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विमर्श

हिंडनबर्ग ने किये हों चाहे कितने बड़े खुलासे, मगर फिर भी इजराइल का दूसरा बड़ा पोर्ट हाइफा अडानी ग्रुप की झोली में

Janjwar Desk
1 Feb 2023 7:36 AM GMT
हिंडनबर्ग ने किये हों चाहे कितने बड़े खुलासे, मगर फिर भी इजराइल का दूसरा बड़ा पोर्ट हाइफा अडानी ग्रुप की झोली में
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Gautam Adani : अडानी ग्रुप पर भले ही अनियमितताओं के आरोप लगते रहें, पर इसी बीच इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह अडानी की झोली में गिरता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू हमारे प्रधानमंत्री के "पेगासस" मित्र हैं और अडानी की तारीफ़ करते हैं। यहाँ भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों को ही दोषी करार दिया जाता है और जेल में डाल दिया जाता है....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

The Corruption Perception Index 2023 published by Transparency International has placed India at 85th position : 31 जनवरी को जब पूरा देश और मीडिया आर्थिक सर्वेक्षण और संभावित बजट में विकास की नदियाँ बहा रहा था, हरेक तबके को लाभ पहुंचा रहा था – इसी बीच में ट्रांसपेरेंसी इन्टरनेशनल ने अपने भ्रष्टाचार अनुभूति इंडेक्स, यानि Corruption Perception Index 2023 में बताया कि भारत दुनिया के 180 देशों में 85वें स्थान पर है, दूसरे शब्दों में 180 देशों में हम 95वें सबसे भ्रष्ट देश हैं।

हमारे देश में जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन का नारा देकर भ्रष्टाचार खुलेआम किया जाता है, और गरीबों का हिस्सा अमीरों में बांटा जाता है। अडानी ग्रुप पर भले ही अनियमितताओं के आरोप लगते रहें, पर इसी बीच इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह अडानी की झोली में गिरता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू हमारे प्रधानमंत्री के "पेगासस" मित्र हैं और अडानी की तारीफ़ करते हैं। यहाँ भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों को ही दोषी करार दिया जाता है और जेल में डाल दिया जाता है।

अडानी समूह ने मंगलवार 31 जनवरी को इजरायल के हाइफा बंदरगाह (Hafia Port) का 1.2 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर लिया है। हिंडनबर्ग के बड़े खुलासों के बीच रणनीतिक तौर पर भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी की यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस सौदे के तहत अडानी समूह तेल अवीव में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब स्थापित करेगा।

भ्रष्टाचार इंडेक्स वर्ष 1995 से लगातार प्रकाशित किया जा रहा है, और यह 0 से 100 अंकों के बीच आधारित रहता है – 0 यानि सबसे भ्रष्ट और 100 यानी सबसे कम भ्रष्ट। इस इंडेक्स में सबसे ऊपर 90 अंकों के साथ डेनमार्क है, और इसके बाद क्रम से फ़िनलैंड, न्यूज़ीलैण्ड, नोर्वे, सिंगापुर, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, नीदरलैंड, जर्मनी और आयरलैंड हैं। जी7 समूह के देशों में सबसे बड़ी गिरावट यूनाइटेड किंगडम में है, इस वर्ष यह7 स्थान लुढ़ककर 18वें स्थान पर पहुँच गया है।

इंडेक्स में सबसे कम अंकों, 12, के साथ सोमालिया सबसे अंतिम स्थान पर है, यानि सबसे भ्रष्ट देश है। इसके बाद क्रम से सीरिया, साउथ सूडान, वेनेज़ुएला, यमन, लीबिया, नार्थ कोरिया, हैती, गिनी और बुरुंडी हैं। इस इंडेक्स में ऑस्ट्रेलिया 13वें, कनाडा 14वें, अमेरिका 24 वें और जापान 19वें स्थान पर हैं। चीन 65वें स्थान पर है पर हांगकांग 12वें स्थान पर है। भारत के पड़ोसी देशों में भूटान 25वें, श्रीलंका 107वें, नेपाल 114वें, पाकिस्तान 141वें, बंगलादेश 147वें, अफ़ग़ानिस्तान 150वें और म्यांमार 160वें स्थान पर है।

इस इंडेक्स में पिछले वर्ष भी भारत 85वें स्थान पर था, यानी हमारे देश में भ्रष्टाचार के स्तर में कोई कमी नहीं आई है। इस इंडेक्स में भारत के अंक 40 हैं, जो वैश्विक औसत 43 और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के औसत 45 से भी कम है। हमारे देश के बारे में इस इंडेक्स में बताया गया है कि दुनिया के तथाकथित सबसे बड़े प्रजातंत्र में सत्ता ने अपने अधिकार बढ़ा कर निरंकुशता हासिल कर ली है और दूसरी तरफ जनता के मौलिक अधिकार कम किये जा रहे हैं।

अभिव्यक्ति की आजादी छीन जाने के कारण जनता किसी भी भ्रष्टाचार के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती। भारत में अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने वाले को ही दोषी करार दिया जाता है। अभी जोशीमठ मामले में यही किया जा रहा है। यहाँ भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज बुलंद करने वाले पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के विरुद्ध गुंडा एक्ट और यूएपीएक्ट का प्रयोग कर आवाज उठाने वालों को ही जेल में बंद कर दिया जाता है और भ्रष्टाचारी को बचाने के लिए सरकार, पुलिस, प्रशासन, न्यायालय सभी एकजुट हो जाते हैं।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में औसतन भ्रष्टाचार का स्तर या तो स्थिर है, या पहले से अधिक बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में कोविड 19 के बाद रुकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाये गए कदमों से भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के एशिया रीजनल एडवाइजर इल्हाम मोहमद के अनुसार एशिया-प्रशांत में दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश स्थित हैं और इन देशों में भ्रष्टाचार का दायरा बढ़ता जा रहा है, दूसरी तरफ सरकारें पहले से अधिक निरंकुश हो रही हैं और जनता के मौलिक अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी छीनी जा रही है।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 70 प्रतिशत से अधिक देशों का भ्रष्टाचार अंक 50 से कम है। इस क्षेत्र में इमानदारी में सबसे आगे 87 अंकों के साथ न्यूज़ीलैण्ड है, इसके बाद सिंगापुर, होन्गकोंग और ऑस्ट्रेलिया का स्थान है। इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में सबसे सफल देशों में साउथ कोरिया, वियतनाम और मालदीव्स प्रमुख हैं। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे नीचे के पायदानों पर अफ़ग़ानिस्तान, कम्बोडिया, म्यांमार और नार्थ कोरिया स्थित हैं।

यह भ्रष्टाचार इंडेक्स आर्थिक और सामाजिक भ्रष्टाचार का आकलन तो करता है, पर आज के दौर में समाज में व्याप्त मानसिक भ्रष्टाचार सबसे बड़ी चुनौती है, और इसे मापने का कोई भी आधार नहीं है।

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