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राजनीति

60 पूर्व नौकरशाहों ने लगाया आरोप, मोदी को बचाने के लिए राफेल और नोटबंदी पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट में हो रही देरी

Prema Negi
17 Nov 2018 4:08 AM GMT
60 पूर्व नौकरशाहों ने लगाया आरोप, मोदी को बचाने के लिए राफेल और नोटबंदी पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट में हो रही देरी
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पूर्व नौकरशाहों—राजनयिकों ने कहा नोटबंदी और राफेल डील को लेकर ऑडिट रिपोर्ट जारी करने में देरी को कहा जाएगा पक्षपातपूर्ण कदम, इससे लगेगा कैग की साख पर बट्टा....

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

क्या मोदी सरकार के दबाव में लड़ाकू विमान राफेल की खरीद में गड़बड़ी और नोटबंदी पर नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ऑडिट रिपोर्ट को जानबूझ कर टाला जा रहा है, ताकि चुनावी वर्ष में सरकार की किरकिरी न हो।

टू जी घोटाला, कोयला घोटाला, आदर्श घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला आदि से जुड़ी सीएजी की रिपोर्ट, जिसने तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्यकलापों के बारे में जनधारणा को प्रभावित किया था और इससे चुनावों में जनता ने सत्ता परिवर्तन के पक्ष में वोट किया था।

कैग द्वारा नोटबंदी एवं राफेल सौदे से जुड़ी अंकेक्षण (ऑडिट) रिपोर्ट समय पर पेश करने में असफल रहने से इस महत्वपूर्ण संस्था की विश्वसनीयता पर आंच आ रही है। वैसे भी इस बीच जितनी भी कैग रिपोर्ट आयी उन्हें मीडिया प्रबन्धन से दबवा दिया गया।

एक ओर माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि लड़ाकू विमान राफेल की खरीद में गड़बड़ी और नोटबंदी पर नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को उजागर करने में देरी के लिये मोदी सरकार जिम्मेदार है। येचुरी ने मोदी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इस सरकार ने कैग को भी नष्ट कर दिया है।

वहीं दूसरी और लगभग 60 पूर्व नौकरशाहों और राजनयिकों ने नोटबंदी से हुये नुकसान और राफेल मामले से जुड़ी कैग रिपोर्ट में देरी पर सवाल खड़े किये हैं। इस मामले में खुले पत्र के माध्यम से नौकरशाहों और राजनयिकों ने कहा है कि लोगों में यह धारणा तेजी से पैठ जमा रही है कि इन दोनों मामलों में कैग जान बूझकर अपनी रिपोर्ट जारी करने में देरी कर रहा है।

पूर्व अफसरों ने नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक को लिखे पत्र में कहा है कि नोटबंदी और राफेल फाइटर जेट डील पर ऑडिट रिपोर्ट लाने में अस्वाभाविक और अकारण देरी चिंताजनक है। पूर्व अफसरों ने रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र में पटल पर रखे जाने की मांग की है।

पत्र में कहा गया है कि समय पर नोटबंदी और राफेल डील को लेकर ऑडिट रिपोर्ट जारी करने में देरी को पक्षपातपूर्ण कदम कहा जाएगा और इससे संस्थान की साख पर संकट पैदा हो सकता है। इस चिट्ठी की एक प्रति राष्ट्रपति को भी भेजी गयी है।

नोटबंदी पर मीडिया की खबरों का संदर्भ देते हुए पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि तत्कालीन नियंत्रक और महालेखापरीक्षक शशि कांत शर्मा ने कहा था कि ऑडिट में नोटों की छपाई पर खर्च, रिजर्व बैंक के लाभांश भुगतान और बैंकिंग लेन-देन के आंकड़ों को शामिल किया जाएगा। पत्र में कहा गया है कि इस तरह की ऑडिट रिपोर्ट पर पिछला बयान 20 महीने पहले आया था, लेकिन नोटबंदी पर वादे के मुताबिक, ऑडिट रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले रिटायर्ड अफसरों में पंजाब के पूर्व डीजीपी जूलियो रिबेरो, पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी से सोशल एक्टिविस्ट बनीं अरुणा रॉय, पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरन बोरवंकर, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, इटली में पूर्व दूत के पी फेबियन समेत अन्य पूर्व अधिकारी हैं।

ऑडिट रिपोर्ट में जान—बूझकर देरी करने का आरोप

पत्र में दावा किया गया है कि ऐसी खबरें थीं कि राफेल सौदे पर ऑडिट सितंबर 2018 तक हो जाएगा, लेकिन संबंधित फाइलों का कैग ने अब तक परीक्षण नहीं किया है। पत्र में नोटबंदी एवं रफाल सौदे से जुड़ी अंकेक्षण (ऑडिट) रिपोर्ट को पूरा करने में तेजी लाने का आग्रह किया गया है।

कैग की आलोचना

पत्र में पूर्व में एक तरफ सतही और मामूली मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और दूसरी ओर अंकेक्षण के दौरान अपनी सीमा से अधिक फैलने के लिए कैग की आलोचना की गई है। लेकिन ऐसा मौका कभी नहीं आया कि सीएजी पर भारत सरकार द्वारा प्रभावित होने का आरोप लगा हो या उसे अपने संवैधानिक दायित्वों को समय पर पूरा करने के बारे में याद दिलाने की जरूरत पड़ी हो।

अब देखना है की कैग अपने पूर्ववर्ती अधिकारियों द्वारा स्थापित परंपरा को जारी रखेगा या नहीं। पत्र में कैग से नोटबंदी और राफेल सौदे से जुड़ी अंकेक्षण (ऑडिट) रिपोर्ट को पूरा करने और बिना किसी देरी के पेश करने का आग्रह किया गया है, ताकि उन्हें दिसम्बर 2018 में संसद के शीतकालीन सत्र में भारत सरकार द्वारा सदन के पटल पर रखा जा सके।

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