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समाज

मंदिर जाने के लिए गायक यसुदास ने मांगी इजाजत

Janjwar Team
18 Sep 2017 10:32 AM GMT
मंदिर जाने के लिए गायक यसुदास ने मांगी इजाजत
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देश में कई एक धर्म स्थल ऐसे भी हैं जहां मानवीय गरिमा और नागरिक अधिकारों को ताक पर रख दिया जाता है, पर इस पर समाज में कोई उबाल नहीं आता, इसे परंपरा के तौर पर स्वीकार कर लिया जाता है।

जनज्वार। ऐसा ही है केरल का पदमनाभास्वामी मंदिर, जहां सिर्फ वही जा सकता है जो हिंदू धर्म में पैदा हुआ हो। इसके अलावा वहां कोई नहीं जा सकता, यहां तक कि मंदिर के चौखट पर जाने पर भी रोक है।

इसी रोक के कारण चर्चित शास्त्रीय गायक 56 वर्षीय केजे यसुदास को केरला के तिरुअनंतपुरम पदमनाभास्वामी मंदिर में पूजा करने के लिए मंदिर अधिकारियों से इजाजत मांगनी पड़ी है। उन्होंने मंदिर प्रशासन को आवेदन लिख कर मंदिर में पूजा करने की अनुमति मांगी है।

शनिवार को यसुदास ने किसी विशेष व्यक्ति के हाथों मंदिर प्रशासन को भिजवाया, जिसमें कहा गया था कि मैं जन्म से क्रिश्चियन हूं, लेकिन मेरी हिंदू धर्म में गहरी आस्था है। क्या मैं पदमनाभास्वामी मंदिर के दर्शन के लिए आ सकता हूं।

पदमनाभास्वामी मंदिर में केवल हिंदुओं के प्रवेश की अनुमति है। मंदिर को भेजे आवेदन के मुताबिक वह दशहरा के दिन 30 सितंबर को मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहते हैं।

हिंदी समेत तमिल, मलयालम, कन्नड़ और तेलगु के चर्चित गायक अबतक 1 लाख से अधिक गाने गा चुके हैं। उन्होंने हिंदू धर्म और आध्यात्म पर आधारित सैकड़ों गीत गाए हैं, जो हर रोज हिंदू मंदिरों में बहुत सम्मान और श्रद्धा से बजता है।

लेकिन उसी आदमी को एक मंदिर की दकियानूस प्रथाओं के चलते मंदिर में प्रवेश के लिए इजाजत मांगनी पड़ रही है। मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी रतीशन के मुताबिक मंदिर नियम में हर वह आदमी यहां पूजा कर सकता है जो हिंदू धर्म में आस्था रखता है। इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। गैर हिंदू और विदेशी नागरिकों को भी मंदिर दर्शन की इजाजत मिलती है, यसुदास को क्यों नहीं।

इस बारे में प्रसिद्ध गायक यसुदास का कहना है कि मैंने मंदिर को आवेदन इसलिए लिखा क्योंकि एक रोमन कैथोलिक परिवार में जन्म लेने की वजह से मुझे केरल के त्रिशुर जिले के श्री कृष्ण मंदिर और कदमपूजा देवी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली। जनवरी 2008 में यसुदास ने कदमपूजा मंदिर को लेकर मीडिया में भी बयान दिया था। हालांकि यसुदास सबरीमाला मंदिर और कर्नाटक के कल्लूर स्थित मंदिर में पूजा करने जाते हैं, वहां कोई समस्या नहीं होती।

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