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राजनीति

नैनीताल के जंगलिया से भाजपा प्रत्याशी की हो सकती है उम्मीदवारी रद्द, पूरी नहीं हैं चुनाव लड़ने की शर्तें

Prema Negi
25 Sep 2019 1:29 PM GMT
नैनीताल के जंगलिया से भाजपा प्रत्याशी की हो सकती है उम्मीदवारी रद्द, पूरी नहीं हैं चुनाव लड़ने की शर्तें
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गांव की वोटर लिस्ट व परिवार रजिस्टर में नाम शामिल न होने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी संदीप गोस्वामी आसानी से चुनाव के लिए नामांकन कर आते हैं और गाँव में किसी तरह के क्रियाकलाप के बिना उन्हें अदेय प्रमाणपत्र मिल जाता है…

संजय रावत की रिपोर्ट

हल्द्वानी, जनज्वार। उत्तराखण्ड में आजकल पंचायत चुनाव का जोर शोर है। नैनीताल जिले की 27 सीटों पर उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिए हैं, जिसकी स्कूटनिंग अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तारीख में है। चुनाव हैं तो हर तरह के लोगों की हिस्सेदारी भी है। समर्पित समाजसेवी हैं तो धनबल वाले लोग भी हैं। राज्य से लगाव रखने वाले लोग हैं तो राज्य को बेच खाने वाले लोग भी हैं। सत्ता समर्थित लोग हैं तो निर्दलीय भी शिरकत कर रहे हैं। पर जनता के दिमाग में एक ही डर है कि चुनाव की बाजी पहाड़ बेच खाने वाले न मार जाएं।

जिला नैनीताल की 'जिला पंचायत सदस्य' 23 -जंगलिया गाँव में एक अजीबोगरीब स्थिति सामने आई है। 17 गाँवों वाली इस 'जिला पंचायत सदस्य' सीट पर भाजपा उम्मीदवार संदीप गोस्वामी चुनाव मैदान में हैं, मगर उनके पास चुनाव लड़ने की न्यूनतम अर्हता नहीं है। भाजपा प्रत्याशी संदीप गोस्वामी का नाम गांव की वोटर लिस्ट और परिवार रजिस्टर में तक नहीं है।

से में 23- जंगलिया गाँव की इस सीट पर उम्मीदवार संदीप के नामांकन से ग्रामीण हतप्रभ हैं। संदीप गोस्वामी नामक ये उम्मीदवार जंगलिया गाँव के नहीं बल्कि हल्द्वानी नगर निगम क्षेत्र के रहने वाले हैं, जिनके नाम जंगलिया गाँव में एक भू-भाग है। इसी को आधार बना वो भाजपा की टिकट पर चुनावी मैदान में हैं, लेकिन नामांकन के लिए कुछ अनिवार्य शर्ते हैं, जिन्हें वे पूरा नहीं करते। मसलन वोटर लिस्ट में उम्मीदवार का नाम दर्ज हो, परिवार रजिस्टर में उसका नाम दर्ज हो और उसके पास अदेय प्रमाण पत्र हो।

नाम न छापने की शर्त पर एक ग्रामीण बुजुर्ग कहते हैं, मूल रूप से हल्द्वानी के रहने वाले संदीप गोस्वामी प्रॉपर्टी डीलर का काम करते हैं। पहाड़ों में ग्रामीण चूँकि किसी बड़े प्रॉपर्टी डीलर या बिल्डर को जमीन बेचने को आसानी से राजी नहीं होते, इसलिए संदीप ग्रामीणों से अपने नाम पर जमीन खरीदते हैं और वही जमीनें डीलर्स को बड़े मुनाफे में बेच देते हैं। चुनाव को लेकर संदीप गोस्वामी के हौसले बहुत बुलन्द हैं और उनके चुनाव प्रचार में भी जमकर खर्च किया जा रहा है।

