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राजनीति

किसान बिल पर दुष्यंत चौटाला से जनता से मांगा इस्तीफा, कहा क्यों भूल गये देवीलाल को, तुम उनके नाम पर काला धब्बा

Janjwar Desk
20 Sep 2020 5:40 AM GMT
किसान बिल पर दुष्यंत चौटाला से जनता से मांगा इस्तीफा, कहा क्यों भूल गये देवीलाल को, तुम उनके नाम पर काला धब्बा
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जनज्वार। कृषि अध्यादेशों पर हरियाणा की राजनीति गर्मा गयी है। शिअद नेता हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद अब हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर इस्तीफे का दबाव बनना शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर भी दुष्यंत समर्थन वापस लो टॉप ट्रेंड पर है।

गौरतलब है कि किसान विरोधी कहे जा रहे कृषि अध्यादेशों पर कांग्रेस पूरी तरह से गठबंधन सरकार और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को घेरे हुए है। किसानों के मुद्दे पर शिअद नेता हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद किसानों के नाम पर ही वोट पाने वाले दुष्यंत चौटाला पर इस्तीफे का दबाव है, मगर भाजपा-जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) गठबंधन पर फिलहाल इसका कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा। दुष्यंत से समर्थन वापस लेने की मांग उठ रही है।

ट्वीटर पर शोएब ने ट्वीट किया है, 'यदि बस चालकों को बस का किराया तय करने का अधिकार है। यदि बाजारों को उत्पादित वस्तुओं की कीमत तय करने का अधिकार है। फिर किसानों को भी अपनी उत्पादित फसलों की कीमत तय करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।'


श्याम कुमार यादव ने ट्वीट किया है, 'दुष्यंत_समर्थन_वापिस_लो हरियाणा पुलिस ने हरियाणा में किसानों के साथ बेहूदगी के आरोपों को बताया गलत। किसानों के अधिकार को बचाने के लिए और पार्टी की जिम्मेदारी निभाते हुए दुष्यंत को इस्तीफा दे देना चाहिए।


नीतेश ढाका ने ट्वीट किया है, 'भारत की 58 प्रतिशत आबादी के लिए कृषि आजीविका का प्राथमिक स्रोत है, इस क्षेत्र ने भारत के सकल मूल्यवर्धन में 16.5 प्रतिशत का योगदान दिया है। शासकों की नीति किसानों के भविष्य को बर्बाद करने वाली है। दुष्यंत समर्थन वापस लो।'


विशाल सिंह राणा ने ट्वीट किया है, 'इस बिल के लागू होने के बाद छोटे किसान निजी खरीददारों की दया पर होंगे। मोदी सरकार ने किसानों के हाथों से नियंत्रण के हर रूप को पूरी तरह से हटा दिया है। दुष्यंत समर्थन वापस लो।'


सद्दाम कुरैशी ने ट्वीट किया है, 'डॉ. चौटाला आपने अपनी शपथ के दौरान वादा किया कि आप हमेशा किसानों, युवाओं और पिछड़े लोगों के लिए खड़े रहेंगे, लेकिन आज लोगों को आपके समर्थन की आवश्यकता है और आप अभी भी भ्रमित हो रहे हैं। आपके लिए, वास्तव में क्या मायने रखता है? आपकी स्थिति या किसान?? #दुष्यंत_समर्थन_वापिस_लो


अमित शिहाग ने ट्वीट किया है, 'स्वर्गीय चौधरी देवी लाल जी जहां अपने सिद्धांतों पर खड़े रहने के लिए सत्ता को ठुकरा दिया करते थे, वहीं खुद को देवीलाल जी का रूप कहने वाले, सत्ता में बने रहने के लिए, उनके सिद्धांतों को ठुकराने का काम कर रहे हैं! #दुष्यंत_समर्थन_वापिस_लो


विपिन यादव ने ट्वीट किया है, 'ताऊ देवीलाल के किसानों के हक़ की लड़ाई के स्वर्णिम इतिहास में दुष्यंत चौटाला एक काला धब्बा साबित हुआ है। किसानों का पक्ष ना लेकर किसानों के हक़ की लड़ाई की विरासत के साथ धोखा किया #दुष्यंत_समर्थन_वापिस_लो


विशाल मीणा ने ट्वीट किया है, 'हरसिमरत कौर बादल से कुछ सीखिये महोदय उन्होंने किसानों हित में कैबिनेट मंत्री पद छोड़ दिया आप समर्थन नही छोड़ सकते। जय जवान जय किसान जय विज्ञान...


गौरतलब है कि अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज किया गया था, जिससे विपक्ष ने मुद्दा बना लिया है। हालांकि डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला ने सीएम से किसानों पर हुए लाठीचार्ज की जांच की मांग की और कहा कि लाठियां चलाने वालों की पहचान होना जरूरी है। मगर उनकी जांच की मांग को गृहमंत्री अनिल विज ने एक बार फिर सिरे से नकार दिया। उन्होंने दोहराया कि किसानों पर कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ। जब लाठीचार्ज हुआ ही नहीं तो जांच कैसी। मगर बजाय किसानों के पक्ष में बोलने के दुष्यंत ने गठबंधन धर्म निभाते हुए इसका कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद से कांग्रेस और ज्यादा मुखर हो गयी।

वहीं कृषि अध्यादेशों को लेकर कांग्रेस के विरोध को किसानों को गुमराह करने वाला बताते हुए हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि विपक्षी दल अब किसान को गुमराह नहीं कर सकते हैं, क्योंकि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राज्य में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध व खुशहाल बनाने का संकल्प लिया है।

विपक्षी पार्टियां हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा किसान हित में लाए गए तीन अध्यादेशों पर बेवजह की राजनीति कर रही हैं, जबकि हकीकत में ये अध्यादेश किसान हित में हैं। मंडियों के बाहर अगर किसान अपनी उपज बेचना चाहे तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं। मंडियों में पहले की तरह फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होती रहेगी। अध्यादेशों के माध्यम से किसानों को अतिरिक्त सुविधा दी गई है। किसान अपनी उपज में केवल अपने प्रदेश की मंडियों में बल्कि अन्य राज्यों की मंडियों में भी अपनी सुविधा के अनुसार बेच सकता है।

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