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राजनीति

Communal Violence : 'सांप्रदायिक हिंसा पर प्रधानमंत्री की खामोशी हैरान करने वाली', 13 विपक्षी दलों ने मोदी पर बोला हमला

Janjwar Desk
17 April 2022 6:28 AM GMT
Communal Violence : सांप्रदायिक हिंसा पर प्रधानमंत्री की खामोशी हैरान करने वाली, 13 विपक्षी दलों ने मोदी पर बोला हमला
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Communal Violence : 'सांप्रदायिक हिंसा पर प्रधानमंत्री की खामोशी हैरान करने वाली', 13 विपक्षी दलों ने मोदी पर बोला हमला

Communal Violence : विपक्षी दलों के जारी इस साझा बयान में देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा और नफरती भाषणों को लेकर गहरा खेद जताया गया है...

Communal Violence : देश में हिजाब, मीट, मस्जिदों में लाउडस्पीकर और सांप्रदायिक हिंसा को लेकर चल रहे विवाद के बीच विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। विपक्षी दलों (Opposition Parties) ने एक साझा बया में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि खान-पान और धार्मिक आस्ता का इस्तेमाल ध्रुवीकरण के लिए किया जा रहा है। तेरह विपक्षी दलों ने यह साझा बयान जारी किया है जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के भी हस्ताक्षर हैं।

बयान में सांप्रदायिक हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है और धार्मिक ध्रुवीकर की कोशिश कर रहे लोगों के घृणित उद्देश्यों को नाकाम करने का आह्वान किया गया है। विपक्षी दलों ने बयान में कहा कि समाज में घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की खामोशी हैरान करने वाली है।

विपक्षी दलों के जारी इस साझा बयान में देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा और नफरती भाषणों को लेकर गहरा खेद जताया गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इस संयुक्त बयान में हस्ताक्षर किए हैं। बयान में कहा गया है कि जिस तरह से खान-पान, पोशाक (हिजाब), धार्मिक आस्था, त्योहार और भाषा का इस्तेमाल सत्तारूढ़ वर्ग द्वारा समाज में ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है वो चिंताजनक है।

विपक्षी दलों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी चिंताजनक है, जो ऐसे नफरती माहौल को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ एक भी शब्द बोलने में नाकाम रहे हैं। उनके बयान या कामों में ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है जिसमें ऐसे हिंसा फैलाने वाले लोगों या संगठनों की निंदा की गई हो। यह खामोशी गवाह है कि ऐसे निजी सशस्त्र संगठनों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है।

विपक्षी दलों ने सामाजिक सौहार्द के लिए सामूहिक तौर पर काम करने का संकल्प लेते हुए कहा, हम ऐसी नफरती विचारधारा का सामना करने और लड़ने के लिए एकजुट हैं, ये सोच समाज में खाई पैदा करने की कोशिश कर रही है।

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