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आंदोलन

विभागीय अधिकारी के खिलाफ लामबंद हुए वनकर्मी

Janjwar Team
24 Jan 2018 11:09 PM GMT
विभागीय अधिकारी के खिलाफ लामबंद हुए वनकर्मी
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जब्बर सिंह सुहाग द्वारा जान बूझ कर अपने चेहतों को लाभ दिला वन निगम की बर्बादी का जिम्मेदार ठहराते हुए प्रांतीय अध्यक्ष पूरन सिंह बिष्ट ने 29 पृष्ठ के दस्तावेज बतौर प्रमाण मीडिया को सौंपे...

संजय रावत की रिपोर्ट

हल्द्वानी। 'उत्तराखण्ड वन विकास निगम कर्मचारी संगठन' एक बार फिर अपने ही विभागीय अधिकारी के खिलाफ लामबंद होने लगे है। इससे पहले भी कर्मचारी संगठन ने राज्य स्तर पर लामबंद हो कर आंदोलन की राह पकड़ी थी। लेकिन शासन स्तर पर आश्वासन के बाद आंदोलन न्याय की राह देखता रहा।

हल्द्वानी में हुयी प्रांतीय कार्यकारणी की बैठक में सभी संगठन कर्मचारियों ने रोष जताते हुए अपर प्रबंधन निदेशक (कुमाऊ मंडल) / महाप्रबंधक, जब्बर सिंह सुहाग को वन विकास निगम के पतन का जिम्मेदार ठहराते हुए ढेरो दलीेले पेश की ।उन्हें जल्द ही पद से नहीं हटाया गया तो संगठन राज्य व्यापी आंदोलन को बाध्य होगा।

जब्बर सिंह सुहाग द्वारा जान बूझ कर अपने चेहतो को लाभ दिला वन निगम की बर्बादी का जिम्मेदार ठहराते हुए प्रांतीय अध्यक्ष पूरन सिंह बिष्ट ने 29 पृष्ठ के दस्तावेज बतौर प्रमाण मीडिया को सौपे। और कहा कि श्री सुहाग को इतनी धाधलियों और गंभीर अनियमिताओं के लिए माफ नही किया जाना चाहिए।

प्रांतीय अध्यक्ष पूरन सिंह बिष्ट ने संगठन के तमाम पदाधिकारियों सदस्यों सहित आरोप लगाते हुए कहा कि सबसे पहले तो प्रतिनियुक्तियों पर कोई अधिकारी 3 वर्ष की अवधि से ज्यादा नही रह सकता है। पर श्री सुहाग पिछले आठ वर्षो से एक ही पद आसीन है।

इसलिए वे वन विकास निगम में खुली लूट मचाये हुए है। ये वे अधिकारी जो समय के अनुसार अपने राजनैतिक आकाओं को येन केन प्रकारेण संरक्षण हासिल कर लेते है। साथ ही अपने उच्च व निम्म स्तर के अधिकारियों से तमाम अनियमित कार्याे को राजनैतिक दबाव से कराने में माहिर है।

आगे ढेरों आरोप जब्बर सिंह सुहाग के उपर हैं। जैसे वर्ष 2016 मेें भर्ती प्रक्रिया घोटला अपने चेहती फर्मो को काम देने के लिए निति निर्देशों की अवेहलना, कुछ खास स्टोन क्रेशर को मुनाफा दिलाने के लिए दस्तावेजों में अनियमिताएं, नियम विरूद्ध विभाग में सी.ए. की नियुक्ति,फर्मो को उच्च अधिकारियों के बराबर जबरन यात्रा भत्ता देना, फर्मो के लिए कम्प्यूटर आपरेटरों की नियुक्ति करना सहित ढेरो असंवैधानिक कृत्यों की लंबी सूची है।

आखिरी संबोधन में प्रांतीय अध्यक्ष ने कहा कि हमारा वन मंत्री एवं मुख्यमंत्री से निवेदन है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो विगत आठ वर्षो से निगम में जमे है को तत्काल वन निगम से हटाया जाए। व इनके कार्यकाल की समीक्षा कर उच्चस्तरीय जांच की जाएं।

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