7 दरिंदों ने मंदिर में किया 4 दिन तक बच्ची का सामूहिक बलात्कार, हत्या पर सोए रहे भगवान
यहां यह बहस नहीं है कि भगवान है या नहीं पर अगर है तो मानवता के किसी काम का नहीं है, क्योंकि उसके जगने के लिए इससे अधिक जुर्म और क्या चाहिए
जम्मू के कठुआ में 8 वर्षीय बच्ची से सामूहिक रेप और हत्या के मामले में हिंदूवादी संगठन और वकील इसलिए बलात्कारी दरिंदों के पक्ष और समर्थन में आ गए क्योंकि लड़की मुस्लिम और दरिंदे हिंदू जाति से थे
सवाल एक ही क्या मोदी के समय में इसी हिंदूवाद के लिए कट्टरपंथी प्यासे थे जिसमें न इंसानियत होगी न मानवीयता और न ही सरकार और कानून का भय
जनज्वार। एक 8 बरस की बच्ची से चार दिन तक 7 लोगों द्वारा सामूहिक बलात्कार होता है। बच्ची चीखे—चिल्लाए न उसके लिए उसको ड्रग्स देकर रेप किया जाता है। मंदिर में चाचा, भतीजा से लेकर सिपाही तक सब उसके साथ रेप करते हैं और आश्चर्य देखिए कि इन दरिंदों के पक्ष में हिंदूवादी संगठन और स्थानीय बार एशोसिएशन इसलिए खड़ा हो जाता है क्योंकि दरिंदे हिंदू जाति से हैं और लड़की मुस्लिम। गौरतलब है कि बच्ची की हत्या पत्थरों से कुचलकर की गयी। इसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट में भी हो गई है कि बच्ची का कई बार कई दिनों तक गैंगरेप हुआ है और पत्थरों से मारकर उसकी हत्या की गई है।
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में 8 वर्षीय बच्ची के साथ जनवरी में हुए सामूहिक दुष्कर्म और जघन्य हत्या के मामले में जम्मू की कठुआ पुलिस ने 8 आरोपियों के खिलाफ कल 10 अप्रैल को चार्जशीट पेश कर दिया।
चार्जशीट के मुताबिक इस घटना का मुख्य आरोपी संजी राम बकरेवाल समुदाय से बदला लेने की योजना 4 जनवरी को बना चुका था। यह बात उसने अपने नाबालिग भतीजे को भी बताई। जानकारी के मुताबिक यहां के स्थानीय कुछ हिंदूवादी नेताओं की कोशिश थी कि इस घटना के बाद वह यहां से बकरेवाल समुदाय के मुस्लिमों को खदेड़ देंगे।
यह है इस बच्ची के बलात्कार के बाद नृशंस हत्या का सबसे बड़ा आरोपी |
4 जनवरी को ही रिटायर्ड राजस्व कर्मचारी संजी राम ने अपने भतीजे से कहा कि आसिफा को किडनैप करना है। 7 जनवरी को संजी राम ने अपने नाबालिग भजीजे से कहा कि तुम आसिफा का उसके घर के पीछे के जंगलों से अपहरण कर लेना, जहां वह रोज घोड़ों को चराने जाती है।
एक तरफ संजी ने भतीजे को जंगल भेज दिया तो दूसरी तरफ उसने दीपक और विक्रम को इपीट्रील '0.5 एमजी' के 10 टैबलेट लाने को भेजा। दुकानदार दीपक और विक्रम को दवा दे दें और शक न करें, इसके लिए संजी राम ने अपने चाचा की दवा की पर्ची दे दी, जो उनके दिमागी इलाज की थी। यह दवा बेहोशी के काम आती है।
पर उस दिन संजी राम का भतीजा 8 वर्षीय मासूम बच्ची आसिफा का अपहरण नहीं कर पाया। इसके अगले दिन 8 जनवरी को दीपक ने उससे यह कहते हुए अपहरण करने को भेजा कि तुम अगर ऐसा करोगे तो हम तुम्हें बोर्ड परीक्षाओं में नकल करा देंगे।
9 जनवरी को संजी राम का भतीजा प्रवेश नाम के लड़के साथ हीरा नगर गया, जहां से वे मालार नाम की दर्द कम करने वाली चार टैबलेट ले आए।
10 जनवरी को संजी राम के भतीजे और प्रवेश ने लड़की को पकड़ के ड्रग दी। ड्रग देने के बाद लड़की को मंदिर ले गए। उसके बाद नाबालिग भतीजे ने रेप किया। फिर प्रवेश ने भी। बाद में उसे मंदिर के कमरे में बंद कर प्लास्टिक से ढंक दिया।
11 जनवरी को आसिफा के मां—बाप मंदिर की ओर भी बेटी को खोजने आए, लेकिन संजी राम ने कहा कि शायद वह किसी रिश्तेदार के यहां चली गयी हो। 11 को ही दोपहर में दीपक खजूरिया और संजी राम का भतीजा मंदिर में आए और उन्होंने फिर से आसिफा को ड्रग दे दिया, जिससे वह बेहोश रहे। एक बार फिर शाम को आरती करने से पहले भी भतीजा मंदिर में आया और देखा कि वह बेहोश है। वहीं से उसने संजी राम के बेटे विशाल को फोन किया और कहा कि अगर अपनी वासना शांत करनी है तो यहां शिकार पड़ा है, आ जा।
