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विमर्श

ट्रम्प से किम जोंग का परमाणु हथियार रद्द करने का वादा कहीं उत्तर कोरिया के लिए न बन जाये आत्मघाती

Janjwar Team
14 Jun 2018 2:40 PM GMT
ट्रम्प से किम जोंग का परमाणु हथियार रद्द करने का वादा कहीं उत्तर कोरिया के लिए न बन जाये आत्मघाती
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अति उत्साह में आकर किम उल जोंग शायद भूल गये कि इराक का राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन 80-90 के दशक में अमेरिका का सबसे करीबी दोस्त था, परन्तु अपने देश की कम्पनियों के हितों की खातिर अमेरिका ने इराक पर हमला करने में जरा भी देर नहीं की और अंततः सद्दाम को फांसी पर लटका कर ही दम लिया....

मुनीष कुमार

अमेरिका दुनिया में किसी का दोस्त नहीं है उसके अपन स्वार्थ ही हमेशा सर्वोपरि रहे हैं। उत्तरी कोरिया को बरबाद करने की धमकी देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की भाषा आजकल कुछ बदल गयी है अब वे उ. कोरिया के राष्ट्रपति किम उल जोंग को राकैट मैन व अपने देश के लिए आत्मघाती की जगह उन्हें प्रतिभाशाली व अपने देश से प्यार करने वाला शख्स बता रहे हैं।

12 जून को दोनों मुल्कों के बीच सिंगापुर में सम्पन्न हुए शिखर सम्मेलन में उ. कोरिया ने अपना परमाणु कार्यक्रम समाप्त करने के लिए सहमति व्यक्त की। वहीं अमेरिका ने उ. कोरिया को सुरक्षा भरोसा देते हुए दक्षिणी कोरिया के साथ जारी युद्धाभ्यास बन्द करने पर सहमति जताई। अमरिका ने उ. कोरिया पर लगे प्रतिबंध हटाने के लिए भी कहा है।

दोनों मुल्कों के बीच हुए इस शांति व सुरक्षा समझौते को कोरियाई द्वीप में शांति स्थापित करने वाले समझौते के तौर पर देखा जा रहा है। इस समझौते के लिए ट्रम्प की अमेरिका के भीतर आलोचना हो रही है तथा कहा जा रहा है कि इसमें अमेरिका को नुकसान उठाना पड़ेगा। उक्त समझौते के लिए ट्रम्प को शांति का नोबल पुरस्कार दिये जाने की बात भी कही जा रही है।

दोनों मुल्कों की सैन्य व रक्षा ताकत में कोई समानता नहीं है। जितना अमेरिका का सालाना रक्षा बजट है उतनी तो उ. कोरिया की जीडीपी भी नहीं है। साम्राज्यवादी अमेरिका का वर्ष 2018 के लिए कुल रक्षा बजट 824 अरब डालर से भी अधिक का है। इसके बरक्स कोरिया का कुल रक्षा बजट 10 अरब डालर है जो कि उसकी जीडीपी का 22 प्रतिशत है।

उ.कोरिया को सब तरफ से घेर लेने के बाद भी यदि अमेरिका उसके ऊपर हमला नहीं कर पा रहा था तो उसका सबसे बड़ा कारण उ. कोरिया का परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र होना रहा है। उ. कोरिया द्वारा विकसित की गयी लम्बी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें अमेरिका को भयभीत रखती थीं। इसी कारण दुनिया के दूसरे मुल्कों पर हमला करने वाला अमरिका लाख चाहकर भी उ. कोरिया पर हमला नहीं कर सका।

अमेरिका ने कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उ. कोरिया पर दबाव बनाना शुरु कर दिया। आर्थिक प्रतिबंध लगाने की रणनीति अमेरिका के लिए कारगर साबित हुयी और उ. कोरिया को दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी मुल्क अमेरिका के सरगना ट्रम्प के साथ वार्ता की मेज पर आना पड़ा।

उक्त दोनों मुल्कों के बीच हुए समझौते का नुकसान आने वाले समय में उ. कोरिया को उठाना पड़ेगा यह तय है। यदि आज अमेरिका उ.कोरिया पर हमला नहीं कर पा रहा है तो इसका बड़ा कारण यह है कि उ. कोरिया एक परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र है।

समझौते के बाद उसे अपनी परमाणु हथियार समाप्त करने होंगे। यदि दोनों मुल्कों के बीच तुलना की जाए तो अमेरिका परमाणु हथियारों के निर्माण व रखरखाव पर सालाना 22 अरब डालर खर्च करता है। जबकि कोरिया का परमाणु हथियारों पर खर्च मात्र 3 अरब डालर है।

अमेरिका अपने रक्षा बजट का 20 प्रतिशत लगभग 165 अरब डाॅलर नये हथियारों को विकसित करने पर खर्च करता है। आज उसके जखीरे में इतने हथियार मौजूद हैं जिससे दुनिया को 7 बार नष्ट किया जा सकता है।

उ.कोरिया को सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका ने अपने ऊपर लेने का भरोसा जताया है। दुनिया में इससे ज्यादा हास्यास्यपद कुछ नहीं हो सकता। जिस मुल्क का लूट-खसोट का इतिहास रहा है, जो मुल्क समूची दुनिया व मानवता के लिए खतरा बना हुआ है उससे सुरक्षा मांगने नहीं, बल्कि आज उससे स्वयं को सुरक्षित करने की जरुरत है।

अति उत्साह में आकर किम उल जोंग शायद भूल गये कि इराक का राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन 80-90 के दशक में अमेरिका का सबसे करीबी दोस्त था, परन्तु अपने देश की कम्पनियों के हितों की खातिर अमेरिका ने इराक पर हमला करने में जरा भी देर नहीं की और अंततः सद्दाम को फांसी पर लटका कर ही दम लिया।

वे यह भी भूल गए कि पिछले मई माह में अमेरिका ईरान के साथ 2015 मैं किये गए परमाणु समझौते को एक तरफा तोड़ चुका है तथा ईरान पर कड़े प्रतिबन्ध लगाने की बात कह रहा है।

दुनिया से परमाणु हथियारों की दौड़ खत्म होनी चाहिए इससे किसी की भी इंसानियत को चाहने वाले की असहमति नहीं हो सकती परन्तु इसकी शुरुआत उ. कोरिया से नहीं, अमेरिका से होनी चाहिए। दुनिया में परमाणु हमले का खतरा सबसे ज्यादा अमेरिका से ही है।

बीते 40 के दशक में अमेरिका जापान पर परमाणु हमला कर भी चुका है जिसमें 2 करोड़ लोग मारे गये थे। साम्राज्यवादी अमेरिका, रुस, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी तथा चीन जैसे मुल्कों द्वारा अपने परमाणु हथियार समाप्त किए बगैर उ. कोरिया का परमाणु हथियार समाप्त करने का कदम आत्मघाती साबित होगा।

(मुनीष कुमार समाजवादी लोक मंच के सह-संयोजक हैं।)

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