.87 लाख करोड़, 2014—15 में 3.83 लाख करोड़ और 2015—16 में सर्वाधिक 5.16 लाख करोड़ रुपए बैंकों में लोगों ने जमा किए।
नकली नोटों के मुद्दे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई में संसद को बताया कि कुल 11.23 नकली मुद्रा मिली है। यह पैसा कुल मुद्रा का मात्र 0.0007% है। जबकि जब हम नोटबंदी से अलग 2016—17 के पूरे साल का आंकड़ा देखते हैं तो पता चलता है कि 43 करोड़ के नकली नोट जब्त किए गए हैं। अगर इस आंकड़े को भी तुलना करें तो नोटबंदी से ज्यादा नकली करेंसी बगैर नोटबंदी की पकड़ी गयी।
होम मिनिस्ट्री के उपलब्ध आंकड़ों के विश्नलेषण के आधार पर साउथ एशिया टेरोरिज्म पोर्टल ने नोटबंदी से 10 महीने पहले और 10 महीने बाद का अध्ययन कर बताया कि नोटबंदी के बाद से 2500 प्रतिशत जम्मू—कश्मीर में नागरिकों ही हत्या या हमले, 38 प्रतिशत आतंकवादी घटनाएं और 2 प्रतिशत जवानों ही हत्या भी बढ़ी है।
नोटबंदी के कारण देशभर में 150 लोग मरे थे, जिनको सरकार ने किसी तरह का कोई मुआवजा नहीं दिया। मरने वालों में वो लोग थे जिनके नोट नहीं बदले, नोट बदलने के दौरान मर गए या पैसा न बदल पाने के कारण इलाज के अभाव में मर गए।