Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

निरंकुश सत्ता डरती है अभिव्यक्ति, संगीत और कला से, मंडी हाउस गोलचक्कर से नाटकों-सांस्कृतिक कार्यक्रमों के पोस्टर हटाने के पीछे क्या है मंशा

Janjwar Desk
2 Aug 2023 9:37 AM GMT
निरंकुश सत्ता डरती है अभिव्यक्ति, संगीत और कला से, मंडी हाउस गोलचक्कर से नाटकों-सांस्कृतिक कार्यक्रमों के पोस्टर हटाने के पीछे क्या है मंशा
x
निरंकुश सत्ता कला और कलाकार से भयभीत रहती है और सबसे पहले इनका नुकसान करती है। हमारे देश में बीजेपी राज में सिने जगत को बहुत नुकसान पहुंचाया गया है, अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गयी है, स्वतंत्र लेखकों को देशद्रोही करार दिया गया है और अब रंगमच के पोस्टर ही हटा दिए गए हैं...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Autocracy is afraid of arts, artists, poets, music and books. दिल्ली में आईटीओ से कनाट प्लेस के बीच मंडी हाउस गोलचक्कर है। यहाँ सात सड़कें मिलती हैं और गोलचक्कर का आकार काफी बड़ा है। इस गोलचक्कर के अन्दर और आसपास उद्यान विभाग अक्सर फूल के पौधे लगाता है, जिससे यह गोलचक्कर और पूरा क्षेत्र मनमोहक हो जाता है। इसी गोलचक्कर के सामने एक क्षेत्र में दिल्ली में चल रहे या आने वाले नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के पोस्टर लगाए जाते थे। इनके सामने से निकलने पर दिल्ली के रंगमंच की गतिविधियों की कुछ जानकारी हो जाती थी, पर पिछले कुछ दिनों से यह पूरा क्षेत्र पोस्टर-विहीन हो गया है।

हालांकि इसके बारे में कोई समाचार तो नहीं प्रकाशित किया गया है, पर अनुमान यही है कि जी20 शिखर सम्मलेन के लिए दिल्ली को चमकाने के क्रम में इन पोस्टरों को हटा दिया गया होगा। संभव है इस पूरे क्षेत्र में कुछ दिनों बाद सरकारी पोस्टर लगाए जाएँ। वैसे भी आजकल सरकारों की तरक्की का पैमाना हरेक दीवार, हरेक खम्भे और हरेक होर्डिंग पर सरकारी पोस्टर ही तो हैं। हरेक पोस्टर पर एक ही शक्ल – मानो जनता को “जहां जाइएगा, वहीं पाइयेगा” की तर्ज पर चिढ़ा रहे हों। अब तो एक नया ट्रेंड शुरू किया गया है – मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसी तथाकथित डबल इंजन की सरकारें ही दिल्ली को इसके सार्वजनिक शौचालयों को पोस्टरों से पाट रही हैं।

पूरी दुनिया में तानाशाह और निरंकुश सत्ता ऐसा ही करते हैं। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार ने वर्ष 2021 में ही सार्वजनिक स्थानों पर संगीत कार्यक्रमों पर पाबंदी लगा दी थी। तालिबान के अनुसार संगीत समाज को बर्बाद कर देता है और युवाओं को भ्रष्टाचारी बना देता है। अब अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक पुलिस लोगों से वाद्ययंत्रों को छीनकर उन्हें आग के हवाले कर रही है। पिछले कुछ महीनों से समय समय पर अलग अलग क्षेत्रों में वाद्ययंत्रों को बड़े पैमाने पर इकट्ठा कर उन्हें आग के हवाले किया गया है।

फ्रांस के पेरिस में अगले वर्ष ओलिंपिक खेलों का आयोजन किया जाना है। पिछले कुछ वर्षों से फ्रांस लगातार विभिन्न मसलों पर जनता के प्रदर्शन का गवाह रहा है। ओलंपिक आयोजन के समय सुरक्षा कारणों से लगभग 570 किताब की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया गया है। पेरिस में सीन नदी के किनारे का एक बड़ा हिस्सा खुली किताब की दुकानों के लिए मशहूर है। इसे बौक़ुइनिस्तेर्स कहा जाता है और इसका इतिहास 16वीं सदी से शुरू होता है और इसके बाद अनेक सम्राटों ने इसे बंद करने के प्रयास किये, पर इसकी लोकप्रियता को देखते हुए बंद नहीं करा पाए। पेरिस का यह क्षेत्र पुस्तकों के विकास का गवाह है – इसकी शुरुआत हस्त-लिखित पुस्तकों से हुई थी, पर अब यह सेकंड-हैण्ड पुस्तकों के लिए सबसे अधिक प्रसिद्द है। पेरिस के एफिल टावर जितना ही यह इलाका भी प्रसिद्द है और पेरिस की गौरवशाली परंपरा और पहचान का प्रतीक है।

पेरिस के प्रशासन ने इस पूरे क्षेत्र की सभी पुस्तक दुकानों में से 60 प्रतिशत, यानि 570 दूकानों को हटाने का आदेश दिया है। इस आदेश का विरोध पुस्तक विक्रेताओं के साथ ही स्थानीय आबादी और बुकसेलर्स एसोसिएशन भी कर रहा है, पर प्रशासन सुरक्षा कारणों का हवाला देकर इन्हें हटाना चाहते हैं।

निरंकुश सत्ता कला और कलाकार से भयभीत रहती है और सबसे पहले इनका नुकसान करती है। हमारे देश में बीजेपी राज में सिने जगत को बहुत नुकसान पहुंचाया गया है, अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गयी है, स्वतंत्र लेखकों को देशद्रोही करार दिया गया है और अब रंगमच के पोस्टर ही हटा दिए गए हैं। एक जीवंत प्रजातंत्र में पोस्टर शहर गन्दा नहीं करते, बल्कि उन्हें जीवित रखते हैं। मंडी हाउस गोलचक्कर के पोस्टर तो इस क्षेत्र को एक अनोखी पहचान देते थे। निरंकुश सत्ता में शहर की पहचान वह नहीं रहती जिसमें जनता और जीवन नजर आता है, शहर नजर आता है – बल्कि पहचान वह बनाई जाती है जिसे सत्ता, पुलिस और स्थानीय निकाय मिलकर गढ़ते हैं, भले ही वह बदसूरत ही क्यों न हो।

Next Story