सरकार ने राज्यसभा में स्वीकार किया कि ट्रेन हादसों में एक दशक में सबसे ज्यादा मौतें मोदी शासन में हुईं
2016 और 2017 के बीच हुईं 193 मौतें, 78 बार पटरी से उतरीं ट्रेनें, हादसों और यात्री मौतों का सबसे बड़ा कारण है ट्रेन का पटरी से उतरना, 40 फीसदी रेलवे ट्रैक का इस्तेमाल क्षमता से कई गुना ज्यादा
दिल्ली। 31 मार्च और 11 अगस्त को राज्यसभा में सरकार ने जो आंकड़ा पेश किया है, उसका विश्लेषण कर इंडिया स्पेंड वेबसाइट ने बताया है कि रेल हादसों में सर्वाधिक मौतें मोदी शासन के दूसरे—तीसरे वर्ष यानी 2016 और 2017 के बीच हुई हैं।
राज्यसभा में सरकार ने यह भी माना कि ट्रेन हादसों और यात्री मौतों का सबसे बड़ा कारण ट्रेनों का पटरी से उतरना ही है।
19 अगस्त को हुई पूरी—हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना, जिसमें अबतक 20 यात्रियों के मरने और 200 के घायल होने की प्रशासनिक पुष्टि हो चुकी है, यह हादसा भी ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण ही हुआ है। सरकार द्वारा पेश आंकड़ों के मुताबिक 104 मौतें मार्च तक हो चुकी थीं।
पिछले 10 वर्षों में 1394 ट्रेन हादसे या दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें से 51 फीसदी यानी 708 दुर्घटनाएं, ट्रेनों के पटरी से उतरने के कारण हुईं हैं। पटरी से उतरने के कारण 10 वर्षों में 458 यात्रियों की मौत हो चुकी है।
ट्रेनों के पटरी से उतरने का प्रमुख कारण ट्रैकों का क्षमता से अधिक इस्तेमाल किया जाना है। 40 फीसदी रेलवे ट्रैक यानी 1219 रेलवे ट्रैक अपनी क्षमता से ज्यादा उपयोग किए जाते हैं।
19 अगस्त को मुजफ्फरनगर में हुए हालिया ट्रेन हादसे का भी ट्रैक का क्षमता से ज्यादा इस्तेमाल का ही मामला निकलकर सामने आया है। मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल एक आॅडियो में ट्रैक अधिकारी नजदीकी स्टेशन मास्टर को बता रहा है कि अभी ट्रेन को आने से रोक दें, 15 मिनट तक, काम चल रहा है, लेकिन स्टेशन मास्टर कहते हैं कि ट्रेनों का लोड ज्यादा है, रोकना संभव नहीं है।