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Railway Loss: एक साल में 9000 ट्रेनें रद्द कर माल ढुलाई कर रही भारतीय रेल के पास नहीं है पैसा, गले तक डूबी कर्ज में

Janjwar Desk
8 Jun 2022 8:42 AM GMT
IRCTC News : रेल यात्रियों का डेटा बेच पैसा कमाएगी Modi सरकार, अहम सवाल - यूजर्स के प्राइवेसी का कौन रखेगा ख्याल?
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IRCTC News : रेल यात्रियों का डेटा बेच पैसा कमाएगी Modi सरकार, अहम सवाल - यूजर्स के प्राइवेसी का कौन रखेगा ख्याल?

Indian Railways Revenue and Losses: 2019-20 की महालेखाकार नियंत्रक (CAG) की रिपोर्ट बताती है कि रेल्वे 35 हजार करोड़ के घाटे में है और यह घाटा यात्री परिवहन में हुआ है।

Indian Railways Revenue and Losses: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान (Japan) के सहयोग से देश को जिस बुलेट ट्रेन (Bullet Train) का ख्वाब दिखाया था, उसकी तामील तो छोड़िए, फिलहाल रेल्वे (Indian Railways) के पास इतना भी पैसा नहीं है कि वह 3 लाख खाली पदों को भर सके। आलम यह है कि मालगाड़ियां (Goods Train) रात के अंधेरे में बिना गार्ड के चल रही हैं। पिछले एक साल में 9000 ट्रेनें रद्द कर रेल्वे 35 हजार करोड़ का घाटा झेल रही है।

आरटीआई के जरिए मांगी गई सूचना के जवाब में रेल्वे ने बताया है कि उसने पिछले 3 महीने में 1900 यात्री गाड़ियों को सिर्फ इसलिए रद्द कर रखा है, क्योंकि उसे कोयला ढोना था। वहीं, 2021-22 में 1.60 करोड़ यात्रियों को केवल इसलिए अपना टिकट रद्द करवाना पड़ा, क्योंकि उन्हें आरक्षण नहीं मिला।

पेंशन फंड का पैसा ही हड़प लिया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस साल के बजट में रेल्वे को 1560 करोड़ के सरप्लस में बताया था। हकीकत इसके ठीक उलट है। 2019-20 की महालेखाकार नियंत्रक (CAG) की रिपोर्ट बताती है कि रेल्वे 35 हजार करोड़ के घाटे में है और यह घाटा यात्री परिवहन में हुआ है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार यह दिखाती रही है कि कठिन चुनौतियों के बाद भी रेल्वे आधुनिकीकरण की दिशा में आगे बढ़ रही है। हालांकि CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल्वे को 26 हजार करोड़ रुपए का नुकसान दिखाना था। लेकिन उसने पेंशन फंड के लिए रखे गए 48626 करोड़ रूपए न हड़पे होते। रेल्वे पर 2018-19 में 2 लाख करोड़ रुपए का लोन लंबी अवधि के लिए बकाया था, जो 2019-20 में बढ़कर 2.68 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। गले तक कर्ज में डूबे होने के बाद रेल्वे को यात्री भाड़े से कमाई करनी चाहिए थी, लेकिन उसने इसी साल जनवरी से मई के बीच 3395 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों को रद्द कर दिया। इसी दौरान 3600 ट्रेनों को इसलिए रद्द किया गया, क्योंकि विभिन्न सेक्शनों में ट्रैक पर या तो सुधार का काम हो रहा था, या फिर निर्माण का काम चल रहा है। मई का सीजन रेल्वे के लिए कमाई का होता है, क्योंकि गर्मी की छुट्टियों में लोग घूमने निकलते हैं। इसी मई में रेल्वे ने 1148 मेल/एक्सप्रेस और 2509 सवारी गाड़ियों को रद्द कर कमाई की सारी उम्मीदों पर खुद पानी फेर दिया।

सिर्फ माल ढुलाई ही रेल्वे का काम नहीं है

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रेल्वे मई के महीने में 131 मिलियन टन माल ढोकर अपनी पीठ थपथपा रही है। रेल्वे का कहना है कि यह माल ढुलाई में 28% की बढ़त है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4% ज्यादा है। वहीं इस दावे का दूसरा पहलू यह है कि ट्रेनों की कमी के कारण रेल्वे मुसाफिरों को कन्फर्म टिकट (Confirm Ticket) नहीं दे पा रही है। पिछले कुछ साल में ट्रेन टिकटों की मांग में बेतहाशा वृद्धि हुई है, पर रेल्वे लोगों की मांग को पूरा करने के लिए उम्मीद के मुताबिक ट्रेनें उपलब्ध नहीं करा पाया। पिछले 6 साल में रेल्वे ने यात्रियों के लिए केवल 800 नई ट्रेनें शुरू की हैं, लेकिन यह संख्या मांग की तुलना में बहुत कम है, क्योंकि व्यस्त सीजन में 13.3% यात्रियों को आरक्षण (Train Reservation) ही नहीं मिल पाया।

पूरी नहीं हो पाईं ये योजनाएं

रेल्वे को सेमी हाई स्पीड ट्रेनों के बाधारहित परिवहन के लिए पश्चिमी और पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Western and Eastern Dedicated Freight Corridor) को अभी तक ना लेना चाहिए था। यह पिछले यूपीए सरकार (UPA Govt) की परियोजना थी। अगर यह गलियारा बन जाता तो मालगाड़ियों के सुचारू अवागमन के लिए यात्री गाड़ियों को बंद करने की जरूरत नहीं पड़ती। इसी तरह से चंडीगढ़-दिल्ली के सफर को दो घंटे में समेटने का जो ख्वाब दिखाया गया था, वह भी पूरा नहीं हो पाया है। रेल्वे 478 ट्रेनों में इस समय सुपरफास्ट शुल्क (Superfast Charge) वसूल रहा है, लेकिन इनमें से एक-तिहाई ट्रेनों की स्पीड 55 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं है। रेल्वे ने 2016 में मिशन रफ्तार का ऐलान करते हुए कहा था कि पांच साल में मालगाड़ियों की स्पीड 75 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाएगी, जो फिलहाल 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही हैं।

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