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विमर्श

गौमुख की कृ​त्रिम झील से बन रहे केदारनाथ आपदा जैसे हालात

Janjwar Team
13 Jan 2018 4:40 PM GMT
गौमुख की कृ​त्रिम झील से बन रहे केदारनाथ आपदा जैसे हालात
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कोर्ट ने उत्तराखण्ड सरकार से 16 फरवरी तक मांगा जवाब

याचिकाकर्ता ने कहा-सरकार इसरो के दावों के बीच अदालत को कर रही गुमराह, शपथ पत्र में कहा कि गौमुख ग्लेशियर 30 से घटकर 22 किलोमीटर रह गया, गौमुख में बनी झील से केदारनाथ जैसी आपदा की संभावना...

जनज्वार, नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिल्ली निवासी अजय गौतम की उत्तराखंड के गौमुख पर बन रही झील के संबंध में दायर जनहित याचिका के शपथ पत्र पर सुनवाई करते हुये सरकार से 16 फरवरी तक जवाब पेश करने का कहा है। याचिकाकर्ता ने अपने शपथ पत्र में यह भी कहा है कि गौमुख ग्लेशियर 30 किलोमीटर दायरे में फैला हुआ है वह आज घटकर 22 किमी रह गया है।

जुलाई 2017 में वहां भू-स्खलन से बहुत मात्रा में मलबा जमा हो गया है। जिससे वहां झील बनने की पूर्ण संभावना बन गई है। जिससे केदारनाथ जैसी आपदा होने की संभावना बन गई है।

घटनाक्रम के अनुसार याचिकाकर्ता का कहना है कि गौमुख पर एक कृत्रिम झील बन रही है। जिसकी लंबाई डेढ़ किलोमीटर है इसकी पुष्टि इसरो द्वारा सैटलाईट द्वारा खींची तस्वीर से हुई है कि वहां डेढ़ किमी दायरे में झील बन रही है। इस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब पेश करने को कहा था।

जवाब में सरकार ने कोर्ट को अवगत कराया कि वहां पर इस तरह की कोई झील नहीं है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार अदालत को गुमराह कर रही है। जहां सरकार झील नहीं होने का दावा कर रही है। वहीं अपने शपथपत्र में इसरों द्वारा लिये गये फोटोग्राफ को पेश कर रही है।

फोटोग्राफ से साफ जाहिर हो रहा है कि वहां पर झील बन रही है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि सरकार व इसरो के कथनों में विरोधाभास है। इस प्रकरण पर सही क्या है और गलत क्या है इस पर केंद्र व राज्य सरकार की एक कमेटी गठित की जानी चाहिये।

याचिकाकर्ता ने अपने शपथ पत्र में यह भी कहा है कि गौमुख ग्लेशियर 30 किलोमीटर दायरे में फैला हुआ है, वह आज घटकर 22 किमी रह गया है। जुलाई 2017 में वहां भू-स्खलन से बहुत मात्रा में मलबा जमा हो गया है, जिससे वहां झील बनने की पूर्ण संभावना बन गई है और केदारनाथ जैसी आपदा आने की संभावना पैदा हो रही है।

इसकी चेतावनी केंद्र व राज्य की नौ जांच एजेंसियां सरकार को दे चुकी हैं, परंतु सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता ने अदालत से यह भी प्रार्थना की है कि गौमुख से मलुवा बोल्डर को वैज्ञानिक तरीके से हटाया जाये।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को आदेशित किया है कि वह याचिकाकर्ता के शपथ पत्र पर 16 फरवरी तक अपना जवाब दे। मामले की अगली सुनवाई 16 फरवरी नियत की है।

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