Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

'तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार' के नारे वाली मायावती फिर ब्राह्मणों पर खेलेंगी दांव

Janjwar Desk
20 July 2021 3:42 AM GMT
तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार के नारे वाली मायावती फिर ब्राह्मणों पर खेलेंगी दांव
x

डूबती नांव को पार लगाने के लिए मायावती 2007 वाला सोशल दांव खेलने के प्रयास में हैं. 

दरअसल बसपा प्रमुख मायावती 2007 की अपनी उस सोशल इंजीनियरिंग को दोहराना चाहती हैं, जिसमें उन्हें ब्राहमणों ने सत्ता की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुँचाने का काम किया था...

जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 2022 को होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी पारा चढ़ रहा है। सभी पार्टियां अपने-अपने खेवनहारों को फिर से साधने में लग गईं हैं। भाजपा से यूपी के ब्राहमणों की दूरी के बाद सपा, आम आदमी और अब बहनजी यहां के पण्डितों को साधने के प्रयास में लग गये हैं।

कभी ब्राहमणों, बनियां और छत्रियों के लिए अपने दिए गये नारे 'तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार' से मायावती (Mayawati) पलट गई हैं। वह फिर से यूपी के ब्राहमणों के सहारे अपनी नैया पार लगाना चाहती हैं। आगामी 23 जुलाई से वह अयोध्या से इसका आगाज भी करने वाली हैं।

दरअसल बसपा (BSP) प्रमुख मायावती 2007 की अपनी उस शोसल इंजीनियरिंग को दोहराना चाहती हैं, जिसमें उन्हें ब्राहमणों ने सत्ता की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुँचाने का काम किया था। ऐसे में एक बार फिर से मायावती ने एलान कर दिया है कि वह अपना पुराना फार्मूला वापस ला रही हैं।

गौरतलब है कि पिछले तीन विधानसभा चुनावों (Vidhansabha chunav) में जिस पार्टी की भी प्रदेश में सरकार बनी है, उनमें सबसे ज्यादा ब्राहमण विधायक रहे हैं। ब्राहमणों को पार्टी से जोड़ने के लिए बहनजी ने अपने सबसे विश्वस्त चेहरे सतीश चंद्र मिश्रा को कमान सौंपी है।

बसपा प्रमुख मायावती ने पहले चरण में छह शहरों में ब्राहमण सम्मेलन करने की योजना बनाई है। चूंकी भाजपा (BJP) का सबसे बड़ा मुद्दा राम मंदिर रहा है, इसलिए बसपा भी वहीं से संदेश देना चाहती है। बता दें की प्रदेश की राजनीति में ब्राहमणों का शुरू से ही अहम योगदान रहा है।

सत्ता में ब्राहमणों का दबदबा

यूपी में 2007 में बसपा की सरकार बनी थी। पार्टी में सबसे ज्यादा 41 ब्राहमण विधायक थे। 2012 में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार बनी तो उसके पास सबसे अधिक 21 ब्राहमण विधायक थे। 2017 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो उसके पास सबसे ज्यादा 46 ब्राहमण विधायक जीतकर विधानसभा पहुँचे हैं।

60 से ज्यादा जिलों पर है नजर

बताया जा रहा है कि बहनजी की नजर यूपी के 60 से ज्यादा जिलों पर नजर है। बसपा के थिंक टैंक का मानना है कि इन जिलों में ब्राहमण वोटर दस प्रतिशत से अधिक हैं। जिनमें से 30 जिलों में तो यह संख्या 13 फीसदी से अधिक है। खासतौर पर पश्चिमी यूपी के मेरठ, गाजियाबाद, मथुरा, हाथरस, बुलंदशहर, मुरादाबाद, अलीगढ़, औरैया, सहारनपुर में ब्राहमण वोटरों की संख्या अच्छी खासी है।

वहीं पूर्वी यूपी की बात करें तो अयोध्या, प्रतापगढ़, महाराजगंज, गोरखपुर, जौनपुर, सिद्धार्थनगर, वाराणसी, बस्ती, बलरामपुर, गोंडा, संत कबीर नगर, सोनभद्र, मिर्जापुर, कुशीनगर और देवरिया में ब्राहमण मतदाताओं की मौजूदगी 14 प्रतिशत है। इनमें दलितों की संख्या तो कई जिलों में 22 प्रतिशत से ज्यादा है। ऐसे में मायावती के लिए तैयार किया जा रहा समीकरण कितना सफल हो पाएगा, देखने वाली बात रहेगी।

Next Story

विविध