Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

विकास दर 3 साल में सबसे न्यूनतम स्तर पर

Janjwar Team
1 Sep 2017 7:35 AM GMT
विकास दर 3 साल में सबसे न्यूनतम स्तर पर
x

मोदी के किए वादों की उम्मीदों से लदे देश को फिर करना पड़ेगा सच का सामना, नोटबंदी के सच को अभी जनता ठीक से पचा भी नहीं पाई थी कि मोदी सरकार की आर्थिक मोर्चे पर दूसरी हार सामने आ गई

दिल्ली, जनज्वार। कल जारी हुए सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-जून की तिमाही में जीडीपी (विकास दर) लुढ़कर 5.7 फीसदी पर पहुंच गई, जो इस अवधि में पिछले साल के जारी हुए विकास दर मुकाबले 2.2 फीसदी कम है।

पिछले वर्ष इस अवधि में विकास दर 7.9 फीसदी थी। 5.7 फीसदी की विकास दर पिछले तीन वर्षों में सबसे न्यूनतम स्तर पर है।

पत्रकार अब्दुल वाहिद आजाद बताते हैं, 'जीडीपी को ही विकास दर कहते हैं। इसका सीधा मतलब हुआ कि देश की विकास दर में पिछले साल की तुलना में 2.2 पर्सेंट प्वाइंट की कमी हुई। 7.9 से 5.7 होने का मतलब है कि जीडीपी बढ़ने की दर में 5.7*100/7.9= 27.84 फीसदी की कमी। यानी अभी देश की जीडीपी 148 लाख करोड़ रुपये है, अगर 7.9 फीसदी से बढ़ती तो ये 151 लाख करोड़ तक जाती।'

जीडीपी की विकास दर में आई गिरावट को वह सरल करते हुए बताते हैं, 'जीडीपी 148 लाख करोड़ की जगह 151 लाख करोड़ है तो अर्थव्यवस्था का फैलाव 3 लाख करोड़ ज्यादा होगा। इस 3 लाख करोड़ के नुकसान का मतलब क्या है?

ये हो सकता था 3 लाख करोड़ से
वह उदाहरण देते हुए बताते हैं, 2016 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ने इंसेफेलाइटिस से निजात दिलाने के लिए 38+10=48 करोड़ की मांग थी, जो नहीं दी गई। ये 3 लाख करोड़ होते तो ये राशि 7895 बार दी जा सकती। या दिल्ली का AIIMS जिसका सालाना बजट 1,400 करोड़ के करीब है, ऐसे 214 एम्स के एक साल का बजट लुट गया.

और तो और प्रधानमंत्री मोदी ने तीन साल में अपने 27 दौरों में 44 देशों का दौरा किया और 275 करोड़ खर्च किए... दुनिया में 195 देश हैं. इस हिसाब से मोदी को पूरी दुनिया की सैर के लिए 1218 करोड़ चाहिए... इस 3 लाख करोड़ से मोदी 246 बार दुनिया की सैर कर पाते.

सोशल मीडिया पर लगातार आर्थिक मसलों पर टिप्पणियां करने वाले मुकेश असीम लिखते हैं, 'अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी की दर 5.7% रही जो सवा 3 साल में सबसे कम है| मैन्युफैक्चरिंग वृद्धि दर सिर्फ 1.2% है, 8 कोर सेक्टर 2.4% पर हैं, कृषि भी पहले से नीचे 2.3% है| अगर इस वृद्धि को पुराने गणना सूत्र से देखा जाये तो यह 3.5% ही है| यह हालत कम पेट्रोलियम कीमतों और दो अच्छे मानसूनों के बावजूद है।'

मुकेश असीम सवाल करते हैं, 'जुलाई तक का वित्तीय घाटा 50 ख़रब रूपया है जो पूरे साल के बजट अनुमान का 92% है अर्थात अर्थव्यवस्था को चकाचक दिखाने के लिए सरकार ने पूरे साल के खर्च का अधिकाँश पहले 4 महीनों में ही कर दिया है। ऐसे में सवाल यह कि सरकार आखिर खर्च कर कहाँ रही है। क्योंकि शिक्षा, स्वास्थ्य, नागरिक सेवाओं पर तो खर्च कम हो रहा है और स्कूल, अस्पताल, सफाई व्यवस्थाएं सभी चरमरा रही हैं|'

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध