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राजनीति

'भारत में मुस्लिम होने से अच्छा है गाय होना'

Prema Negi
23 July 2018 4:14 AM GMT
भारत में मुस्लिम होने से अच्छा है गाय होना
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पिछले 8 सालों में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं में 97 फीसदी मोदी शासन में, मॉब लिंचिंग की घटनाओं में 86 फीसदी शिकार मुस्लिम, भाजपा राज में दलित भी नहीं सुरक्षित...

जनज्वार, दिल्ली। गोरक्षा के नाम पर एक के बाद एक निशाना बनाए जा रहे मुस्लिमों और उनकी मॉब लिंचिंग में हत्या की घटनाएं लगातार हो रही हैं। अभी थोड़े दिन पहले ही राजस्थान में गाय लेकर जा रहे दो लोगों को फिर भीड़ ने अपना निशाना बनाया। उनमें से एक मुस्लिम युवा अकबर की मौके पर ही हत्या कर दी गई, ज​बकि दूसरा किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल हुआ।

लगातार गाय के नाम पर हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर हिंदुत्ववादियों और भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने कहा है कि भारत में मुस्लिम होने से बेहतर गाय होना है।



'द प्रिंट' में लिखे लेख में शशि थरूर ने लिखा है, इस देश में कई जगहों पर तो मुसलमान होने से बेहतर गाय होना है। गौरतलब है कि थोड़े दिन पहले ही उन्होंने टिप्पणी की थी भारतीय जनता पार्टी अगर अगला लोकसभा चुनाव जीतती है तो वह नया संविधान लिखेगी, जिससे यह देश पाकिस्तान बनने की राह पर प्रशस्त होगा। जहां, अल्पसंख्यकों के अधिकारों का कोई सम्मान नहीं किया जाता है। उनके हिंदू पाकिस्तान वाले बयान ने राजनीतिक गलियारों में खूब हलचल मचाई थी। भाजपा नेताओं ने उन्हें देशद्रोही और गद्दारों की श्रेणी में खड़ा कर दिया था।

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यहां गौर करने वाली एक बात यह भी है कि भाजपा ने उनके गाय वाले बयान को भी विवादों में घसीटना शुरू कर दिया है, जबकि गोरक्षा के नाम पर हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाएं बताती हैं कि उनकी बात कहीं न कहीं सच को ही बयां कर रही है और देश में डरे हुए मुसलमान को शब्द दिए हैं। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में नेताओं को विवादित बयानों से दूर रहने की सख्त हिदायत दी हुई है।

शशि थरूर ने लिखा है, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बीजेपी शासन में मॉब लिंचिंग बढ़ने की घटनाओं से इनकार किया है और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी कहते हैं कि देश में पिछले 4 वर्षों में कोई बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ है। दोनों ही नेता गलत हैं।

जब से बीजेपी सत्ता में आई है, हिंदुत्व का झंडा लेकर चलने वाली ताकतों की वजह से देश में कई जगह हिंसाएं हुई हैं। एक आंकड़ा देते हुए थरूर लिखते हैंं, 2014 के बाद से अब तक अल्पसंख्यक विरोधी हिंसाओं में 389 लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं।

शशि थरूर ने अपने लेख में बताया है कि पिछले 8 वर्षों में गोहत्या से संबंधित 70 हिंसक घटनाएं हुई हैं। इनमें से 97 फीसदी यानी 70 में से 68 घटनाएं सिर्फ मोदी शासन में हुई हैं। इन घटनाओं में 28 लोग मारे जा चुके हैं और 136 लोग घायल हुए हैं। मॉब लिंचिंग की इन घटनाओं में 86 फीसदी शिकार लोग मुस्लिम हैं।

थरूर ने दलितों का पक्ष रखते हुए लिखा है, गोभक्तों के निशाने पर केवल मुस्लिम ही नहीं रहे हैं, दलित भी उनका शिकार बने हैं। गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के रिकॉर्ड बताते हैं कि 2014 से 2016 के बीच देशभर में 2,885 सांप्रदायिक दंगे हुए हैं।

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