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आंदोलन

एक महीने में निकाले गए 10 हजार मजदूर

Janjwar Team
27 July 2017 10:46 AM GMT
एक महीने में निकाले गए 10 हजार मजदूर
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किसानों की आत्महत्या पर रूदन करने वाले सोशल साइट के महानुभावों को अपने अगल—बगल काम करने वाले मजदूरों की हालत पर भी दो शब्द कहने चाहिए, वह मजदूरों के लिए कुछ कर सकते हैं...

सुमित कुमार

अकेले वीवो कंपनी ने निकाला 4 हजार मजदूरों को। यह वही वीवो मोबाइल कंपनी है जिस पर आप तरह—तरह का चेहरा बनाकर सेल्फी खींचते और सोशल मीडिया पर डालते रहते हैं। उसी मोबाइल को बनाने वाली कंपनी ने एक महीने में नोएडा से 4 हजार कामगारों को काम से बाहर निकाल दिया है।

मोबाईल सेट निर्माता कम्पनी वीवो (VIVO) के ग्रेटर नोएडा प्लांट से करीब 650 मज़दूरों को 25 जुलाई को एक साथ काम से निकाल दिया गया। मजदूरों ने प्लांट के अंदर इसका विरोध किया तो बाउंसरों ने मारपीट की। इसके बाद मज़दूरों का सब्र टूट गया और प्लांट में ग़ुस्सा निकला।

गौरतलब है कि पिछले एक महीने में 100-200 की संख्या में 3000 मज़दूरों को नौकरी से निकाल दिया गया। जिनको निकाला गया, उन्हें पिछले 2 से 3 महीनें का वेतन भी नहीं दिया गया है। प्रबंधन द्वारा प्लांट के अंदर मज़दूरों से बुरा बर्ताव किया जा रहा था और धमकी दी जा रही थी।

ज्यादातर लोगों को आईपीएल के दौरान काम पर लिया गया था, कंपनी कहती है कि आईपीएल ख़त्म काम ख़त्म, इसलिए अब कोई काम नहीं है।

मजदूर उत्पीड़न के सिलसिले की एक लंबी कड़ी है। वीवो के अलावा 29 जून को नोएडा, प्रिया गोल्ड कम्पनी 2500 मज़दूरों को नौकरी से निकाल चुकी है।

12 जुलाई को नोएडा स्थित महागुन सोसाईटी में वेतन माँगने पर घरेलू कामगार महिला को जान से मारने की कोशिश की गयी और विरोध करने पर लोगों को जेल में डाल दिया गया।

22 जुलाई को डीएलएफ सेक्टर 5 गुड़गांव में 3000 निर्माण श्रमिकों को वेतन भुगतान नहीं किया गया था, तो श्रमिकों ने विरोध दर्ज किया।

इसके अलावा पिछले 6 महीने में नीमराणा से लेकर गुड़गांव औद्योगिक क्षेत्र में ओमेक्स, ऑटोमैक्स, मीनाक्षी पॉलीमर, नैपिनो, माइक्रोमैक्स, अहरेस्टी, मॉर्क एग्जॉस्ट सहित बहुत सी कम्पनियों से हज़ारों मज़दूरों को बाहर निकाल दिया गया।

जयपुर में हज़ारों सफ़ाई मज़दूरों को नौकरी से निकाल दिया गया। यही हाल दक्षिण भारत में है। मारुति मामले में मज़दूरों की रिहाई के ख़िलाफ़ हरियाणा सरकार हाईकोर्ट में जा रही है।

न्याय, क़ानून, संविधान, इन सबका आम मेहनतकश आवाम के लिए कोई मायने नहीं रह गए हैं। ऐसे में आम जनता और मज़दूरों का गुस्सा व्यवस्था के ख़िलाफ़ निकल रहा है, मजदूर धरना—प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं।

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