वाल यह भी है कि ऐसे किसी विवादित उम्मीदवार के लिए 'निर्वाचन आयोग पंच स्थानीय' और 'खण्ड विकास भीमताल' के बड़े—बड़े अधिकारी आखिर असंवैधानिक कार्य क्यों कर रहे हैं। गांव की वोटर लिस्ट व परिवार रजिस्टर में नाम शामिल न होने के बाद भी संदीप गोस्वामी आसानी से चुनाव के लिए नामांकन कर आते हैं। गाँव में किसी तरह की कोई क्रियाकलाप के बिना उन्हें अदेय प्रमाण पत्र मिल जाता है।

क अन्य ग्रामीण नाम न छापने की शर्त पर आरोप लगाते हैं कि इन सब असंवैधानिक कार्यों के लिए उत्तराखण्ड के सत्तारूढ़ दल के नेता बाकायदा फोन करके निर्देशित करते हैं। वरना क्या वजह है कि अधिकारियों द्वारा नामांकन के लिए अनिवार्य प्रपत्रों के बिना ही नामांकन पत्र भरने दिया गया। क्या वजह रही कि ग्राम पंचायत अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी और जिला पंचायत अधिकारी ने संदीप गोस्वामी को सहर्ष अदेय प्रमाण पत्र जारी कर दिया। यह जानते हुए भी कि इस कृत्य में दोषी पाये जाने पर वे नौकरी से तो हाथ धोएंगे ही, जेल अलग जायेंगे।

गौरतलब है कि शुरुआत में ग्राम विकास अधिकारी द्वारा यह रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को भेजी कि उम्मीदवार संदीप गोस्वामी का ग्रामसभा 'सूर्या गाँव' में एक प्लाट है। उसका कोई मकान नहीं है और न ही परिवार रजिस्टर में नाम। साथ ही यह भी कि वह ग्राम सभा में निवास नहीं करते, इसलिए वोटर लिस्ट में भी नाम नहीं है, मगर उसके बाद सत्ताधारी नेताओं के दबाव में न्यूनतम अर्हताओं के पूरा हुए बिना वे भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय में, यह सारा खेल उन राजनेताओं का है जो पहाड़ की ज़मीन बिल्डरों को बेच मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें संदीप गोस्वामी जैसे लोगों की जरूरत होती है। उन्हें पहाड़ पर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और जंगलों की कोई सुध नहीं है। वरना एक उम्मीदवार इतना अंधाधुंध खर्च कैसे कर सकता है, वह भी जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में।

गौरतलब है कि संदीप गोस्वामी को स्थानीय उम्मीदवार दिखाने के लिए नामांकन पत्र में उनके नाम का बिजली का बिल लगाया गया है। जानकारी के मुताबिक यह बिल घरेलू न होकर व्यवसायिक है, जो एक दुकान के छोटे से हिस्से का है। वह दुकान हमेशा बन्द रहती है।

स घटनाक्रम के विषय में जब हमने रिटर्निंग ऑफिसर धनपत कुमार से बात की तो उनका कहना था कि कल सभी उम्मीदवारों की स्कूटनिंग होने वाली है। जो पात्र नहीं होंगे, वो स्वतः बाहर हो जाएंगे।

स विषय में जब ग्राम विकास अधिकारी ज्योति तिवारी से इस जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने बताया कि हमारी BLO तस्दीक के लिए गई थी, जैसी स्थिति थी वैसी ही रिपोर्ट निर्वाचन आयोग के नैनीताल कार्यालय को भेज दी। उल्लेखनीय है कि इन्हीं की रिपोर्ट देख जिला न्यायालय ने संदीप गोस्वामी के केस (मतदाता सूची में नाम शामिल किए जाने की प्रार्थना) को खारिज कर दिया था।

न तमाम आरोपों-प्रत्यारोपों को लेकर भाजपा के जिला पंचायत उम्मीदवार संदीप गोस्वामी से कई बार बात करने की कोशिश की गयी, पर कई बार फोन करने के बावजूद उनसे बात नहीं हो पायी।

फिलहाल जंगलिया के ग्रामीण स्कूटनिंग के रिजल्ट का इन्तजार कर रहे हैं। इसी से यह भी साफ़ होगा कि ग्राम स्तर पर भी असल मुद्दों पर बोलने वाले लोग काबिज होंगे या फिर विवादित।

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