सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 अगस्त को त्वरित तलाक पर लगाए गए प्रतिबंध और असंवैधानिक करार दिए जाने के बावजूद तीन तलाक की एक घटना सामने आई है और पीड़िता महिला आयोग पहुंची है...
तीन साल पहले पीड़ित महिला की राजस्थान के जोधपुर जिले के शब्बीर मोहम्मद से शादी हुई थी। लेकिन पति के उत्पीड़न से तंग आकर महिला दो साल बाद ही पति के घर से अपने मायके राजस्थान के जैसलमेर चली गयी। महिला की एक साल की बच्ची भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को त्वरित तीन तलाक को पूर्ण प्रतिबंधित किए जाने का आदेश दिया था। देश ने अदालत के इस फैसले का दिल से स्वागत किया और माना गया कि अदालत का यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के वैवाहिक रिश्ते में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। अब उन्हें हर रोज किसी भी वक्त तलाकशुदा होने की 'अनहोनी' की मानसिक दबाव में नहीं जीना पड़ेगा।
पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के एक महीने के भीतर ही 19 सितंबर को प्रकाश में आई त्वरित तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की यह घटना बताती है कि अदालत के फैसले का सरकार द्वारा लागू किए जाने का काम अभी बाकी है। राजस्थान महिला आयोग पहुंची जैसलमेर की पीड़िता ने आयोग को बताया कि उसके पति शब्बीर मोहम्मद ने मोबाइल पर तलाक दे दिया। समझाइश के बाद भी अब वह मुझे अपनाने या अपनी पत्नी मानने को तैयार नहीं हैं।
महिला से यह पूछने पर कि आप पति का घर छोड़कर क्यों गयी थीं, के जवाब में महिला ने बताया कि वह मुझसे मारपीट करते थे। पहले भी मैंने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन उनके और उनके परिवार वालों के आश्वासन के बाद हमारा समझौता हुआ था। पर उनकी आदतें बदली नहीं। बात—बात पर बेइज्जत करना, गाली गलौच और मारपीट जारी रहा।
इस मामले को देख रहीं राजस्थान महिला आयोग की सदस्य सुधा पुरोहित ने भी महिला के पति के खिलाफ पहले दर्ज की गई शिकायत की पुष्टि की है। सुधा पुरोहित आश्वस्त करती हैं कि वह अपने क्षेत्र में एक भी तीन तलाक मामले नहीं होने देंगी, वह व्यतिगत तौर पर भी इसका प्रयास करेंगी।