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राजनीति

कोर्ट ने रामलला विराजमान से पूछा, क्या भगवान राम के वंशज अब भी हैं अयोध्या में?

Prema Negi
10 Aug 2019 4:53 AM GMT
कोर्ट ने रामलला विराजमान से पूछा, क्या भगवान राम के वंशज अब भी हैं अयोध्या में?
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रामलला विराजमान के वकील ने कोर्ट से कहा, हिंदू धर्म में जरूरी नहीं है कि उसी स्थान को मंदिर माना जाए जहां मूर्तियां हों। हिंदू किसी भी निश्चित रूप में देवताओं की पूजा नहीं करते हैं, बल्कि वे उन्हें दिव्य अवतार के रूप में पूजते हैं जिनका कोई रूप नहीं, तो फिर अयोध्या को लेकर इतना विवाद क्यों...

जेपी सिंह की रिपोर्ट

च्चतम न्यायालय में अयोध्या की विवादित भूमि को लेकर संविधान पीठ के चुभते सवालों का न तो निर्मोही अखाड़े के पास कोई माकूल जवाब है, न ही रामलला विराजमान के पास। अब निर्मोही अखाड़े के पास मालिकाना के दस्तावेज़ी प्रमाण नहीं हैं, न ही रामलला विराजमान के पास जन्मभूमि का भी सबूत नहीं है बस आस्था है।

विवादित स्थल पर सुनवाई के चौथे दिन जब उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में शामिल पक्षों में से एक रामलला विराजमान से शुक्रवार 9 अगस्त को पूछा कि क्या रघुवंश (भगवान राम के वंशज‍ों) में से कोई अब भी अयोध्या में रह रहा है, तब इसका जवाब रामलला विराजमान के वकील के परासरन नहीं दे सके?

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने राम लला विराजमान के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन के सामने यह सवाल रखा। पीठ ने कहा कि हम सिर्फ सोच रहे हैं कि क्या 'रघुवंश' वंश का कोई व्यक्ति अब भी (अयोध्या में) रह रहा है। पीठ ने कहा कि यह जिज्ञासावश पूछा जा रहा है। परासरन ने जवाब दिया कि मुझे जानकारी नहीं है। हम इसका पता लगाने की कोशिश करेंगे।

सुनवाई के चौथे दिन परासरन शीर्ष अदालत के सवालों का जवाब दे रहे थे कि 'जन्मस्थानम' (देवता का जन्म स्थान) कैसे 'न्यायिक व्यक्ति' के रूप में माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में जरूरी नहीं है कि उसी स्थान को मंदिर माना जाए जहां मूर्तियां हों। हिंदू किसी भी निश्चित रूप में देवताओं की पूजा नहीं करते हैं, बल्कि वे उन्हें दिव्य अवतार के रूप में पूजते हैं जिनका कोई रूप नहीं।

रासरन ने कहा कि जब आप मंदिर जाते हैं तो आप उसे स्थल कहते हैं। उसे स्थान कहा जाता है, वो जन्मभूमि नही होती। 1966 के एक फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म 'एक वे ऑफ लाइफ है' यानी हिन्दू धर्म नहीं जीवन पद्धति है। परासरन ने कहा कि राम जन्मभूमि विवाद एक अरसे से चला आ रहा है। अब इसका निपटारा होना चाहिए। पुरातत्व विभाग की खुदाई में जो सबूत मिले हैं, उससे ये साफ़ पता चलता है कि वहां मस्ज़िद से पहले मंदिर था।

पीठ ने पूछा कि एक देवता को न्यायिक व्यक्ति कैसे माना जा सकता है? परासरन ने कहा- देवता हर कण में है, उसके रूप की जरूरत नहीं. यहां तक कि पहाड़ों को देवताओं के रूप में पूजा जाता है। तिरुवनमलाई और चित्रकूट में "परिक्रमा" की जाती है। जस्टिस भूषण ने पूछा 'सबूत हैं कि अयोध्या में जन्मस्थान के आसपास एक 'परिक्रमा' होती है। क्या वह जन्मस्थान को कुछ पवित्रता प्रदान करेगा? इस पर परासरन ने कहा गोवर्धन में भी परिक्रमा होती है। यही तीर्थयात्रा है।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस मांग को ठुकरा दिया है, जिसमें मामले की रोजाना सुनवाई का विरोध किया गया था। मामले की सुनवाई रोजाना होगी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन को यह कहा कि पीठ इस विवाद पर रोजाना सुनवाई करेगी। ये सुनवाई मंगलवार 13 अगस्त को भी जारी रहेगी। हालांकि वे तैयारी के लिए ब्रेक ले सकते हैं।

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