12 जनवरी को विशाल मेरठ से जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले की तहसील हीरानगर के रसाना गांव पहुंच गया। गांव जंगल से घिरा हुआ है। संजी राम के भतीजे ने बेहोश पड़ी आसिफा को दर्द की तीन गोलियां दीं। इस बीच पुलिस और बकरेवाल समुदाय के लोग पुलिस के साथ बच्ची की तलाश में निकले। इधर हेड कांस्टेबल तिलक राज को इस बात का पता चल गया। उसने संजी राम को बचाने के लिए डेढ़ लाख रूपए मांगे, जिसे राम की बहन तृप्ति देवी ने तिलक राज को दिए।
13 जनवरी को फिर से विशाल और संजी राम के भतीने ने बच्ची का बेहोशी के हालत में रेप किया। इस दौरान दोनों साथ में थे। उसके बाद भतीजे ने फिर ड्रग दिया, जिससे वह होश में न आए। इसी शाम संजी राम ने भतीजे को कहा कि वह आसिफा की हत्या कर दे, जिससे यह पूरा झंझट खत्म हो।
14 जनवरी को संजी राम का भतीजा, प्रवेश, दीपक और विशाल मिलकर आसिफा को पास के एक पुल के पास ले गए। आसिफा का फिर यहां दीपक और राम के भतीने ने बलात्कार किया। फिर इन दोनों ने उसकी ही चुन्नी से उसका गला घोंट दिया। उसके बाद संजी राम के भतीजे ने पत्थर से दो बार आसिफा के सिर पर मारा जिससे वह निश्चिंत हो सके कि आसिफा मर गयी है। हत्या के बाद फिर एक बार मंदिर में आसिफा के शव को लेकर पहुंचे।
15 जनवरी को हीरा नगर की एक नहर में शव को फेंकने की योजना थी, लेकिन ड्राइवर प्लान के मुताबिक नहीं आया। ऐसे में संजी राम ने कहा कि आसिफा की लाश को जंगल में फेंक दो, क्योंकि लाश अगर मंदिर में रहेगी तो आने—जाने वालों को शक होगा। उसके बाद संजी राम के भतीजे ने जंगल में ले जाकर आसिफा का शव फेंक दिया। लाश फेंकते वक्त निगरानी में संजी राम का बेटा विशाल मुस्तैद था। बाद में दोनों घर लौट आए। घर आने के बाद राम का बेटा विशाल मेरठ लौट गया।
17 जनवरी
अासिफा की लाश जंगल में मिली और बकरेवाल समुदाय के लोगों द्वारा आंदोलनों का दौर चल पड़ा
पुलिस ने चार्जशीट में रेप और हत्या का मास्टरमाइंड रिटायर्ड राजस्व अफसर संजी राम को बताया है। संजी राम ने रेप में बेटे विशाल और भतीजे को भी शामिल किया था, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं पुलिस ने केस की जांच से जुड़े विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया, सुरिंदर कुमार, प्रवेश कुमार, सहायक पुलिस इंस्पेक्टर और हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज को भी सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
लेकिन जब क्राइम ब्रांच ने इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया तो कठुआ बार एसोसिएशन ने इसका विरोध किया। विरोध इतना संगठित था कि पुलिस ने रात 9 बजे जज के आवास पर चार्जशीट दाखिल किया। बार एसोसिएशन का कहना था कि यह पूर्व राजस्व कर्मचारी संजी राम और उसके परिवार के खिलाफ एक साजिश है। इस मामले में एक और नाटकीय मोड़ यह है कि आरोपी की मां और अन्य चार महिलाएं वहां भूख हड़ताल पर भी बैठी हैं।
वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी लिखते हैं, 'मासूम सी महज़ 8 साल की बच्ची पर वहशीपन से यातनाए देने बाद कई दिनों तक निर्मम बलात्कार करते रहे, उन आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट को रोकने के लिए भगवा वकीलों ने राम नाम के नारे लगाए. क्या राम के नाम को बलात्कारियो को छुड़वाने के लिए उपयोग किया जा सकता है..?'